मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान इन दिनों एक्शन मोड में हैं। वे ताबड़तोड़ निर्णय कर रहे हैं। अब इसी कड़ी में उन्होंने प्रदेश के नाफरमान और नाकारा अफसरों पर गाज गिराने की तैयारी शुरू कर दी है। इसके लिए उन्होंने मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस को निर्देश दिया है। बताया जाता है कि मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद सीएस ने नाफरमान और नाकारा अफसरों की कुंडली बनवानी शुरू कर दी है। यह इस बात का संकेत है कि आगामी दिनों में प्रदेश में बड़े स्तर पर प्रशासनिक फेरबदल होगा।
गौरतलब है कि दिल्ली में हुई भाजपा कोर कमेटी की बैठक में प्रदेश में नाफरमान अफसरों पर चर्चा हुई थी। संघ के राष्ट्रीय सह सर कार्यवाह अरुण कुमार व राष्ट्रीय संगठन महामंत्री बीएल संतोष ने कोर कमेटी की बैठक में तीन चार अधिकारियों के नाम का भी उल्लेख किया और कहा कि ये इतने पावरफुल कैसे हो गए हैं कि मंत्रियों तक के फोन नहीं उठाते। दिल्ली से लौटने के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस को निवास पर बुलाकर लंबी चर्चा की। बताया जाता है कि नाफरमान अफसरों पर जल्द ही लगाम लगाई जाएगी और उन्हें स्पष्ट निर्देश दिए जाएंगे कि विभाग का मुखिया मंत्री होता है, उनकी बात सुने और समन्वय बनाकर कार्य करें।
जानकारी के अनुसार वर्तमान में कई विभागों में हालात यह है कि प्रमुख सचिव व विभागाध्यक्ष मंत्रियों के पत्रों का जवाब तक नहीं देते। बताया जाता है कि मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव के बीच मंत्रियों और प्रमुख सचिवों के बीच चल रहे विवाद सहित कई मुद्दों पर चर्चा हुई। अति विश्वसनीय सूत्रों का कहना है कि जल्द ही बड़ा प्रशासनिक फेरबदल कर नाफरमान अफसरों को इधर-उधर किया जाएगा। जानकारी के अनुसार दर्जन भर मंत्री अपने प्रमुख सचिव व विभागाध्यक्षों की कार्यप्रणाली से परेशान हैं। परेशानी का सबसे बड़ा कारण मंत्रियों द्वारा लिखे गए पत्रों का प्रमुख सचिव व विभागाध्यक्ष द्वारा जवाब भी न देना है। सभी विभागों में तबादलों पर प्रतिबंध है, लेकिन एक विभागाध्यक्ष ने मनमाने तरीके से अधिकारियों के तबादले कर दिए। इसकी जानकारी मंत्री को मिली तो उन्होंने तबादले निरस्त करने और प्रतिबंध के समय तबादले बिना समन्वय के न करने के निर्देश दिए, लेकिन आदेश का पालन नहीं हुआ। मंत्री ने इसकी जानकारी मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस को भी दी है।
कई मंत्री ऐसे हैं जिनकी उनके विभाग के अफसर तनिक भी नहीं सुन रहे हैं। बताया जाता है कि आदिम जाति व अनुसूचित जाति कल्याण मंत्री मीना सिंह की विभाग की प्रमुख सचिव डॉ. पल्लवी जैन गोविल और आयुक्त जनजातीय विकास संजीव कुमार सिंह से लंबे समय से विवाद चल रहा है। मंत्री का कहना है कि दोनों उनकी बात को तवज्जो नहीं देते। वाणिज्य कर मंत्री जगदीश देवड़ा की प्रमुख सचिव दीपाली रस्तोगी और आयुक्त राजीव दुबे बिल्कुल नहीं सुन रहे हैं। कई बार तो प्रमुख सचिव फोन भी नहीं उठाती। किसान कल्याण व कृषि विकास मंत्री कमल पटेल के एसीएस अजीत केसरी व संचालक कृषि प्रीति मैथिल नायक, खाद्य तथा नागरिक आपूर्ति मंत्री बिसाहूलाल सिंह की प्रमुख सचिव फैज अहमद किदवई, नगरीय विकास व आवास मंत्री भूपेंद्र सिंह की आयुक्त नगरीय विकास निकुंज श्रीवास्तव, खनिज मंत्री ब्रजेंद्र प्रताप सिंह की प्रमुख सचिव सुखवीर सिंह, ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर की प्रमुख सचिव संजय दुबे, पंचायत व ग्रामीण विकास मंत्री महेंद्र सिंह सिसोदिया के प्रमुख सचिव उमाकांत उमराव तथा आयुक्त नरेगा सूफिया वली से पटरी नहीं बैठ रही है। मंत्रियों और अधिकारियों के बीच तालमेल न होने से कामकाज प्रभावित हो रहा है। इसका सीधा असर आम जनता पर पड़ता है। बताया जाता है कि विवाद का कोई बड़ा कारण नहीं है, लेकिन जिन पर मंत्रियों व अफसरों में समन्वय बनाने की जिम्मेदारी है, उन्होंने चुप्पी साध रखी है। इसी कारण स्थिति और खराब है। इसके पूर्व कभी इतनी विवाद की स्थिति नहीं बनी।
प्रदेश में 15 मई से तबादलों पर से हटेगा प्रतिबंध
प्रदेश में जल्द ही तबादलों पर से प्रतिबंध हटेंगे। प्रतिबंध हटाने से पहले सरकार कैबिनेट में नहीं तबादला नीति लाने वाली है। इस नीति में कई ऐसे प्रावधान हैं जो तबादलों को पारदर्शी बनाएंगे। जानकारी के अनुसार तबादला नीति में सबसे पहले अनुसूचित क्षेत्रों में रिक्त पदों की पूर्ति करने ट्रांसफर होंगे। अनुसूचित क्षेत्रों में शत-प्रतिशत पदों की पूर्ति होने के बाद गैर अनुसूचित क्षेत्रों में खाली पदों को भरा जाएगा। मंत्रालयीन सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार प्रदेश में संभवत: 15 मई से 15 जून के बीच कर्मचारियों के स्थानांतरण किए जा सकेंगे। वर्ष 2022-23 की तबादला नीति अगली कैबिनेट में आने की संभावना है। जीएडी द्वारा तैयार किए गए मसौदे के तहत बड़े विभागों में 5 फीसदी ही तबादले किए जा सकेंगे। सबसे पहले गंभीर अनियमितताओं और लापरवाही में दोषी कर्मचारियों को हटाया जाएगा। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार नई तबादला नीति में शासकीय सेवक के खिलाफ अत्यंत गंभीर शिकायत, अनियमितता और गंभीर लापरवाही में दोषी पाए जाने पर उन्हें हटाया जाएगा। इनमें कुछ जिलों के कलेक्टर, जिला पंचायत सीईओ, डीएसपी, एसडीएम आदि के नाम शामिल हैं। सूत्रों की मानें तो इस मामले में मुख्यमंत्री निर्देश दे चुके हैं कि लापरवाही करने वालों को बख्शें नहीं। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने पिछले दिनों दिल्ली में बुलाई मप्र भाजपा कोर कमेटी की बैठक में कुछ अफसरों की कार्यप्रणाली को लेकर नाराजगी दर्ज कराई थीं। ऐसे अफसरों को भी सरकार फील्ड से हटाकर मुख्यालय अथवा लूपलाइन में भेज सकती हैं। इनमें कुछ बड़े अफसरों के नाम भी शामिल बताए जाते हैं।
- सुनील सिंह