अपने ही जाल में फंस बिलबिला रहे दिग्विजय
02-Nov-2015 07:47 AM 1234783

वराज सरकार से अपने राजनैतिक जीवन की सबसे बड़ी लड़ाई लड़ रहे मप्र के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह इनदिनों इतने हताश नजर आ रहे हैं कि वह अपनी राजनीतिक गरिमा भी भूल गए हैं। 15 अक्टूबर को राजधानी की सड़कों पर उनके समर्थकों और स्वयं दिग्विजय सिंह का जो रूप देखने को मिला वह उनकी प्रतिष्ठा के अनुरूप नहीं था। और बाद में उन्होंने यह कह कर अपनी छवि सुधारने की कोशिश की कि प्रदेश सरकार द्वारा राजनीतिक द्वेषभाव से उन्हें परेशान किया जा रहा है और एक पूर्व मुख्यमंत्री से पूछताछ के लिए पुलिस ने सीएसपी स्तर के अधिकारी को तैनात करके उनकी तौहीन की गई है। दिग्गी राजा शायद यह भूल रहे हैं कि उनके राजनीतिक गुरू स्व. अर्जुन सिंह ने इस परंपरा को शुरू की थी। जब अर्जुन सिंह मुख्यमंत्री थे तो उनके शासनकाल में पूर्व मुख्यमंत्री वीरेंद्र कुमार सखलेचा के खिलाफ अनुपातहीन संपत्ति का मामला ईओडब्लू में दर्ज कराया गया था। यही नहीं उनकी कुछ संपत्ति अटैच भी कर ली गई थी, जिसे उनके देहांत के बाद उनके पुत्रों को लौटा दिया गया। यहीं नहीं दिग्विजय सिंह ने भी अपने गुरू के नक्शे कदम पर चलते हुए उनके खिलाफ आरोप लगाने वाले भाजपा के दो पूर्व मुख्यमंत्रियों सुंदरलाल पटवा, उमा भारती और पूर्व नेता प्रतिपक्ष विक्रम वर्मा के खिलाफ मानहानि का मामला दर्ज कराया था। यानी जिस परंपरा को उनकी पार्टी और उन्होंने शुरू किया था अब उसमें फंसने के बाद आखिर दिग्गीराजा क्यों बिलबिला रहे हैं?
दरअसल, मप्र में राजनीति की दिशा और दशा को बिगाडऩे की शुरूआत कांग्रेस के सदस्यों ने ही शुरू की है। अब जबकि उनके सही मायने में उनके शासनकाल में हुई गड़बडिय़ों की हकीकत सामने आ रही है तो वे वह सभी तिकड़म अपना रहे हैं जो किसी राजनेता के लिए शोभा नहीं देता है। सबसे पहले तो उन्होंने विधानसभा में मनमाने तरीके से अयोग्य लोगों को भर्ती किए जाने के मामले  में जहांगीराबाद थाने में अपना बयान दर्ज कराने जाने से पहले ही उन्होंने सुबह से ही भीड़ जुटा ली।  घोटाले की फाईल खुलने से घबराए दिग्विजय सिंह को भय था कि पुलिस उन्हें गिरफ्तार कर सकती है इसलिए उन्होंने समर्थकों की भीड़ का इंतजाम कर लिया था। हालांकि पुलिस ने उन्हें आश्वासन दिया था कि उनके साथ शालीनता से बात की जाएगी। फिर भी दिग्विजय सिंह ने ऐसा कदम उठाया। दिग्विजय सिंह के थाने पहुंचते ही सैकड़ों गाडिय़ां और समर्थक पुलिस कंट्रोल रूम पहुंचकर नारेबाजी करने लगे। बयान दर्ज कराने के बाद बाहर आए दिग्विजय सिंह ने एसटीएफ जवान की वर्दी पकड़कर उसे धक्का दिया था। उस वक्त दिग्विजय सिंह अपनी कार में थे, लेकिन समर्थकों पर लाठीचार्ज होता देख वो कार से नीचे उतर गए। इसी दौरान सड़क पर हंगामा कर रहे कांग्रेसी कार्यकर्ताओं को एसटीएफ के जवान खदेड़ रहे थे। दिग्विजय सिंह ने अपने समर्थकों को खदेड़ रहे एसटीएफ के जवान की वर्दी पकड़ी और बाद में उसे धक्का देकर वहां से हटा दिया। दिग्विजय सिंह के एसटीएफ के जवान की वर्दी पकडऩे की तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो गई थी। यह तस्वीरें भोपाल पुलिस के पास भी मौजूद है, लेकिन फिलहाल पुलिस सीधी कार्रवाई करने से पहले जांच की बात कह रही है।
फर्जी नियुक्तियों में नाम घसीटे जाने से खफा दिग्गी ने प्रेस से कहा कि शिवराज सिंह जी को ये नहीं भूलना चाहिए कि सत्ता स्थायी नहीं होती है। कांग्रेस के सत्ता में लौटने के बाद माखनलाल चतुर्वेदी विवि में हुई नियुक्तियों,राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विवि में हुए संविलियन जैसे मामलों की जांच कराई जाएगी। वे इस बात से भी नाराज थे कि पूर्व मुख्यमंत्री से पूछताछ के लिए पुलिस ने सीएसपी स्तर के अधिकारी को तैनात करके उनकी तौहीन की गई है।
गिरफ्तारी के संभावना को देखते हुए उन्होंने नया पैंतरा खेला और कहा कि ये सरकार ब्राह्मणों को प्रताडि़त कर रही है। इस मामले में श्रीनिवास तिवारी के खिलाफ जांच खोली गई।व्यापमं मामले में लक्ष्मीकांत शर्मा और सुधीर शर्मा की गिरफ्तारी की गई। मैं क्षत्रिय हूं और मैंने हमेशा ब्राह्रणों का सम्मान किया है। इस पर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार सिंह चौहान ने कहा कि दिग्विजय सिंह किसी भी प्रकार के दांव खेलें पर उनके बचने की गुंजाईश अब नहीं है।
सरकार हुई सख्त तो बदले दिग्गीराजा के सुर
भ्रष्टाचार को लेकर मप्र सरकार जिस तरह सख्त नजर आ रही है, उससे अब दिग्विजय सिंह के सूर भी बदल रहे हैं। उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्रियों सुंदरलाल पटवा, उमा भारती और पूर्व नेता प्रतिपक्ष विक्रम वर्मा के खिलाफ दायर किए गए मानहानि के केस वापस लेने का मन बना लिया है। वर्ष 1998 के विधानसभा चुनाव के दौरान पटवा और वर्मा ने संयुक्त प्रेस कांफ्रेंस में आरोप लगाया था कि दिग्विजय सिंह हवाला कांड के आरोपी बीआर जैन से मिले हुए हैं। वहीं केंद्रीय जल संसाधन मंत्री उमा भारती ने वर्ष 2003 में विधानसभा चुनाव के दौरान आरोप लगाया था कि दिग्विजय सिंह ने 15 हजार करोड़ के घोटाला किया है। इसको लेकर दिग्विजय ने भोपाल कोर्ट में दोनों नेताओं के खिलाफ मानहानि का केस दायर किया था।
-अरविन्द नारद

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