04-Apr-2015 02:56 PM
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हार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी बड़े बेदखल होकर सत्ता से भले ही बाहर धकेल दिए गए हों लेकिन बिहार में मांझी महादलित अस्मिता के प्रतीक के रूप में उभर रहे हैं और राज्य में सत्तासीन

जनता दल यूनाइटेड को उनके इस उभार से महाकष्ट तो है ही, जनता दल यूनाइटेड को समर्थन कर रहे राष्ट्रीय जनता दल में भी मांझी को लेकर महामंथन जारी है। हाल ही में राष्ट्रीय जनता दल के सांसद राजेन्द्र रंजन उर्फ पप्पू यादव ने पार्टी सुप्रीमो लालू यादव को कहा है कि जीतनराम मांझी को पार्टी में लिया जाए और मुख्यमंत्री पद का प्रत्याशी घोषित किया जाए। पप्पू यादव की यह मांग बहुत असंगत तथा हास्यास्पद कही जा सकती है, लेकिन इसने बिहार की राजनीति को गर्मा दिया है और लगभग अप्रासंगिक हो चुके जीतनराम मांझी को एक बार फिर चर्चा में ला दिया है। मांझी पहले ही घोषणा कर चुके हैं कि उनकी पार्टी राज्य में सभी विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ेगी। मांझी ने कभी नीतिश पर विधानसभा अध्यक्ष को ब्लैकमेल करने का आरोप भी लगाया था। इसीलिए लालू प्रसाद यादव मांझी से नजदीकी शायद ही बढ़ाएं, फिर भी एक समीकरण ऐसा है जो लालू को सत्ता के आसपास पहुंचा सकता है, वह है कांग्रेस और मांझी के तालमेल से अकेले चुनाव लडऩा। ऐसे हालात में लालू भाजपा के मुकाबले कहीं बेहतर तरीके से एन्टी इन्कम्बैंसी फैक्टर का लाभ उठा सकते हैं। भाजपा नीतिश सरकार के साथ लगभग 7 वर्ष तक रही है इसलिए वह जिम्मेदारी से नहीं बच सकती।
पप्पू यादव ने जो सलाह दी है, उसके मूल में भी यही भय है कि नीतिश के साथ जाने से सत्ता विरोधी रुझान का खामियाजा राष्ट्रीय जनता दल को भी भुगतना होगा। लालू यादव के सुपुत्र तेजस्वी कुमार भी संकेत दे चुके हैं कि अगर नीतिश कुमार गरीबों के लिए अच्छे काम करेंगे तभी लालू यादव की पार्टी उनका साथ देगी अन्यथा नहीं। नकल प्रकरण में बिहार सरकार की कलई खुलने के बाद लालू यादव ने यहां तक कहा कि हमारा राज होता तो हम परीक्षा में किताब दे देते। इस कथन से साफ जाहिर है कि यदि बिहार में आगामी समय में लालू यादव और नीतिश कुमार का गठबंधन जीतता है, तो लालू राज की वापसी होगी। नीतिश को यही चिंता खाए जा रही है लेकिन वे कुछ कर नहीं सकते, उनका भविष्य तो आगामी चुनाव ही तय करेगा। राष्ट्रीय जनता दल और जनता दल यूनाइटेड जैसी पाट्रियों के विलय की बात है चल रही भी। लेकिन यह बातचीत भी अभी अधूरी है क्योंकि इन दलों का विलय होगा, तो कई राजनीतिज्ञों का कॅरियर ही समाप्त हो जाएगा। दल का नेतृत्व कौन करेगा, इस पर भी गंभीर मतभेद उभर सकते हैं। इसलिए फिलहाल तो आगामी 5-6 माह तालमेल की राजनीति चलेगी लेकिन सीट बंटवारे के समय माहौल क्या होगा, कहना मुश्किल है।
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ का अभी भी यह मानना है कि लालू यादव और नीतिश कुमार का गठबंधन तार्किक नहीं है क्योंकि नीतिश लालू राज को समाप्त करके सत्तासीन हुए थे। इसलिए संघ ने बिहार में भाजपा को नीतिश कुमार से दोस्ती करने की सलाह दी है। भाजपा और आरएसएस की कुछ दिन पहले दिल्ली में हुई समन्वय बैठक के दौरान यह संदेश दिया गया। यह बैठक नीतिन गडकरी के निवास पर हुई थी, इसमें संघ की तरफ से भैयाजी जोशी, कृष्णगोपाल और सुरेश सोनी उपस्थित थे। वहीं भाजपा की तरफ से अमित शाह, संगठन महासचिव रामलाल और राजनाथ सिंह अरुण जेटली, नितिन गडकरी जैसे केंद्रीय मंत्री उपस्थित थे। हालांकि इस बात की संभावना नगण्य ही है कि जनता दल यूनाइटेड वापस भाजपा से गठबंधन करेगा लेकिन राजनीति में कुछ भी संभव है। वैसे भी जनता दल यूनाइटेड के बहुत से नेता लालू यादव से गठबंधन किये जाने के पक्ष में नहीं हैं। खुलकर वे भले ही न कुछ कह रहे हों लेकिन दबी जुबान से कई बार यह कहा जा चुका है कि लालू यादव विश्वसनीय सहयोगी नहीं हैं। पर नीतिश इतने आगे जा चुके हैं कि पीछे मुड़कर नहीं देख सकते, उनके आगे कुंआ तो पीछे खाई है। नीतिश ने भाजपा के साथ किसी भी तरह के गठबंधन की संभावना को पूरी तरह खारिज कर दिया है। दिल्ली में भयानक पराजय के बाद भाजपा के तेवर भी नरम पड़े हैं और वह अच्छी तरह समझ गई है कि बिहार में लड़ाई इतनी आसान नहीं होगी। आरएसएस का कहना है कि बिहार के भाजपा कार्यकर्ता केंद्र सरकार के कामकाज से खुश नहीं हैं। दिल्ली मेें कार्यकर्ताओं की उपेक्षा भाजपा को भारी पड़ी थी, बिहार में भी यही हालात हो सकते हैं। बिहार में आम आदमी पार्टी का जनाधार भले ही न हो तब भी उसने चुनाव लडऩे का फैसला किया, तो सत्ता विरोधी रुझान बंटने और लालू-नीतिश गठबंधन को फायदा मिलने का पूरा मौका पैदा हो जाएगा। बिहार की राजनीति इतनी आसान नहीं है इसलिए संघ भाजपा को आगाह कर चुका है। कुछ दिन पहले लालू यादव की बेटी की शादी के दौरान नीतिश कुमार और नरेंद्र मोदी के बीच मुस्कराहटों का आदान-प्रदान हुआ। क्या यह दोनों दलों के लिए नई शुरुआत हो सकती है? फिलहाल तो ऐसा नहीं लगता, लेकिन राजनीति में सब संभव है।
-आरएमपी सिंह