04-Jul-2015 07:14 AM
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बांग्लादेश में एक दिवसीय सीरीज में भारत की पराजय कई सवाल खड़े कर रही है। डे्रसिंग रूम के भीतर भी एक सीरीज खेली गई। जिसमें दिग्गज खिलाडिय़ों ने राजनीतिक दांव-पेंच चले। महेन्द्र सिंह

धोनी को अलग-थलग करने का प्रयास किया गया। कहा तो यहां तक गया कि कुछ खिलाड़़ी जान-बूझकर खराब खेले ताकि धोनी विदा हो सकें। हर टीम का अच्छा-बुरा दौर चलता है। बांग्लादेश से पराजय निराशाजनक हो सकती है लेकिन इस पराजय का कारण यदि खिलाडिय़ों द्वारा सुनियोजित तरीके से किया गया घटिया प्रदर्शन है, तो फिर यह देश के साथ धोखा ही कहा जा सकता है। टीम को लेकर मुखर होने वाले खिलाडिय़ों में विराट कोहली का नाम सबसे ऊपर है। विराट कोहली ऑस्टे्रलिया मेंं विश्व कप सेमीफाइनल के बाद से लगातार घटिया प्रदर्शन ही करते आ रहे हैं। टेस्ट में भी उनका प्रदर्शन औसत ही रहा। लेकिन बेवजह की आक्रामकता और राजनीति विराट के स्वाभाव में है। इसे छोड़कर यदि वह अपने खेल पर ध्यान देंगे, तो टीम का भला ही होगा। भारतीय टीम की समस्या धोनी नहीं है, बल्कि टीम की एकजुटता है। धोनी हर मौके पर अपना श्रेष्ठ प्रदर्शन करने का प्रयास करते हैं। बांग्लादेश में भी उन्होंने ठीक-ठाक खेल दिखाया लेकिन लगता है टीम कुछ उखड़ रही है। कोच के रूप में रवि शास्त्री की नियुक्ति के वक्त भी बहुत राजनीति हुई थी। पहले राहुल द्रविण को कोच बनाए जाने की योजना थी, लेकिन बाद में रवि शास्त्री का नाम उभरकर सामने आ गया। द्रविण कोच रहते, तो टीम में खेल पर ज्यादा ध्यान दिया जाता। रवि शास्त्री भी अभी टीम से नहीं जुड़ेंगे। हालांकि धोनी को लेकर उनके मन में कोई वैर भाव नहीं है। कप्तान के रूप में धोनी में कोई खराबी नहीं है। लेकिन बांग्लादेश जाने वाली टीम के चयन का आधार खिलाडिय़ों का प्रदर्शन नहीं बल्कि गुडविल ज्यादा थी। विराट कोहली ने हरभजन को मित्रता निभाने के लिए चुना। टेस्ट में बांग्लादेश उतनी बड़ी चुनौती नहीं है लेकिन हरभजन को ले जाना जोखिम ही था। नए खिलाडिय़ों की तलाश की जानी चाहिए। धोनी भी रविन्द्र जडेजा जैसे खिलाडिय़ों के साथ कुछ ज्यादा मित्रता निभाते हैं। खेल के मैदान में रिश्तों का नहीं प्रदर्शन का महत्व है। आईपीएल में कुछ खिलाडिय़ों ने अच्छा प्रदर्शन किया था। यदि उनमें से नए खिलाडिय़ों को रखा जाता, तो शायद सीरीज हाथ भी लगती और विवाद भी नहीं होता। बहरहाल अपनी जमीन पर कई दिग्गज देशों को सीरीज हराकर बांग्लादेश ने यह सिद्ध किया है कि उसे हलके में लेना भारी भूल है। अब बांग्लादेश को विदेश में भी जीतकर दिखाना होगा। भारत पर 2-1 की जीत बांग्लादेश के आत्मविश्वास में वृद्धि करेगी।