30-Nov-2012 06:30 PM
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गुलाबी शहर को अपनी पहली मेट्रो ट्रेन का इंतजार है। काम भी बड़ी तेजी से चल रहा है। सरकार भी निर्धारित समय में इसे पूरा करवाने के लिए संकल्पित है। क्योंकि सरकार को पता है कि मेट्रो के आगमन से चुनावी फायदा मिलना तय है, लेकिन सवाल वही पुराना है कि क्या यह मेट्रो निर्धारित समय में पूरी हो सकेगी। दरअसल जिस वक्त मेट्रो के काम को अंजाम दिया जा रहा था तभी से मेट्रो को लेकर कई बार विवाद खड़े हुए चाहे वह निजी और सरकारी भागीदारी वाला मॉडल अपनाने की बात हो या फिर सरकार द्वारा ढील बरतने वाली बात। हर स्तर पर बहुत सी खामियां देखने में आ रहीं थी जिन्हें सरकार ने दूर करने का प्रयास किया।
फिलहाल तमाम सरकारी बाधाओं के बावजूद ओवरब्रिज और पटरियां बिछाने के काम में अब तेजी आ रही है और इंजीनियरों तथा मजदूरों ने भी काम को गति दी है। लक्ष्य यह है कि वर्ष 2013 में जून माह में मेट्रो दौडऩे लगे। हालांकि मौजूदा हालात को देखे तो यह काम होते संभव नहीं दिख रहा है क्योंकि सरकारी पेंचोखम और अफसरशाही मेट्रो के निर्माण में लगातार बाधा उत्पन्न कर रही है। विश्व के पर्यटन मानचित्र पर प्रमुख रूप से उभर रहा गुलाबी नगर जयपुर राजस्थान का पहला शहर है जहां मेट्रो परियोजना का काम हो रहा है। 300 वर्ष पुराने इस शहर में पर्यटन पिछले दो दशक में तेजी से बढ़ा है, लेकिन उसके साथ ही गंदी बस्तियों और आवागमन के साधनों की कमी ने जयपुर के गुलाबी शहर के नाम को बदनाम भी किया है। परिवहन की समस्या इस नगर में कुछ ज्यादा ही है। इसी कारण सरकार ने जयपुर को विश्वस्तरीय शहर का दर्जा देने की दिशा में कदम उठाते हुए महत्वपूर्ण महत्वाकांक्षी परियोजना जयपुर मेट्रो रेल को अंजाम देने का लक्ष्य बनाया। इस परियोजना के क्रियान्वयन के लिए जयपुर मेट्रो रेल कार्पोरेशन का गठन किया गया है। जयपुर में आबादी तेजी से बढ़ रही है। वर्ष 2025 तक यहां 75 लाख लोग निवास करने लगेंगे और उनकी संख्या बढ़कर 2031 तक 82 लाख हो जाएगा। इसी कारण आवागमन पर ज्यादा दबाव पडऩे लगेगा ऐसे में मेट्रो एक प्रभावी विकल्प साबित हो सकता है। अनुमान है कि मेट्रो के आ जाने से जयपुर की सड़कों पर एक लाख वाहन कम चलने लगेंगे। जयपुर विकास प्राधिकरण का कहना है मेट्रो रेल आने से जयपुर, दिल्ली,कोलकाता, मुंबई, चेन्नई और बेंगलूरु जैसे शहरों की श्रेणी में आ जाएगा। इस समय जयपुर में वाहनों की संख्या 16 लाख है और प्रतिवर्ष 15 लाख पर्यटक यहां आते हैं। इस दृष्टि से आवागमन की सुविधा के लिए मेट्रो रेल आवश्यक है। परियोजना की लागत 9 हजार 100 करोड़ आंकी गई है, लेकिन दिसंबर में सिविल वर्क पूरा होने के आसार नजर नहीं आ रहे हैं। हालांकि ट्रेक व इलेक्ट्रिक कार्य किया गया है पर फरवरी माह में जो ट्रॉयल का लक्ष्य बनाया गया था वह शायद ही पूरा हो सके क्योंकि बहुत सारे स्टेशनों में 50 प्रतिशत के लगभग काम हो पाया है। इस प्रोजेक्ट के लिए दो साल 10 माह का समय लगने की संभावना थी। अन्य प्रदेशों से तुलना करे तो काम में गति दिखाई दे रही है, लेकिन जयपुर