सीबीआई जांच होगी
06-Apr-2015 02:33 PM 1234837

प्रेम में पागल आईएएस अफसर डी.के. रवि कुमार ने मौत को गले क्यों लगाया,  इस बात की जांच सीबीआई कर सकती है। दरअसल रवि कुमार कर्नाटक के भू-माफिया और खनन-माफिया के खिलाफ खलनायकÓ बने हुए थे। वे किसी बड़े घोटाले का खुलासा भी करने वाले थे, तभी उनकी आत्महत्या की खबर आ गई। इस खबर ने कर्नाटक को सुलगा दिया। विपक्ष आक्रोशित हो उठा और जनता भी एक ईमानदार आईएएस अफसर की मौत से बौखला गई। राज्यव्यापी प्रदर्शन देखकर लगा कि ईमानदार अफसरों की मौत भी जनता को हिला देती है। राज्य सरकार को ऐसी उम्मीद नहीं थी कि डी.के. रवि कुमार की आत्महत्या आम जनता मेंं इतना बड़ा मुद्दा बन जाएगी। भाजपा ने सदन से राजभवन तक विरोध जताया। भाजपा के अलावा जनता दल एस और अन्य विपक्षी पार्टियों ने भी विरोध प्रदर्शन किया। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने सीबीआई जांच की मांग को लेकर प्रदेशव्यापी आंदोलन खड़ा कर दिया। पुलिस और आंदोलनकारियों के टकराव भी हुए, लाठीचार्ज भी करना पड़ा। उधर केंद्र ने भी सीबीआई जांच की सलाह दे डाली तो सोनिया गांधी ने सीबीआई जांच के लिए राज्य सरकार को निर्देशित किया, अब यह मामला सीबीआई को सौंपा जाएगा।

सीबीआई इस बात की जांच करेगी कि 36 वर्षीय रवि कुमार ने एक तरफा प्रेम में पागल होकर आत्महत्या की है या भू-माफिया सहित तमाम लोग जिन्हें रवि कुमार से खतरा था, उनकी आत्महत्या के लिए दोषी हैं। कर्नाटक के मंड्या जिला पंचायत की सीईओ, आईएएस अधिकारी रोहिणी सिंदूरी दसारी जो कि रवि कुमार की बैचमेट थीं, इस घटना के केंद्र में हैं। रोहिणी का कहना है कि रवि कुमार उनसे एक तरफा प्रेम करते थे और शादी करना चाहते थे। इस एक तरफा पे्रम की जानकारी रवि कुमार की पत्नी को भी थी। प्रेम में पागल रवि कुमार ने खुदकुशी वाले दिन रोहिणी को एक घंटे के भीतर 4 बार फोन लगाया था। रोहिणी का कहना है कि आखरी बार फोन करके रवि कुमार ने कहा कि अब अगले जन्म में मिलेंगे और आत्महत्या कर ली। रोहिणी ने राज्य के मुख्य सचिव कौशिक मुखर्जी को रवि द्वारा किए गए एसएमएस, कॉल्स और ईमेल की जानकारी दी है। रोहिणी शादीशुदा है और इस एक तरफा प्रेम ने उन्हें लंबे समय से परेशान कर रखा था। उन्होंने पहले ही कोई कदम क्यों नहीं उठाया? रवि अपने फेस बुक पेज पर रोहिणी की उपलब्धियों का जिक्र करते थे। रवि का एक तरफा प्रेम इतना जुनूनी हो सकता है, इस बात की आशंका रोहिणी को नहीं थी। 16 मार्च को जब बैंगलुरु में अपने फ्लैट में रवि पंखे से लटके मिले, तो रोहिणी सकते में आ गईं और उन्होंने पुलिस को सब कुछ सच बताने का फैसला किया। रवि के परिजन इस बात से सदमे में हैं। उनकी दादी की हार्ट अटैक से मृत्यु हो चुकी है, पिता ने धमकी दी है कि रवि की मौम का सच सामने नहीं आया तो वे आत्महत्या कर लेंगे। मौत की वजह एक तरफा मोहब्बत निकली तो सरकार और पुलिस दोनों कुछ नहीं कर सकेंगी। जहां तक रोहिणी का सवाल है, वे यदि 2009 में ही रवि कुमार के एक तरफा प्यार की जानकारी पुलिस या काउंसलर्स को दे देतीं, तो शायद रवि को समय रहते समझाया जा सकता था और एक काबिल अफसर की जान बच सकती थी। रोहिणी मानती रहीं कि समय के साथ रवि को समझ में आ जाएगी। कर्नाटक सरकार और राज्य पुलिस उनकी मौत को आत्महत्या बता रही है, पर उनके परिजनों को उनकी मौत के पीछे गहरी साजिश लग रही है। यहां तक कि आईएएस अधिकारियों का एक वर्ग भी उनकी मौत को आत्महत्या मानने से इन्कार कर रहा है। जाहिर है, बिना निष्पक्ष जांच के किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंचा जा सकता, मगर इससे कोई इन्कार नहीं कर सकता कि रविकुमार चुनौतियों से सीधे टकराने वाले शख्स थे। बेंगलुरू में एडिशनल कमिश्नर, टैक्स के पद पर नियुक्ति से पहले कोलार के डिप्टी कमिश्नर के रूप में उन्होंने रियल इस्टेट माफिया की रीढ़ तोड़ दी थी। बिल्डरों और राजनेताओं के मजबूत गठजोड़ से टकराने से उन्होंने गुरेज नहीं किया था। यदि यह तथ्य सही है कि जिन भ्रष्ट बिल्डरों को उन्होंने चुनौती दी थी, उनकी कंपनियों में राज्य की सिद्धारमैया सरकार के भी कुछ मंत्रियों की हिस्सेदारी है, तो इसकी जांच क्यों नहीं होनी चाहिए? यही नहीं, बेंगलुरू में पदस्थ होने के बाद उन्होंने रसूखदार बिल्डरों और ज्वेलरों से बकाया करों की वसूली के लिए अभियान तो चलाया ही, उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई भी की थी। बिहार में राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजना में भ्रष्टाचार उजागर कर जान गंवाने वाले सत्येंद्र दुबे से लेकर, रेत माफिया से टकराने वाली दुर्गा नागपाल और हरियाणा में जमीन घोटाला उजागर करने वाले अशोक खेमका तक कई नाम गिनाए जा सकते हैं, जिन्हें भ्रष्ट व्यवस्था से टकराने की कीमत चुकानी पड़ी है।

