17-Dec-2014 06:33 AM
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नवंबर माह की ही बात है जब ऑस्ट्रेलिया में जी-20 समिट के दौरान पुतिन बीच से ही वापस लौट आए थे और उससे पहले जब वे ऑस्ट्रेलिया में थे, रूस का एक जंगी बेड़ा ऑस्ट्रेलियाई समुद्र में गस्त लगा रहा था। पुतिन के इस अनोखे व्यवहार ने दुनिया के नेताओं को आश्चर्यचकित कर दिया। भारत ने भी थोड़ा असहज महसूस किया। रूस भारत का पुराना और विश्वसनीय मित्र है। हालांकि शीत युद्ध की समाप्ति और रूस के बिखराव के बाद भारत के मैत्री के स्वरूप में परिवर्तन आया है, किंतु इस आधार पर रूस की महत्ता को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
इस साल जुलाई में जब पीएम मोदी और रूस के राष्ट्रपति ब्लादीमिर पुतिन की मुलाकात हुई तो नरेंद्र मोदी का एक जुमला बड़ा चर्चित हुआ था और वो ये था कि भारत में बच्चा भी जानता है कि रूस भारत का सबसे अच्छा दोस्त है। दिल्ली में राष्ट्रपति पुतिन से मुलाकात में भी मोदी के स्वर यही थे। उन्होंने कहा कि दोस्तों के विकल्पों के बावजूद रूस भारत के लिए बेहद अहम है। पुतिन के एक दिन के दौरे में 16 करार भी हुए और आपसी रिश्ते मजबूत करने की दिशा में बड़ी अच्छी अच्छी बातें भी हुईं। लेकिन इस बीच कहानी में ट्विस्ट भी आ गया था। पुतिन की डेलिगेशन में सर्गेई एक्सिनोव नाम के एक व्यक्ति शामिल थे जो रूस के हड़पे हुए क्रिमिया के नेता हैं। भारत में इनकी मौजूदगी ने दुनिया भर में हेडलाइन बटोरे और अमेरिका को नाराज भी कर दिया था। अगले साल जनवरी में बराक ओबामा के यात्रा के पहले इस पूरे चैप्टर ने मोदी सरकार को मुश्किल में डाल दिया है।
क्या भारत, अमेरिका और रूस के बीच में संतुलन बना पाएगा। क्या रूस और पाकिस्तान की बढ़ती दोस्ती भारत के लिए खतरे की घंटी है? यहां इन्हीं सवालों के जवाब खोजने की कोशिश की जा रही है। राष्ट्रपति पुतिन की यात्रा के दौरान भारत के प्रधान मंत्री मोदी ने कहा कि रूस भारत का सबसे बड़ा रक्षा पार्टनर है और किसी भी चुनौती के समय भारत रूस के साथ खड़ा रहेगा। मोदी ने कहा कि बदले हालात में भी रूस पर भारत की विदेश नीति में कोई बदलाव नहीं आयेगा। भारत ने क्रीमिया और उक्रेन मसले पर रूस पर प्रतिबंध का समर्थन नहीं किया है। रूस ने भी मेक इन इंडिया अभियान में भारत का सहयोग करने का वायदा किया है। राष्ट्रपति पुतिन के इस दौरे के दौरान भारत और रूस के बीच द्विपक्षीय कारोबार बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण करारों पर हस्ताक्षर किए गये हैं।
अपनी भारत यात्रा के दौरान राष्ट्रपति पुतिन ने कहा कि समय बदला है लेकिन भारत के साथ हमारी दोस्ती में कोई बदलाव नहीं आया है। पुतिन ने यह भी कहा कि भारत और रुस के बीच रक्षा संबंध साझा उत्पादन और विकास के दौर में पहुंच गये हैं। पुतिन की इस यात्रा के दौरान हुए करार के तहत रूस भारत को 20 साल में 12 नए न्यूक्लिय रिएक्टर देगा। इसके अलावा तमिलनाडु के कुडनकुलम में लगाई जाने वाली तीसरी और चौथी परमाणु ऊर्जा यूनिट के लिए भी रूस और भारत के बीच करार हुए हैं। भारत में रूस द्वारा हेलीकॉप्टर बनाए जाने के लिए भी एक करार किया गया है। इसके अलावा पुतिन की भारतीय यात्रा के दौरान रूस से हीरा खरीद के लिए 130 अरब का करार, एस्सार-रोसनेट के बीच 1 करोड़ टन क्रूड एक्सपोर्ट करार और एनएमडीसी और एक्रान के साथ पोटाश खनन समझौता भी हुआ है।
भारत और रूस के बीच संबंधों पर नजर डालें तो देखते हैं कि दोनों देशों के रिश्ते बनते बिगड़ते रहे हैं। आजादी से पहले ही भारतीय नेताओं की रूस से नजदीकी रही है। 1955 में जवाहर लाल नेहरू रूस गए। शीतयुद्ध के दौरान भारत को सामरिक मामलों में रूस का सहयोग मिलता रहा। 1991 में सोवियत रूस के टूटने के बाद हालात बदलने लगे और इन बदले हालातों में भारत और अमेरिका की नजदीकियां बढऩे लगीं। इसी बीच भारत ने हथियारों के लिए अमेरिका, इज्राइल और फ्रांस से बड़े सौदे किए। जिससे रूस में नाराजगी पैदा होने लगी। दूसरी तरफ रूस और पाकिस्तान के बीच रक्षा संबंध और रूस द्वारा पाकिस्तान को एमआई-35 हेलीकॉप्टर बेचने से भारत में नाराजगी पैदा हुई। लेकिन अब पुतिन की भारत यात्रा से भारत और रूस के बीच बर्फ पिघलती नजर आ रही है। अगर भारत और रूस के संबंधों को कारोबारी नजरिए से देखें तो इसमें अपार संभावनाएं हैं। भारत और रूस के बीच 2011 में 8.87 अरब डॉलर का कारोबार हुआ था जो 2013 में बढ़कर 10.01 अरब डॉलर हो गया। वहीं 2013 में अमेरिका के साथ भारत का 63.7 अरब डॉलर का और चीन के साथ 65.47 अरब डॉलर का कारोबार हुआ। तुलनात्मक रुप से देखें तो भारत और रूस के बीच बहुत कम स्तर पर कारोबार होता है जिसको बढ़ाने की अपार संभावनाएं हैं।
