16-Jan-2016 10:38 AM
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प्रदेश में भाजपा राज को 10 वर्ष से अधिक समय बीत जाने पर भी प्रदेश के मुखिया शिवराज सिंह चौहान अपनी ब्यूरोक्रेसी से परेशान नजर आ रहे हैं। वह कई भाषणों में अपने ब्यूरोक्रेट्स की कार्यप्रणाली के बारे में उत्तेजित हो जाते हैं। 
क्योंकि नित नए इतिहास खोलने में माहिर यहां के अफसर, राजनेता, व्यापारी खुलेआम नियमों की धज्जियां उड़ाकर प्रदेश सरकार का मजाक बना रहे हैं। ब्यूरोक्रेट्स का तो यह आलम है कि वह अपने मंत्री, सांसद को भी कुछ नहीं समझ रहे हैं! एक नहीं बल्कि इसके सैकड़ों उदाहरण है, जिससे पता चलता है, कि कमिश्नर-कलेक्टर, आईजी-एसपी, सांसद-विधायक, मंत्री-विधायक यहां तक कि पार्षद भी आपस में उलझने से बाज नहीं आ रहे हैं। ऐसे में जनता जनार्दन का क्या भला होगा? क्या यह सब नाटक-नौटंकी पैसे को लेकर मची हुई है। इसका ठीक-ठाक जबाव कोई नहीं दे पा रहा है, कोई भी अधिकारी और कर्मचारी एकाउंटबिलटी तय नहीं हो पाई है। आए दिन कभी स्वास्थ्य विभाग में आंखों के आपरेशन को लेकर कई मरीजों की आंखे चली जाती हैं तो कहीं, जानवरों की दवाई मरीजों को दी जाती है। वहीं सिंचाई विभाग में सैकड़ों डेम बना दिए गए टारगेट पूरा करने के चक्कर में अब वह कई डेमों में दरारे आ गईं। भयंकर सूखे से पीडि़त किसान हाहाकार कर रहे हैं। अगर आंकड़ों पर गौर करें तो चंद कंपनियों जैसे रिलायंस, हिंडाल्को, इंफोसिस, टीसीएस, ट्रायडेंट, जेपी, ग्रेसिम, बीना रिफायनरी आदि ने या तो टैक्स में छूट ली है या सरकारी मदद से सस्ती दरों पर जमीनें हासिल कर ली हैं, लेकिन सूखा पीडि़त लाखों किसानों के लिए कुछ रुपए मिलना दूभर है। इस साल आए भयंकर सूखे के एवज में 127 तहसीलों के लाखों किसानों को केवल कुछ करोड़ रुपए की राहत राशि बाँटी गई है। वह भी 5 से 50 हजार रुपए तक की और सरकार अपने जादुई आंकड़े पेश कर चौथी बार कृषि कर्मण अवॉर्ड लेने जा रही है। अगर सड़कों की हालत पर नजर डाले तो कई सड़कें जर्जर हो चुकी हंै। बिजली का आलम तो सिर्फ आंकड़ों में देखने को मिलेगा। राजधानी के 10-20 किलोमीटर पर भी गांव में आपको बिजली नहीं मिलेगी। शिक्षा-दीक्षा से सरकार को कोई लेना-देना नहीं है। सरकार ने नया नोटिफिकेशन जारी कर चाइल्ड केयर लीव की घोषणा कर दी। अब तो अधिकारी और कर्मचारी की मौज ही मौज। पुलिस का तो कहना ही क्या है सारे जिलों से लेकर राजधानी तक में एफआईआर में तो तेजी आई है परंतु अपराध कम होने का नाम नहीं लेते। प्रदेश में यातायात और कानून व्यवस्था की खुलेआम धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। प्रदेश में व्याप्त भ्रष्टाचार को लेकर आयकर विभाग ने सैकड़ा से अधिक रसूखदारों और आईएएस अफसरों के घरों पर छापामारी की। करोड़ों रुपया कैश और करोड़ों की संपत्ति हाथ लगी परंतु राज्य सरकार ने सिवाय भ्रष्टाचारियों को पनाह देने के अलावा कुछ ठोस काम नहीं किया। प्रदेश में स्वास्थ्य विभाग के घोटाले के अधिकारी खुलेआम घूम रहे हैं। कोर्ट बाजी में सरकार का धन और समय खर्च हुआ जा रहा है परंतु राजनीतिक