जहां मैं गूंजता हूंदीवारें हैं..खामोशी हैं...सन्नाटा है.......और कुछ साएएक समन्दर-सा है, वक़्त कामैं तैरता हूंघर है मेराजहां मैं गूंजता हूंमेरी ही आंखेंदीवारों पर उभर आती हैंघूरती हैं मेरा ही अक्सहर कहीं उभर आता हैमैं गुजऱता हुआमैं ठहरा हुआदीवारों की चंद गलियों मेंमैं डोलता हुआघर है मेराजहां मैं गूंजता हूं....