05-Jun-2015 09:26 AM
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व्यापमं की कहानी अभी पूरी सामने नहीं आई लेकिन इस कहानी का एक दिलचस्प पहलू यह है कि कहानी के कई अहम किरदारों ने या तो मौत को गले लगा लिया या फिर मौत ने उन्हें अपने

आलिंगन में ले लिया। कभी उमा भारती ने व्यापमं की तुलना चारा घोटाले से की थी। चारा घोटाले में भी कई संदिग्ध मौतें और आत्महत्याएं हुईं। बहुत से गवाहों को कोर्ट तक नहीं पहुंचने दिया गया लेकिन फिर भी कानून लालू यादव की गिरेबान तक पहुंच गया। पर लगता है व्यापमं घोटाले में कानून के हाथ असली गुनहगारों की गिरेबान तक नहीं पहुंच पाएंगे। क्योंकि एसआईटी की रिपोर्ट में ही 32 संदिग्ध मौतों का जिक्र है। इस घोटाले से जुड़े लगभग 40 लोग काल के गाल में समा चुके हैं। जो अंदर हैं, वे इन्हीं 40 लोगों का नाम लेकर इस जांच को गुमराह करने की कोशिश कर रहे हैं। इससे यह साफ हो गया है कि व्यापमं घोटाले को अब एक नए अंजाम तक पहुंचाने की तैयारी की जा रही है। उधर अपुष्ट सूत्रों ने खबर दी है कि व्यापमं घोटाले से जुड़ी 3 प्रभावशाली महिलाएं किसी भी क्षण एसआईटी के जाल में फंस सकती हैं। बाबूलाल गौर ने पहले ही संकेत दे दिया था, अब एसआईटी के सूत्रों ने भी कुछ ऐसा ही संकेत दिया है। हालांकि नामों का खुलासा फिलहाल नहीं किया गया है लेकिन शक की सुई जिन महिलाओं की तरफ इशारा कर रही है उनमें मध्यप्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती जिनका नाम एक्सल शीट में भी है, रंजना चौधरी और अजिता वाजपेयी पांडे शामिल हैं। अजिता वाजपेयी के पति को पहले ही गिरफ्तार किया जा चुका है। नाम एक नहीं अनेक बार इस घोटाले में सामने आ चुके हैं।
व्यापमं अब एक महज घोटाला नहीं है बल्कि यह बॉलीवुड की किसी मर्डर मिस्ट्री के समान दिनों-दिन रहस्यमय होता जा रहा है। भारत के इस सर्वाधिक पेचीदा घोटाले के अनेक वांछित अपराधी अभी भी खुले घूम रहे हैं। जाहिर है इन अपराधियों ने व्यापमं से जुड़े सबूतों की दुर्गत करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। लेकिन 25 से 30 वर्ष की आयु के 32 नौजवानों की असमायिक मृत्यु बहुत से सवाल खड़े कर रही है। एसआईटी की जांच में पता लगा है कि यह सब रहस्यमय परिस्थितियों में मरे। अब एसआईटी इन मौतों की गहन जांच कराने पर विचार कर रही है। इस अति संवेदनशील मामले में दिनों-दिन नए खुलासे हो रहे हैं। 2012 में जब इस घोटाले की परत उघडऩी शुरू हुई थी, उस वक्त इन 40 दिवंगतों में से 32 का नाम प्रमुख घोटालेबाजों के साथ लिया जा रहा था। असमय ही काल के गाल में समा गए ज्यादातर रिकेटियर्स चंबल बैल्ट के रहने वाले हैं, जो उत्तरप्रदेश और मध्यप्रदेश तक फैला हुआ है।
राज्यपाल रामनरेश यादव के पुत्र शैलेश की रहस्यमय परिस्थितियों मेें हुई मृत्यु इस घोटाले से जुड़ी सबसे हाई प्रोफाईल मौत थी। लेकिन इससे पहले जब जबलपुर मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ. डी.के. साकल्ले ने कथित रूप से कैरोसिन उड़ेलकर मौत को गले लगा लिया था, उस वक्त भी कई सवालों ने जन्म लिया था। फार्मासिस्ट विजय सिंह छत्तीसगढ़ की लॉज में मृत पाए गए थे। इसी तरह इंदौर की मेडिकल छात्रा नम्रता दामोर की लाश रेलवे टे्रक पर मिली थी। इनमें से कुछ के नाम एसआईटी की नई सूची में नहीं हैं। ऐसा नहीं है कि विपक्ष ने इन मौतों का संज्ञान नहीं लिया। कांग्रेस के विधायक सचिन यादव ने यह मामला विधानसभा में उठाते हुए सीबीआई जांच की मांग की थी और गृहमंत्री बाबूलाल गौर ने जांच का आश्वासन भी दिया था।
अगर एसआईटी की माने तो इस प्रदेश की तीन प्रभावशाली महिलाएं भी इस पूरे मामले में लिप्त हैं या नहीं यह सवाल खड़ा हुआ है।
बात इसमें दमदार यह है कि जिस दिन सुश्री उमा भारती को एसटीएफ ने नोटिस देकर अपने कार्यालय में बयान दर्ज करने के लिए बुलाया था उसी दिन तत्कालीन डीजीपी नंदन दुबे उनके घर पहुंचकर उनसे उस नोटिस का जवाब बनवाकर ले आए। शक की सूई उसी दिन से उनके ऊपर मंडरा रही है। परंतु वह केन्द्र में भी मंत्री है इसलिए एसटीएफ को तकलीफ आ सकती है उनके उऊपर कार्रवाई करने में अगर मामला ज्यादा पेचीदा हुआ तो सीबीआई जांच हो सकती है। राजेंद्र सिंह गूर्जर ने एसटीएफ में आत्मसमर्पण करने के बाद और नए सवाल खड़े कर दिए हैं।
डॉ. सागर से पूछताछ होगी
पीएमटी घोटाले के मुख्य आरोपी डॉ. जगदीश सागर से प्रवर्तन निदेशालय फिर पूछताछ कर सकता है। पूछताछ के लिए समन जेल अधीक्षक के पास पहुंच गया है। डॉ. विनोद भंडारी, पंकज त्रिवेदी और डॉ. सागर से प्रवर्तन निदेशालय ने पहले भी पूछताछ की थी। निदेशालय ने 20 से ज्यादा आरोपियों के विरुद्ध मनी लॉन्ड्रिंग के तहत मामला दर्ज किया है। 31 मार्च को निदेशालय ने डॉ. सागर की 20 करोड़ से अधिक मूल्य की संपत्ति अटैच कर ली थी, जिसमें मर्सडीज जैसी महंगी कारों के साथ-साथ जमीन के कागजात और तीन किलो सोना भी शामिल था। इस घोटाले के कुछ अन्य आरोपियों की संपत्ति भी अटैच की जा सकती है। उधर पूर्व परिवहन मंत्री जगदीश देवड़ा के पीए रहे राजेंद्र गुर्जर ने एसटीएफ पर जबरन कोरे कागजों पर दस्तखत करवाने का आरोप लगाया है। राजेंद्र पर वन रक्षक भर्ती परीक्षा-2013 में 9 उम्मीदवारों को 50 हजार से 1 लाख रुपए लेकर पास करवाने का आरोप है। देवड़ा के पीए का नाम सामने आने से इस मामले में देवड़ा पर भी गाज गिर सकती है।
-भोपाल से विकास दुबे