हस्तक्षेप के कारण निर्णय नहीं हो पा रहा है। इन सब के बावजूद भी शिवराज लगातार सारे चुनाव जीतते रहे हैं। अब जनता ने झाबुआ संसदीय चुनाव के बाद शिवराज के कामों का हिसाब-किताब मांगना शुरू कर दिया। वहीं हाल ही में नगर पंचायत चुनाव में भी सत्ताधारी सरकार को हार का मुंह देखना पड़ा था। अब बारी है मैहर चुनाव की। यहां पर भाजपा के लिए बड़ी चुनौती है। भाजपा जिसे अपना उम्मीदवार बना रही है वह दल-बदलकर भाजपा में शामिल हुआ है। चुनाव की घोषणा के ठीक पहले मुख्यमंत्री शिवराज ने दर्जनों सभाएं नारायण त्रिपाठी के साथ कर डाली। पूरे भाजपा में नारायण त्रिपाठी को लेकर विरोध है परंतु शिवराज की मजबूरी है। क्योंकि उसी के कारण से सांसद का चुनाव जीता गया था। क्योंकि भाजपा का मानना है कि सांसद का चुनाव जिताने वाले नारायण त्रिपाठी को कांग्रेस से बीजेपी में लाने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ी थी और अब वह भाजपा के शालीन सिपाही हो चुके हैं।
वहीं दूसरी तरफ सतना कलेक्टर को लेकर भाजपा परेशान है। परेशानी का कारण तो खुफिया रिपोर्ट के मार्फत मिला है। सतना कलेक्टर कांग्र्रेस से भाजपा में आए राकेश सिंह चतुर्वेदी के रिश्ते में जीजा हैं। वहीं भाजपा के विधायक मुकेश चौधरी के भी वह जीजा है। सरकार ने अपनी सूची जारी कर उन्हें वहां से हटा दिया था और अपने चहेते नरेश पाल को कलेक्टर बनाया था। चुनाव की घोषणा के मद्देनजर सरकार को अपनी सूची बदलनी पड़ी और अब वहीं कलेक्टर हैं जिसे भाजपा नहीं चाहती पर कलेक्टर संतोष मिश्रा को लेकर हल्ला होगा और सरकार तो बदल नहीं पाई पर चुनाव आयोग बदलेगा। संतोष मिश्रा के साथ पूर्व में भी अशोकनगर कलेक्टर रहते हुए भी यह घटना हो चुकी है और सरकार अब निष्पक्ष चुनाव का दावा तो करती है पर अपना कलेक्टर बनाने में फिर कामयाब हो जाएगी। वहीं दूसरी तरफ बेलगाम ब्यूरोक्रेसी का यह आलम है कि मोबाइल पर एक दूसरे के खिलाफ रिकार्डिंग का सिलसिला जारी है। वाट्सअप पर अलग-अलग ढंग से बातचीत का ब्योरा वायरल हो रहा है। जिससे सरकार और सरकार में काम करने वाले ब्यूरोक्रेसी का जनता पर विपरीत असर पड़ रहा है।
राजधानी के सीईओ जिला पंचायत और विधायक रामेश्वर शर्मा की वाट्सअप पर जारी रिकार्डिंग और बाद में माफी नामे के बाद चर्चा में आदिम जाति कल्याण विभाग के आयुक्त जगदीश मालपानी और उनके मातहत आरके श्रोती की रिकार्डिंग जारी होने पर दोनों को सरकार ने सस्पेंड कर दिया। दूसरा प्रमुख सचिव लोक निर्माण के लिए लेनदेन के बारे में उनके ही कार्यपालन यंत्री की एक रिकार्डिंग भी वाट्सअप पर खूब चली परंतु इन पर कोई कार्रवाई नहीं हुई और अब छिंदवाड़ा कलेक्टर का अपने ही अपर कलेक्टर आलोक श्रीवास्तव को स्थानीय क्लब में अनाधिकृत पार्टी कार्यक्रम किए जाने, जिसमें मदिरा पान की अस्थाई अनुज्ञप्ति प्राप्त नहीं करने और भुगतान के लिए अधिकारियों पर दबाव डालने वाला वार्तालाप का टेप सोशल मीडिया पर अपलोड करने का टेप जोरों से चल रहा है। पूर्व में बालाघाट कलेक्टर को सागौन की लकड़ी कटाई के मामले में अपने ही एडीएम से झगड़े की चर्चा