ट्रेनों से गिरतीं महिलाएं
18-Mar-2015 12:16 PM 1234783

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाए चौबीस घंटे ही बीते थे कि बिहार के रांची से एक दु:खद खबर आ गई। किसी महिला ने अपनी चार माह की बेटी को पॉलिथीन में लपेटकर चलती

ट्रेन से फेंक दिया था, लेकिन वह बच गई। उसके हाथ में फैक्चर हुआ, लेकिन लगता है कि यह फैक्चर तो सारी मानवता को हो गया है।
इतनी योजनाएं बनाई जा रही हैं, इतने सारे अभियान चलाए जा रहे हैं, चारों तरफ स्त्री सम्मान और सुरक्षा की पुकार हो रही है लेकिन बेटियों को घूड़े पर फेंक दिया जाता है, अकेली महिला को ट्रेन से धकेल दिया जाता है। पेट में 9 माह रखकर पालने वाली माँ से लेकर सीआरपीएफ के जवान तक सभी महिलाओं के दुश्मन बने हुए हैं। इसी वर्ष 29 जनवरी को गणतंत्र दिवस के 3 दिन बाद वाराणसी के निकट रेलवे प्रोटेक्शन फोर्स के कांस्टेबलों ने रीता नामक एक 25 वर्षीय महिला को चलती टे्रन से बाहर फेंक दिया। इन लोगों ने महिला और उसके परिजनों से 35 सौ रुपए की रिश्वत भी ली, लेकिन महिला की जान लेने से भी बाज नहीं आए। भोपाल के बंसल अस्पताल में महीनों तक इलाज करवाने वाली कानपुर निवासी 29 वर्षीय रति त्रिपाठी की कहानी तो और भी दर्दनाक है, जिसे पिछले वर्ष नवंबर माह में करोंदा रेलवे स्टेशन के निकट लुटेरों ने लूट के बाद टे्रन से बाहर फेंक दिया था। करोंदा बीना से 20 किलोमीटर के फासले पर है। रति को ग्रामीणों ने देखा। भोपाल के बंसल अस्पताल में रति का महीनों तक इलाज किया गया और बाद में जब वह स्वस्थ होकर गई तो उसने मध्यप्रदेश की सरकार का धन्यवाद किया, लेकिन रेलवे ने कोई दया नहीं दिखाई। पिछले वर्ष ही अक्टूबर माह में एक 26 वर्षीय महिला को उत्तर प्रदेश के शामली जिले में बदमाशों ने टे्रन से बाहर फेंक दिया था, वह गंभीर रूप से घायल हो गई थी। इससे पहले मई माह में महाराष्ट्र में एक टिकट कलेक्टर ने जनता एक्सप्रेस से सफर कर रही महिला को बाहर फेंक दिया, जिससे 32 वर्षीय महिला उज्जवला नीलेश पंड्या की मृत्यु हो गई।
आए दिन लाखों महिलाएं टे्रन में सफर करती हैं, लेकिन वो सुरक्षित नहीं हैं। उनकी हत्या हो सकती है, उन्हें टे्रन से बाहर फेंका जा सकता है, उनका सामान छीना जा सकता है। भोपाल निवासी सपना श्रीवास्तव की रहस्यमय मृत्यु का कारण भी टे्रन से गिर जाना है। सपना दतिया से हबीबगंज आते समय विदिशा के सुमेर स्टेशन के पास नेवर नदी के पुल पर छत्तीसगढ़ एक्सपे्रस के एसी कोच से नीचे गिर गई थी और उसकी मृत्यु हो गई। पुल से 40 फिट नीचे गिरी सपना के पिता का कहना है कि बेटी की हत्या की गई है। सच्चाई क्या है, यह शायद ही पता लगे। अधिकांश घटनाएं एसी कोच में घट रही हैं, जो अपेक्षाकृत सुरक्षित माने जाते