17-Sep-2015 07:20 AM
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पुरातत्व में ऐतिहासिक मानव बसाहट या समाज का अध्ययन किया जाता है। ऐतिहासिक जगहों के सर्वेक्षण, खुदाई से निकले अवशेष जैसे बर्तन, हथियार, गहने, रोजमर्रा की चीजें, पेड़-पौधे, जानवर व

मनुष्यों के अवशेष, स्थापत्य कला आदि से ऐतिहासिक मानव-संस्कृति को जाना जाता है। खुदाई से निकली कलाकृतियों और स्मारकों का विश्लेषण किया जाता है। पुरातत्ववेत्ता इन कलाकृतियों और स्मारकों के साथ-साथ इस विश्लेषण को रिकॉर्ड में रखता है। भविष्य में यह सामग्री संदर्भ के काम आती हैं। छोटी-से-छोटी, अमहत्वपूर्ण चीज, जैसे टूटे हुए बरतन, मानव हड्डी आदि भी एक अनुभवी पुरातत्ववेत्ता को बहुत कुछ कह जाता है। पुरातात्विक खोजों के निष्कर्ष हमारी पहले की जानकारी में एक नया आयाम जोड़ते हैं। पारंपरिक तरीके से सामग्री एकत्रित करने के अलावा पुरातत्ववेत्ता नई तकनीक का भी इस्तेमाल करता है, जैसे जीन-अध्ययन, कार्बन डेटिंग, थर्मोग्राफी, सैटेलाइट इमेजिंग, मैग्नेटिक रेजोनेंस इमेजिंग (एमआरआई) आदि। मानव-विज्ञान, कला-इतिहास, रसायन विज्ञान, साहित्य, नृजाति विज्ञान, भू-विज्ञान, इतिहास, सूचना प्रौद्योगिकी, भाषा विज्ञान, प्रागैतिहासिक विज्ञान, भौतिकी, सांख्यिकी आदि विषयों से पुरातत्व विज्ञान जुड़ा हुआ है। इस तरह यह एक बहु-विषयक विधा है। कुल मिलाकर पुरातत्व विज्ञान में चुनौती भरा, प्रेरित करने वाला और संतोषप्रद करियर बनाया जा सकता है।
ज्यादातर भारतीय विश्वविद्यालयों में जहां पुरातत्व विज्ञान विभाग है, वहां मुख्यत: स्नातकोत्तर स्तर पर ही इस विषय की पढ़ाई होती है। यानी पुरातत्ववेत्ता बनने के लिए स्नातक डिग्री का होना आवश्यक है और यह किसी भी विषय में हो सकता है। मगर इतिहास, समाज-शास्त्र या मानव-विज्ञान में स्नातक की डिग्री पुरातत्व विज्ञान को समझने में सहायक होते है। साथ ही जिस विश्वविद्यालय से आप पुरातत्व विज्ञान पढऩा चाहते हैं, वहां किन-किन स्नातक विषयों को मान्यता दी जाती है, इसकी भी जानकारी रखें। पुरातत्व विज्ञान के क्षेत्र में सफल होने के लिए यह जरूरी नहीं परंतु जितनी जल्दी शुरूआत की जाए, उतना अच्छा रहता है। सबसे पहला व जरूरी कदम नए लोगों के दिमाग में कला और संस्कृति के प्रति भाव पैदा करना होता है। यह प्रोत्साहन स्कूल के साथ-साथ घर पर भी मिलना जरूरी होता है। अपने देश के ऐतिहासिक वैभव को ज्यादा से ज्यादा जानने की इच्छा, उन्हें इस कॅरियर के नजदीक लाती है। इसके अलावा संग्रहालय, सांस्कृतिक जगहों, ऐतिहासिक स्मारकों और पुरातात्विक उत्खनन केंद्रों के भ्रमण से इस पेशे के प्रति दिलचस्पी बढ़ती है। किताबों, पत्र-पत्रिकाओं से इतिहास, कला-इतिहास, प्राचीन सभ्यताओं संबंधी जानकारी भी सहायक होती है। पुरातत्व के क्षेत्र में हो रहे नए विकास और खोज पर नजर बनाए रखना भी भविष्य के पुरातत्वविद के लिए जरूरी होता है। ऐसे व्यक्ति जिन्हें ऐतिहासिक, सांस्कृतिक खोजों से आत्म-संतुष्टि मिलती है, पुरातत्व पेशा उन्हीं के लिए बना है। यह पेशा काफी जुनून मांगता है क्योंकि इसमें पुरातत्वविदों को कई घंटों से लेकर दिनों तक उत्खनन क्षेत्रों में कैम्प में रहना होता है, प्रयोगशाला में समय बिताना पड़ता है। इसलिए एक पुरातत्वविद का धैर्यवान होना बहुत जरूरी है। इतिहास की विस्तृत जानकारी, ज्यादा से ज्यादा पढऩे की आदत, अच्छी लेखन क्षमता, विश्लेषणात्मक और केंद्रित दिमाग एक सफल पुरातत्वविद बनने के आवश्यक गुण हैं। हां, यह जरूर है कि इस पेशे में पैसे से ज्यादा नाम-पहचान अहमियत रखती है। राज्य और केंद्र दोनों ही स्तर पर पुरातत्वविदों के लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण नौकरी देता है। इसके लिए संघ लोक सेवा आयोग या राज्य लोक सेवा आयोग द्वारा विभिन्न पदों के लिए आयोजित की जाने वाली परीक्षा हेतु आवेदन करना होता है। साथ ही पुरातत्व में स्नातकोत्तर विद्यार्थी विभिन्न विश्वविद्यालयों में व्याख्याता पद के लिए भी आवेदन कर सकते हैं। इसके लिए उन्हें विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा आयोजित राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा या जूनियर रिसर्च फैलो की परीक्षा उत्तीर्ण करनी होती है। जूनियर रिसर्च फैलो की परीक्षा पास किए विद्यार्थी को फैलोशिप मिलने के साथ-साथ डॉक्टरेट की डिग्री के लिए पढऩे का अवसर भी मिलता है। हां, अगर किसी राज्य में व्याख्याता का पद चाहिए तो वहां की राज्य स्तरीय पात्रता परीक्षा पास करना जरूरी होता है। पुरातत्वविदों के लिए सरकारी या निजी संग्रहालयों में कलाकृतियों के रख-रखाव व प्रबंधन के स्तर पर भी नौकरी के अवसर होते हैं। पुरातत्व से संबंधित ज्यादातर नौकरियां सरकारी होती हैं, यानि सुरक्षित भविष्य। किसी भी अन्य सरकारी कर्मचारी को मिलने वाली सुविधाएं पुरातत्ववेत्ता को भी उसके पद और उम्र के हिसाब से मिलती हैं। भारत का सांस्कृतिक इतिहास बेहद समृद्ध और हजारों वर्ष पुराना रहा है। इस कारण किसी नए सर्वेक्षण या परियोजना के लिए योग्य पुरातत्वविदों की हमेशा मांग बनी रहती है।
-अजयधीर