थम नहीं पाई थी और उसके बाद हाल ही में उज्जैन के जिला खनिज अधिकारी एसएस खतेडिय़ा और मानचित्रकार नीतू तावड़े ने खदान के नक्शे देने के एवज में मांगी गई रिश्वत का ऑडियो वायरल हुआ है। इसके पूर्व जबलपुर के आईएफएस अफसर के ऊपर एक व्यापारी ने 55 लाख रुपए के भारी लेनदेन का आरोप लगाया था जिसके चलते उनका तबादला कर जांच बैठा दी गई है। आखिर करके प्रदेश में इतनी अराजकता क्यों चल पड़ी है। पूर्व में दतिया कलेक्टर प्रकाश जांगरे द्वारा पीतांबरा पीठ मंदिर के आसपास की व्यवस्था को देखते हुए अपने कार्यपालन यंत्री को आवश्यक निर्देश देने के मामले ने इतना तूल पकड़ लिया कि, इंजीनियरों की जोर-जबरदस्ती के बाद सरकार को उन्हें हटाना पड़ा। क्या यह सही है कि इंजीनियरों के सामने सरकार झुक गई और अपने कलेक्टर को सजा स्वरूप उन्हें मंत्रालय में भेज दिया। बाद में उसी अधिकारी को कटनी का कलेक्टर बनाया गया। समझने वाली बात यह है, कि अगर अधिकारी का दोष समझा जाता, तो उसे कलेक्टर कटनी क्यों बनाया जाता पर इंजीनियरों की मनमानी के कारण उन्हें वहां से चलता किया गया। वहीं सागौन की लकड़ी कटाई के मामले में बालाघाट कलेक्टर रहे व्ही किरण गोपाल का भी तबादला कर दिया गया पर उन्हें सजा नहीं दी गई बल्कि मलाईदार विभागों का संचालक बना दिया। शायद बेलगाम ब्यूरोक्रेसी के आगे मंत्री और अधिकारियों का सामंजस्य नहीं बैठ पा रहा है। वहीं विधायक अपने कार्यों को लेकर आए दिन कलेक्टर और एसपी से भिड़ते रहते हैं।
शिवराज के तीसरी बार मुख्यमंत्री बनने के बाद विधायकों को लालीपॉप दी जा रही है कि आज नहीं कल मंत्रीमंडल का विस्तार होगा। निगम मंडलों के अध्यक्षों के लोक लुभावन वायदे किए जा रहे हैं, जिससे विधायकों में भारी असंतोष बना हुआ है। जिसके चलते उन्होंने मान लिया है कि जो काम करेगा वह सिर्फ शिवराज ही करेगा। यह बात भी सही है कि इस प्रदेश में अगर डर है तो सिर्फ मुख्यमंत्री का। परंतु मुख्यमंत्री अपने ही मंत्रियों और अधिकारियों के सामने कईयों बार नतमस्तक हो जाते हैं। उससे प्रदेश में अराजकता का माहौल कायम हो रहा है।
मंत्री और सांसदों की गर्राहट
-पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के ऊपर आरकेडीएफ कालेज को अवैध तरीके से लाभ पहुंंचाने के कारण आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो ने अपराध दर्ज कर लिया। उन्हीं के साथ पूर्व शिक्षा मंत्री राजा पटेरिया और कॉलेज के संचालक सुनील कपूर का भी नाम इस एफआईआर में जोड़ लिया है।
-हाल ही में जबलपुर के सांसद गणेश सिंह ने मुंबई में दर्शन के लिए सिद्धी विनायक मंदिर में सुरक्षाकर्मियों से भिड़ गए और कहने लगे कि मैं सांसद हूं। वहीं अजय सिंह राहुल भैय्या ने कहा कि सांसद शराब पीकर मंदिर में घुसे थे।
-वहीं प्रभारी मंत्री गोपाल भार्गव और विधायक ममता मीणा की भिड़ंत हो गई। गोपाल भार्गव अपनी सफाई में यह कह रहे हैं कि क्या जरूरत है हर जगह विकास कार्यों का भूमिपूजन में सरकार का धन और समय खर्च होता है सारे कामों का एक ही मंच पर भूमिपूजन होने से सभी स्थानीय नेताओं को उसका फायदा मिलता है वह यह भी कहते हैं कि अगर भूमिपूजन करने से ही चुनाव जीते जाते तो फिर क्या था। वहीं स्थानीय विधायक ममता मीणा खुलेआम मंच से कार्यक्रम का बहिष्कार कर चलती बनी।