द्यमप्र के खनन माफिया से लोहा लेने वाले आईपीएस अधिकारी नरेंद्र कुमार की 8 मार्च 2012 को ट्रैक्टर-ट्रॉली से कुचलकर हत्या कर दी गई थी।

द्यआईएफएस अधिकारी पंडिलापल्ली श्रीनिवास बहुत बहादुरी से हाथीदांत और चंदन की लकड़ी की तस्करी के खिलाफ अपनी लड़ाई लड़ रहे थे। इस दौरान उन्होंने चंदन तस्कर वीरप्पन की नाक में भी दम कर दिया था। वीरप्पन ने उनको फंसाने के लिए एक जाल बिछाया और उनके सामने सरेंडर की पेशकश की। जब श्रीनिवास 10 नवंबर 1991 को वीरप्पन से मिलने पहुंचे तो वीरप्पन ने गला काटकर उनकी हत्या कर दी।

द्यसत्येंद्र दुबे भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) में परियोजना निदेशक के पद पर कार्यरत थे। स्वर्णिम चतुर्भुज परियोजना में व्याप्त भ्रष्टाचार का खुलासा करने वाले दुबे को 12 साल पहले 27 नवंबर 2003 को बिहार के गया सर्किट हाउस में गोली मार दी गई थी। उस समय वह बनारस से एक विवाह समारोह में शामिल होकर घर लौट रहे थे। उन्होंने एनएचएआई में फैले हुए भ्रष्टाचार का खुलासा करते हुए तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपायी को सीधे पत्र लिखा था। भ्रष्टाचार की गंभीरता को देखते हुए सत्येन्द्र ने उस पत्र में अपना नाम गोपनीय रखने का अनुरोध किया था, लेकिन सत्येन्द्र के अनुरोध के बाद भी कार्यालय अधिकारियों ने उस पत्र को सत्येन्द्र के नाम के साथ अलग-अलग विभागों को भेज दिया।

द्यआईआईएम, लखनऊ से पढ़ाई करने वाले शणमुघम मंजुनाथ इंडियन ऑयल कारपोरेशन में बतौर सेल्स मैनेजर कार्यरत थे। मिलावट के चलते यूपी के लखीमपुर खीरी जिले के एक पेट्रोल पंप को महीनों तक सील रखने के कारण साल 2005 में उनकी हत्या कर दी गई थी। पंप दुबारा खुलने के एक महीने बाद मंजुनाथ वहां सरप्राइज रेड के लिए पहुंच गए। उसी रात नमूना लेने के दौरान उनकी गोली मारकर हत्या कर दी गई।  -धर्मवीर रत्नावत

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