में जो लक्ष्य बनाया गया था उसे पूरा करने के लिए दिन रात काम करने की आवश्यकता है। दिसंबर के अंत तक जितना काम होना चाहिए उतना होता दिखाई नहीं पड़ रहा है। निर्माण में देरी मेट्रो ट्रेन की ऐसी समस्या है जिसका समाधान बमुश्किल ही निकल पाता है। बेंगलूरु में 7 किलोमीटर लंबे एलिवेटेड ट्रेक में मेट्रो चालू करने के लिए 5 साल 6 माह का समय लगा था। इसी प्रकार मुंबई में 11 किलोमीटर लंबे एलिवेटेड मेट्रो ट्रेक का काम छह साल से चल रहा है, लेकिन अभी तक पूरा नहीं हुआ। बहरहाल जयपुर में काम अपेक्षाकृत तेज है और इसका श्रेय निश्चित रूप से यहां के कर्मचारियों को देना पड़ेगा।
प्रथम चरण में कोरीडोर का निर्माण कार्य मानसरोवर से चांदपाल तक होगा। इस पर 1250 करोड़ रुपए व्यय होने का अनुमान है। प्रथम चरण के करीब 10 किलोमीटर मार्ग पर नौ स्टेशन होंगे। यह स्टेशन हैं मानसरोवर, न्यू आतिश मार्केट, विवेक विहार, श्यामनगर, रामनगर, सिविल लाइन्स, रेलवे स्टेशन, सिंधी कैम्प और चांदपोल। प्रथम चरण का प्रारम्भिक कार्य नवंबर, 2010 में शुरू कर दिया गया था। प्रथम चरण के कार्यों के लिए 1250 करोड़ रुपए की व्यवस्था की गई है। इसमें से राज्य सरकार द्वारा 600 करोड़, जयपुर विकास प्राधिकरण द्वारा 150 करोड़, राजस्थान आवासन मंडल और रिको लि., द्वारा 100-100 करोड़ उपलब्ध कराया जाएगा और जयपुर मेट्रो रेल कारपोरेशन द्वारा 300 करोड़ रुपए का ऋण लिया जाएगा। अजमेर रोड पर यातायात के दबाव को कम करने के लिए सोडाला से अजमेर पुलिस तक एलीवेटेड सड़क का निर्माण कराया जा रहा है। इस सड़क का निर्माण दिल्ली मेट्रो रेल कारपोरेशन लि., के माध्यम से करवाया जा रहा है। जयपुर मेट्रो के लिए जयपुर विकास प्राधिकरण और दिल्ली मेट्रो रेल कारपोरेशन के मध्य 2 अक्टूबर 2010 को समझौते पर हस्ताक्षर किए गए, जिसकी अनुमानित लागत 200 करोड़ रुपए बताई गई थी और यह कार्य 2 वर्ष में पूरा करने का लक्ष्य था। प्राधिकरण सूत्रों के अनुसार द्वितीय चरण में कोरीडोर प्रथम में प्रस्तावित अम्बावाडी से सीतापुरा और कोरीडोर द्वितीय का बचा हुआ भाग चांदपोल से बड़ी चौपड़ तक क्रियान्वित करने पर करीब आठ सौ पचास करोड़ रुपए खर्च होंगे। इसमें से 20 प्रतिशत का अनुदान भारत सरकार द्वारा तथा 20 प्रतिशत अनुदान राज्य सरकार द्वारा देय है। शेष राशि निजी भागीदारी द्वारा अंश पूंजी व ऋण के रूप में विनियोजित किया जाना प्रस्तावित है। जयपुर मेट्रो रेल 490 खंभों पर दौड़ेगी। जयपुर मेट्रो के प्रत्येक स्टेशन की लंबाई 140 तथा चौड़ाई 20 मीटर होगी। एलिवेटेड मेट्रो स्टेशन की ऊंचाई जमीन से करीब 9 मीटर होगी। स्टेशन से फ्लेटफॉर्म करीब साढ़े 6 मीटर ऊंचाई पर होगा। स्टेशन पर पेड व नोन पेड एरिया अलग होगा। नोन पेड एरिया में शौचालय, सामान खरीदने के लिए कियोस्क, सिग्नलिंग सिस्टम, यूपीएस रूम, कंट्रोल रूम आदि होंगे। पेड एरिया में प्रवेश के लिए स्मार्ट कार्ड या मशीन से लिए टोकन सर्च करने के बाद गेट खुलेगा। हर स्टेशन पर ऑटोमैटिक फेयर कलेक्शन मशीन लगेगी। स्टेशन पर जाने के लिए दो लिफ्ट, दो एस्केलेटर व चार सीढिय़ां होंगी।
द्यआरके बिन्नानी