-रीवा की भाजपा विधायक नीलम मिश्रा ने अपने ही सांसद जर्नादन मिश्रा पर आरोप लगाया कि उन्होंने कार्यकर्ताओं के साथ मारपीट की और सड़क निर्माण में बाधा डाली... महिला विधायक ने सांसद पर बदतमीजी करने का भी आरोप लगाया। उन्होंने इसकी शिकायत एसपी से की तो उन्होंने एफआईआर दर्ज न कर जांच का आश्वासन देकर विधायक को टरकाया.. उन्होंने अपनी शिकायत में कहा कि सांसद कमीशन मांगते हैं जबकि सांसद बोले, मुझे और विधायक को लाई डिटेक्टर के सामने खड़ा किया जाये, विधायक झूठ बोल रही है। विधायक के लोगों ने मुझ पर हमला किया, मां-बहन की गाली दी। विधायक के पति चोरी करते हैं।
द्यरघुनंदन शर्मा ने एसटीएफ की कार्यप्रणाली को शुरू से ही संदिग्ध मानते हुए लक्ष्मीकांत शर्मा पर एक के बाद एक केस लगाए बिना अपराध के सजायाफ्ता बना दिया 18 माह तक निर्दोष को जेल में डालकर सजा दी। उन्होंने कहा कि व्यापमं के अगर वे सरगना थे तो एसटीएफ या सीबीआई ने उनसे कोई धनराशि जब्त की है क्या? तो फिर उन्हें दोषी मानना कदाचित उचित नहीं है।
-भिन्ड के बीजेपी विधायक नरेंद्र सिंह पर सटोरिएं पार्षद को छुड़ाने के लिए थाने का घेराव किया था उस मामले में स्थानीय विधायक सहित 6 अन्य पर मामला दर्ज हो गया।
दलित नौकरशाहों का धरना
मध्यप्रदेश में पहली बार दो दलित आईएएस अफसरों ने अपने खिलाफ हो रहे अन्याय के विरुद्ध सरकार के खिलाफ सड़क पर आए। थेटे ने लोकायुक्त पीपी नावलेकर के ऊपर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि सरकार ने उनके दबाव में झूठे केस दर्ज किए। वहीं शशि कर्णावत ने भी अपनी व्यथा सुनाते हुए सरकार को चुनौती देते हुए कहा कि वह जेल के बदले जेल और पद के बदले सत्ता छीनेगी। थेटे न मंच से सीएम सचिवालय के कई अफसरों पर निशाना दागा। और उन्होंने कहा कि मुझे जिन झूठे मामलों में फसाया है सरकार उन मामलों को वापस ले। उन्होंने तत्कालीन मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह की जमकर तारीफ की और शिवराज सिंह चौहान को दलित विरोधी बताया साथ ही यह भी कहा कि शिवराज खुद पिछड़ा वर्ग से आते हैं।
नई फसल बीमा योजना
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के लिए नई राष्ट्रीय फसल बीमा योजना लागू कर दी है। सरकार ने शिवराज सरकार के फसल बीमा के ड्राफ्ट की अधिकांश बातें अपनी योजना में शामिल कर ली हैं। राज्य सरकार फसल बीमा योजना में किसानों के लिए जितनी भी राहत देने का प्लान बना रही थी वह सब केंद्र ने शामिल कर लिया।
नंद कुमार सिंह का बयान नई फसल बीमा योजना किसानों के लिए हितकारी साबित होगी। केन्द्र सरकार का यह फैसला किसानों की परिस्थितियों और उनके जीवन स्तर में सुधार करेगा। देश में वर्तमान फसल बीमा योजना का स्वरूप अव्यवहारिक था केवल 23 फीसदी कवरेज होता था। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना से देश कृषि की प्रगृति में नए शिखर तक पहुंचेगा।