किसानों की कर्ज माफी में घोटाला
19-Mar-2013 08:44 AM 1234778

कांग्रेस को पुन: 2009 में सत्ता में लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली किसान कर्जमाफी योजना में

बड़े घोटाले की आशंका जताई जा रही है। नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक कैग की रिपोर्ट में कहा गया है कि इसके 22 प्रतिशत मामले फर्जी हैं। इस विषय पर संसद में जब रिपोर्ट प्रस्तुत की गई तो भारी हंगामा हुआ और भाजपा ने इसे सरकार की नाकामी बताते हुए जांच की मांग की। कैग की रिपोर्ट में बताया गया है कि अप्रैल 2011 से मार्च 2012 के बीच सरकारी योजना के तहत जिन 90 हजार किसानों के मामले में कर्ज की माफी दिखाई गई है उनमें से लगभग 20 हजार मामले फर्जी थे, कहा जा रहा कि इन फर्जी मामलों में किसानों के कर्ज को बैंकों के अधिकारियों ने गटक लिया। रिपोर्ट से यह बात उभर कर आई है कि इस योजना के तहन न केवल बड़े पैमाने पर जरूरत मंद किसानों को नजरअंदाज किया गया, बल्कि काफी संख्या में ऐसे किसानों को योजना का लाभ पहुंचाया गया जो इसके पात्र ही नहीं थे। अप्रैल 2011 से मार्च 2012 तक 25 राज्यों में 92 जिलों में स्थित ऋणदात्री संस्थाओं की 715 शाखाओं में मूल 90,576 किसानों के खातों को क्षेत्रीय लेखापरीक्षा में शामिल किया गया। 80,299 खाते जिन्हें ऋण माफी और ऋण राहत दी गई, उनमें से 8.5 प्रतिशत मामलों में लाभार्थी न तो ऋण माफी के और न ही ऋण राहत के हकदार थे।
रिपोर्ट में इस बात की चर्चा है कि माफ किए गए मामलों में 34 फीसदी में किसानों को कर्ज माफ कर दिए जाने का प्रमाण-पत्र नहीं दिया गया है। दरअसल, तमाम सरकारी योजनाओं के बावजूद भारत के कई हिस्सों में किसान कर्ज में दबे हुए हैं। वे आत्महत्या करने को मजबूर हैं।
गौरतलब है कि महालेखा परीक्षक की रिपोर्ट मनमोहन सिंह सरकार के लिए हाल के दिनों में मुश्किलों का कारण बनती रही है। इससे पहले 2-जी स्पेक्ट्रम की नीलामी में हुए घोटाले का मामला भी महालेखा परीक्षक की रिपोर्ट की वजह से सामने आ पाया था, जिसकी वजह से कांग्रेस पार्टी की काफी किरकिरी हुई थी। साथ ही कई राजनेताओं को जले की हवा खानी पड़ी थी। उसी तरह कोयला खदानों के आवंटन में हुआ घोटाला भी महालेखा परीक्षक की रिपोर्ट से ही उजागर हुआ था। यह घोटाला वैसे तो 55 हजार करोड़ का बताया जा रहा है और इसकी जड़ें बहुत लंबी हैं। भारतीय जनता पार्टी का कहना है कि सरकार को इस मामले में सभी साढ़े तीन करोड़ खातों की सीबीआई जांच करानी चाहिए। उधर प्रधानमंत्री ने भी आश्वासन दिया है कि इस घोटाले से पर्दा हटाने के लिए वे हर संभव प्रयास करेंगे। लेकिन यह मामला यूं ही शांत हो जाने वाला नहीं है। यह एक बड़ा मुद्दा बन सकता है। क्योंकि कर्ज माफी के भरोसे ही संप्रग सरकार दोबारा सत्ता में आने में सफल रही थी। इसी कारण विपक्ष इस मुद्दे पर सरकार को घेरना चाह रहा है। लेकिन ध्यान देने योग्य तथ्य यह है कि अभी तक सभी किसानों के कर्जे माफ नहीं किए गए हैं। अनुमान है कि आने वाले दिनों में चुनावी माहौल को देखते हुए कांग्रेस वर्तमान कर्जों को माफ करने के साथ-साथ कोई नई घोषणा भी कर सकती है। आंकड़े इस बात की तरफ इशारा करते हैं कि संप्रग को 2009 के आम चुनाव में दोबारा सत्ता में लौटाने में इस स्कीम की अहम भूमिका थी। देश के तीन सबसे ज्यादा संसदीय सीट वाले राज्यों में इस स्कीम को लागू करने को प्राथमिकता दी गई।
देश के कुल माफ किए गए कर्ज का 56 फीसद हिस्सा सिर्फ उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और आंध्र प्रदेश के किसानों को दिया गया। यह महज इत्तेफाक नहीं है कि इन तीनों राज्यों में कांग्रेस संयुक्त तौर पर 72 सीटें जीतने में कामयाब रही। योजना पर कैग की रिपोर्ट में कई संकेतक हैं जो बताते हैं कि स्कीम का केंद्र को किस तरह से राजनीतिक फायदा मिला है। यह स्कीम पूरे देश के किसानों के लिए थी, लेकिन सबसे ज्यादा फायदा जिन राज्यों को दिया गया, वहां कांग्रेस को अधिक सीटें मिलीं। उक्त तीनों राज्यों में वर्ष 2004 के आम चुनाव में संयुक्त तौर पर कांग्रेस को 51 सीटें मिली थी। लेकिन किसान कर्ज माफी योजना को लागू करने के बाद 2009 के चुनाव में 72 यानी लगभग 40 फीसद ज्यादा सीटें मिली। आंध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र में क्रमश: 77.55 लाख, 54.16 लाख और 42.48 लाख किसानों को इस स्कीम का फायदा दिया गया। तीनों राज्य जनसंख्या के लिहाज से देश के सबसे बड़े राज्य है। यह भी एक वजह हो सकती है कि इन राज्यों पर अन्य के मुकाबले कर्ज माफी स्कीम को लागू करने में ज्यादा ध्यान दिया गया। वैसे केरल और मध्य प्रदेश में भी स्कीम के तहत काफी राशि आवंटित की गई।
केरल में पिछले आम चुनाव में कांग्रेस जहां 13 सीटें जीतने में सफल रही थी, वहीं मध्य प्रदेश में भी पार्टी ने सांसदों की संख्या चार से बढ़ाकर 12 कर ली थी। स्कीम के तहत सबसे ज्यादा पैसा जिन राज्यों को दिया गया, उनमें सिर्फ कर्नाटक ही ऐसा है, जहां कांग्रेस को कोई लाभ नहीं मिला। 2008 के बजट में जब वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने इस स्कीम को लागू किया था।
अरुण दीक्षित

 

FIRST NAME LAST NAME MOBILE with Country Code EMAIL
SUBJECT/QUESTION/MESSAGE
© 2025 - All Rights Reserved - Akshnews | Hosted by SysNano Infotech | Version Yellow Loop 24.12.01 | Structured Data Test | ^