हैं। महिला वॉलीबॉल खिलाड़ी अरुणिमा सिन्हा की कहानी भी इससे मिलती-जुलती है। अरुणिमा सिन्हा को वर्ष 2011 में कुछ लुटेरों ने चलती टे्रन से बाहर फेंक दिया था, जिसके चलते उनका एक पैर काटना पड़ा। पुलिस कुछ नहीं कर पाई। लखनऊ से 11 अपै्रल 2011 को सीआईएसएफ की परीक्षा देने के लिए टे्रन में बैठी अरुणिमा को यह नहीं मालूम था कि यह यात्रा उसे हमेशा के लिए विकलांग बना देगी। उसकी सोने की चैन और बैग छीनने की कोशिश कर रहे बदमाशों ने उसे टे्रन से बाहर धक्का दे दिया। बगल की पटरियों पर आ रही दूसरी टे्रन अरुणिमा के पैर के ऊपर से निकल गई और पैर घुटने से काटना पड़ा। उस समय खेल मंत्रालय ने महज 25 हजार रुपए हर्जाने की पेशकश कर अरुणिमा के साथ हुई दु:खद घटना का मखौल उड़ाया था। अरुणिमा ने हार नहीं मानी और उसने ठीक होने के बाद माउंट एवरेस्ट पर चढऩे वाली पहली विकलांग महिला का खिताब भी हासिल कर लिया। लेकिन सारी महिलाएं इतनी साहसी नहीं होतीं। फिर पुलिस को महिलाओं की उम्र का भी ख्याल नहीं रहता। वर्ष 2013 में मुजफ्फर नगर के पास ही शताब्दी एक्सपे्रस में गलती से बैठे 70 वर्षीय राजेश्वर त्यागी और उनकी वृद्ध पत्नी को जीआरपी के जवानों ने चलती टे्रन से बाहर फेंक  दिया था, जिसमें पत्नी संतोष त्यागी सामने से आ रही एक टे्रन से कटकर मारी गईं और पति गंभीर रूप से घायल हो गए। रेलवे ने हर्जाना देकर अपने कत्र्तव्य की इतिश्री कर ली।
रेलवे और पुलिस से लेकर सारी एजेंसियां महिलाओं के प्रति असंवेदनशील हैं। उनसे टे्रन में बलात्कार हो जाता है, छेड़छाड़ हो सकती है। अक्टूबर 2012 में उत्तरप्रदेश के आईएएस अधिकारी शशिभूषण लाल के खिलाफ एक लड़की से छेड़छाड़ करने का मामला दर्ज किया गया था। यह लड़की गूगल कंपनी में काम करती थी। दिल्ली से लखनऊ के रास्ते में आईएएस अधिकारी ने टे्रन में ही लड़की से बदतमीजी करना शुरू कर दी। मुंबई में अगस्त 2013 में एक अमेरिकी महिला के साथ लोकल टे्रन में लूटपाट हुई। बाकी यात्री देखते रहे, लूटपाट करने वाला महिला का फोन लेकर भाग गया। 2012 में ही 26 जुलाई को मुंबई की ही लोकल टे्रन में एक महिला के साथ बलात्कार की कोशिश की गई थी। फरवरी 2012 में पश्चिम बंगाल के बारानगर क्षेत्र में एक महिला को टे्रन से बाहर खींचकर उसके साथ सामूहिक बलात्कार किया गया। लेकिन टे्रन के अन्दर भी सुरक्षा नहीं है। 5 जनवरी 2013 को एक 25 वर्षीय महिला से दार्जिलिंग से दिल्ली आते वक्त एक सैनिक ने बलात्कार की कोशिश की, जिससे घबराकर महिला ब्रह्मपुत्र मेल से बाहर कूद गई और बुरी तरह घायल हो गई। रेलवे स्टेशनों पर महिलाओं की हत्या और बलात्कार की कई घटनाएं सुनाई पड़ती हैं।
-बिंदु माथुर

 

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