04-Apr-2013 08:56 AM
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दिल्ली के जघन्य बलात्कार कांड के आरोपी राम सिंह के तिहाड़ जेल में सुबह 5 बजे ग्रिल से लटककर खुदकुशी करने के बाद हाल ही में इसी जेल में एक महिला कैदी की खुदकुशी कर ली। दोनों खुदकुशी बड़े अजीब हालातों में हुई। रामसिंह खुद के कपड़ों और जेल की दरी से फंदा बनाया उस फंदे को लगभग 8 फिट ऊपर ग्रिल में टांगा और फांसी लगा ली। इस दौरान उसके बैरक के अन्य कैदी गहरी नींद में डूबे रहे। 24 घंटे सुरक्षा वाली तिहाड़ जेल भी खामोश रही। कैदियों को पांच बजे सुबह जगने का हुक्म देने वाला जेल प्रशासन उनीदा बैठा रहा। लगभग 40 मिनट तक राम सिंह अपनी फांसी की योजना पर काम करता रहा और सफल भी हो गया, लेकिन इस दौरान उसकी बैरक के सामने से न तो कोई गार्ड गुजरा और न ही किसी को किसी प्रकार की आवाज सुनाई दी। पोस्टमार्टम रिपोर्ट भी जेल प्रशासन की मनमर्जी के मुताबिक ही आई जिसमें यह बताया गया कि राम सिंह ने आत्महत्या ही की है। इसका अर्थ यह है कि कानून की दहलीज पर यह मामला भी दम तोड़ देगा और तिहाड़ जेल सहित भारत की तमाम जेले अपराधियों की कब्रगाह बनती रहेंगी।
यहां प्रश्न यह नहीं है कि राम सिंह और उस महिला कैदी ने आत्महत्या क्यों की। प्रश्न यह है कि उसे आत्महत्या क्यों करने दी गई। राम सिंह शायद उतना महत्वपूर्ण कैदी नहीं था लेकिन आतंकवादी घटनाओं के बाद या देश की सुरक्षा से जुड़ी किसी घटना के बाद किसी राजदार कैदी का जेल में होना और उसकी सुरक्षा एक संवेदनशील विषय है। ऐसे बहुत से कैदी होते हैं। जिनके द्वारा दी गई महत्वपूर्ण जानकारियां आगामी समय में सतर्कता की दृष्टि से उपयोगी साबित हो सकती हैं। यदि ऐसी जानकारियां प्राप्त होने से पूर्व ही जेल में कोई कैदी आत्महत्या कर ले तो एक बड़ा सरदर्द भी बनता है। इसीलिए रामसिंह की आत्महत्या ने तिहाड़ जेल को एक बार फिर चर्चा में ला दिया है। जो आत्महत्याओं के लिए कुख्यात होती जा रही है। तिहाड़ जेल न केवल भारत वरन एशिया की सबसे बड़ी और सुरक्षित जेल मानी जाती है। कुख्यात अपराधियों और दुर्दांत आतंकियों को इसी जेल में रखा जाता है। भारत के सारे हाई प्रोफाइल कैदी भी इसी जेल में रखे जाने से इसे हाई प्रोफाइल जेल का खिताब मिला है। लेकिन आश्चर्य है कि तिहाड़ में 2012 से अब तक 19 खुदकुशी के मामले हो चुके हैं। बीते 2012 में यहां पर 16 कैदियों ने खुदकुशी की थी जबकि दो कैदियों ने इस वर्ष आत्महत्या की है। यही नहीं तिहाड़ जेल में आत्महत्या की घटनाओं पर कोर्ट भी चिंता व्यक्त कर चुका है। इस तरह के मामलों में पहले भी मजिस्ट्रेट जांच के आदेश दिए गए हैं। इन सबके बावजूद ऐसे मामले रोकने के ठोस उपाय नहीं हो पा रहे हैं। जेल प्रशासन के लचर रवैये के चलते तिहाड़ जेल में अक्सर कैदियों के पास से ड्रग्स, हथियार और मोबाइल फोन बरामद होते हैं। चौकसी बरतने के तमाम दावों के बाद भी इसे पूरी तरह से रोकने में तिहाड़ प्रशासन नाकाम ही रहा है। 2012 में यहां 7 कैदियों के पास से मोबाइल फोन बरामद हुए थे, जबकि 4 कैदियों जेल में ड्रग्स के साथ पकड़े गए थे।
24 फरवरी को शिक्षक भर्ती घोटाले में हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला के साथ जेल में बंद इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) के नेता अजय चौटाला ने तिहाड़ जेल से ही फोन पर हरियाणा में जनसभा को संबोधित किया था। कैदियों द्वारा तिहाड़ जेल में तस्करी की वारदातों पर लगाम लगाने के लिए जेल प्रशासन की फुल बॉडी स्कैनर की योजना भी बनाई थी जिसे सालभर बाद भी अमलीजामा नहीं पहनाया जा सका है। तिहाड़ जेल की क्षमता करीब 9000 हजार कैदियों की है लेकिन फिलहाल इसमें इस वक्त 14 हजार कैदी हैं। यहां महिला बंदियों को भी रखा जाता है। महिला सेल में फिलहाल 500 महिला कैदी हैं। यहां खुदखुशी का सबसे आम तरीका फांसी लगाना है। 20 नंवबर 2012 को दिल्ली में हाई प्रोफाइल सैक्स रेकैट चलाने वाली सोनू पंजाबन ने भी पंखे पर लटक कर आत्महत्या की कोशिश की थी जिसे समय रहते देख लेने पर बचा लिया गया । इसी तरह 16 सितबंर 2011 को 28 साल के प्रेम कुमार ने भी तिहाड़ जेल में पंखे से लटक कर अपनी जान दे दी। 24 जून 2010 को 26 साल के शेरु ने तिहाड़ जेल में आत्महत्या की। 10 नवंबर 2006 को 28 साल के संजय बाबू ने भी इसी तरह जेल में खुदकुशी की थी। राम सिंह तिहाड़ जेल के बैरक नंबर 3 के वार्ड नंबर 5 का कैदी था। उसके साथियों और जेल के अन्य कैदियों द्वारा संकेत दिए जाने के बाद जेल प्रशासन के पास सूचना थी कि रामसिंह जेल में खुदकुशी कर सकता है। इसके बाद भी जेल प्रशासन ने कोई सुरक्षा इंतजाम नहीं किए। जो भी हो खुदकुशी की इन ताजा घटनाओं ने तिहाड़ की सुरक्षा और उसकी कार्यप्रणाली के दावे को झूठा साबित कर दिया है। तिहाड़ जेल में हो रही लगातार आत्महत्याएं जेल की सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े करती है।
कुमार सुबोध