नया साल, नए संकल्प
31-Dec-2014 08:12 AM 1234835

परिवर्तन प्रकृति का नियम है और यही इसकी पहचान भी है। प्रकृति अपने चक्र के अनुसार सदा बदलती रहती है और इसी कारण हमें इसमें कहीं पर भी पुरानापन नजर नहीं आता। सूरज नित नए रूप में हमारे सामने प्रकट होता है एक नयी ऊर्जा लेकर, तारों की टिमटिमाहट भी हमसे बहुत कुछ कहती है, चाँद भी जब अपने शबाब पर होता है तो वह भी हमें आकृष्ट करता है अपनी और, सुबह-सुबह किसी दूर पहाड़ पर सूरज की लालिमा हमें नया जीवन जीने की और प्रेरित करती है, और वहीं घास पर पड़ी ओस की बूदें हमें जीवन के हर पल को सजीवता से जीने का सन्देश देती हैं।

चिडिय़ों का चहचहाना हमें एक नए संसार की कल्पना करने को प्रेरित करता है और वहीँ पर फूलों का मुस्कुराना, हर पल हंसना जीवन के प्रति सकारात्मक दृष्टि प्रदान करता है। कहीं दूर पहाड़ की चोटी से एक नन्ही सी बूंद झरने का रूप लेकर नदी में मिल जाने के लिए बेताब और कहीं खेतों से आती मिटटी की सोंधी खुशबू, कहीं किसान का हल चलाना, और कहीं गडरिये का अपनी भेड़ों के बीच गीत गाना, कहीं किसी दूर गांव में बच्चों का खिलखिलाकर हंसना और वहीँ किसी नयी-नवेली दुल्हन के हाथों में चूडिय़ों का खनकना, यह सब कुछ हमारे सामने घटित होता है और हम रोमांच से भर उठते हैं। ऐसा वातावरण है कि हमें किसी की कोई चिंता नहीं, कोई परवाह नहीं, कोई अपना नहीं-कोई बैगाना नहीं।
मानो सब कुछ प्रकृति का है और हम इसकी गोद में जीवन को जीने का भरपूर आनंद ले रहे हैं, ऐसे माहौल में तो जीवन का हर पल सुखद है, आनंदित है। लेकिन आज के दौर में इस धरा पर ऐसा वातावरण कहाँ किसको नसीब होता है, कहीं किसी सुदूर क्षेत्र में भी ऐसा देखने को नहीं मिलता। सब और एक अंधी दौड़ है एक दुसरे से आगे निकलने की, लेकिन आप कितना भी दौड़ लो, कितना भाग लो समय का कोई मुकाबला नहीं कर सकता। यह एक कटु सत्य है आप समय के साथ नहीं चल सकते, आप एक पक्ष से उसे पकडऩे की कोशिश करते हो वह कहीं और अपूर्णता देकर निकल जाता है और हम उसकी राह ताकते रह जाते हैं। यह इसका स्वभाव भी है और इसी कारण समय हमेशा एक अबूझ पहली बना हुआ है। समय की अपनी चाल है उसे समझ पाना मुश्किल ही नहीं, ना मुमकिन भी है। इसलिए जो भी इस धरा पर आया एक दिन समय के साथ उसे भी अपना चोला बदलना पड़ा, यहाँ कुछ भी शाश्वत नहीं सिवाय समय के और इसका पहिया निरंतर घूम रहा है, एक गति से। इस गति को समझने की कोशिश हर कोई करने का प्रयास करता है लेकिन अंतत: असफलता हाथ ही लगती है, अंत में वह खुद को ठगा हुआ ही महसूस करता है, लेकिन इतना कुछ होने के बाबजूद भी दूसरे के लिए यह पहली अबूझ बनी रहती है और यही समय की बड़ी ताकत भी है ।
समय को हम सेकेण्डों, मिनटों, घंटों, दिनों, सप्ताहों, महीनों और सालों में गिनते हैं, यह सिर्फ हमारी सुविधा के लिए है और यह होना भी चाहिए। अब अगर हम यह कह ही रहे हैं कि एक जनवरी को नया साल शुरू होता है तो फिर क्योँ न सबको इस उपलक्ष पर शुभकानाएं प्रेषित की जाएँ। यह मानवीय स्वभाव भी है और यह हमारी एक दुसरे के प्रति संवेदनशीलता, प्रेम और सम्मान को भी दर्शाता है, एक तरीके से यह व्यवाहर मानवीय मूल्यों के बिलकुल करीब भी बैठता है। दो व्यक्तियों का एक-दूसरे के लिए ख़ुशी का कारण बनना अच्छा है और यही शुभकामना का एक व्यावहारिक पहलू भी है। लेकिन एक प्रश्न यहाँ सहज रूप से उभर कर आता है कि क्या सिर्फ शुभकामना शब्द कह देने से हम किसी के लिए खुशी का कारण बन सकते हैं ? बहुत गहरे में उत्तर कर देखा तो लगा कि आंशिक रूप से ऐसा होता है, लेकिन किसी के लिए सचमुच ही ख़ुशी का कारण बनना है तो हमें कर्म रूप में उस शुभकामना के पूर्ण होने के लिए प्रयासरत होना पडेगा तभी कहीं जाकर सार्थक परिणाम प्राप्त किये जा सकते हैं और जो ऐसा करने में सक्षम होता है वही वास्तविक रूप से शुभकामना को सार्थक करता है। हम देख रहे हैं कि पिछले कुछ वर्षों में मनुष्य के नैतिक मूल्यों में निरंतर गिरावट हो रही है, ऐसी घटनाएँ घटित हो रही हैं जिनके बारे में कल्पना भी नहीं की जा सकती, लेकिन आये दिन हम देख ही रहे हैं कि मानव किस कदर गिर रहा है, इस नववर्ष में हम ऐसा संकल्प करें कि हम नैतिक मूल्यों को जीवन में ज्यादा तरजीह दे पायें। इस धरा पर मनुष्य ही नहीं जितनी भी प्रकृति है (जड़ और चेतन) वह परमात्मा की अभिव्यक्ति है, सबमें खुदा बसता है, लेकिन कुछ स्वार्थी और अक्ल के दुश्मनों ने इसे कई प्रकार से बांटा है।

मनुष्य-मनुष्य में जाति, भाषा, धर्म, क्षेत्र और रंग आदि के आधारों पर भेद किया है और इसी कारण आये दिन विश्व में अशांति फ़ैल रही है, मनुष्य-मनुष्य के खून का प्यासा बना फिर रहा है। भाषा के नाम पर झगडे हो रहे हैं, जाति के नाम पर लोग कट रहे हैं, ऐसे भयावह दृश्य में हमें और सजग होकर कार्य करने की जरुरत है, जिससे मानवीय मूल्यों की स्थापना हो पाए और मानव उच्च आदर्शों के अनुरूप जीवन जीते हुए अपना जीवन सफऱ तय कर पाए।

  • केवल राम
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