अप्रैल में मप्र सरकार ने एक तरफ जहां लाखों बिजली उपभोक्ताओं के बिल माफ कर राहत दी है, तो वहीं दूसरी ओर महंगी बिजली का झटका मिलने जा रहा है। मप्र बिजली नियामक आयोग के 2.64 फीसदी प्रति यूनिट बिल बढ़ाने को हरी झंडी मिलने के बाद बिजली वितरण कंपनी जल्दी ही नए दरों से बिल उपभोक्ताओं को थमाने जा रही है। कंपनी के अधिकारियों के अनुसार बिजली की दरों में 2.64 फीसदी प्रति यूनिट की बढ़ोतरी की गई है। हालांकि नई दरें कब से लागू होगी, इस संबंध में कोई आदेश नहीं मिला है। संभवत: इस माह के अंत तक नए टैरिफ लागू कर दिए जाएंगे। नया टैरिफ अप्रैल के बिलों से ही लागू होगा। यानी मई में मिलने वाला बिजली बिल संभवत: जोर का झटका दे सकता है।
नई दरों के अनुसार प्रति यूनिट बिजली 8 पैसे से लेकर 12 पैसे तक महंगी हो जाएगी। वहीं फिक्स चार्ज भी 5 से लेकर 12 रुपए तक बढ़ जाएगा। कंपनी के अधिकारियों ने बताया कि राज्य विद्युत नियामक आयोग ने 2022-23 के लिए प्रदेश से 45 हजार 971 करोड़ रुपए की जरूरत बताई है। वर्तमान विद्युत दर में राजस्व अंतर की राशि 1,181 करोड़ रुपए है और उसकी भरपाई के लिए ही बढ़ोतरी की गई है। 50 यूनिट तक की खपत के मौजूदा दाम 4.13 रुपए है, जबकि नए दाम 4.21 रुपए होंगे। फिक्स चार्ज 64 रुपए से बढ़कर 69 रुपए प्रति कनेक्शन हो गया। 51 से 150 यूनिट तक की खपत के दाम 5.05 रुपए से बढ़कर 5.17 रुपए किए गए हैं। फिक्स चार्ज 109 रुपए से बढ़ाकर 121 रुपए प्रति कनेक्शन हो गया है। 150 से 300 यूनिट तक की खपत का मौजूदा दर 6.45 रुपए है और नई दरें 6.55 रुपए हो गई हैं, वहीं फिक्स चार्ज 24 रुपए से बढ़कर 26 रुपए हुआ। 300 यूनिट से ज्यादा की खपत की दर 6.65 से बढ़कर 6.74 रुपए हो गई है।
उधर, बिजली की कमी ने प्रदेश सरकार की तैयारियों की पोल खोल दी है। वैसे तो प्रदेश में 22 हजार मेगावाट बिजली की उपलब्धता के दावे किए जा रहे थे लेकिन साढ़े 12 हजार मेगावाट बिजली की मांग पहुंचते ही संकट खड़ा हो गया। बिजली मामलों के जानकार अब सवाल कर रहे हैं कि जब प्रदेश के पास 22 हजार मेगावाट बिजली का करार है तो फिर संकट क्यों हो रहा है। इधर, मप्र पावर जनरेशन कंपनी के तापगृह में भी महज चार दिन का कोयला ही बचा हुआ है। जिससे साफ है कि फुल लोड पर इकाईयां चली तो उन्हें कोयले की कमी के कारण बंद करना पड़ सकता है। बीते 22 अप्रैल को प्रदेश में हर घंटे बिजली की कमी के कारण अघोषित कटौती की गई।
प्रदेश में बिजली संकट की सबसे बड़ी वजह कोयला है। माइंस से रेलवे की रैक पर्याप्त नहीं मिल पा रहे हैं इस वजह से कमी है। ज्यादातर इकाईयां कोयले से बिजली बनाती है। इसके अलावा बिजली की बैकिंग इस समय होती है क्योंकि रबी सीजन के लिए ज्यादा बिजली की जरूरत होती है। कुछ बिजली को अन्य एक्सचेंज के जरिए बेचा जा रहा है। ऐसे में कृत्रिम बिजली की कमी बनी हुई है।
प्रदेश सरकार के बिजली उपलब्धता के 22 हजार मेगावाट के दावे पर प्रबंध संचालक मप्र पावर मैनेजमेंट कंपनी विवेक पोरवाल ने कहा कि 22 हजार मेगावाट अलग-अलग श्रेणी में बिजली के करार है। कोयला से बनने वाली बिजली का 14 हजार मेगावाट हिस्सा है जिसमें 80 फीसदी ही इकाई से बिजली उत्पादन होता है जो करीब 10-11 हजार मेगावाट है। इसके अलावा हवा, न्यूक्लियर, सोलर से बिजली मिलती है। कई बार मौसम और हवा नहीं चलने से इनका हिस्सा पर्याप्त नहीं मिलता है। विवेक पोरवार के अनुसार प्रदेश में कहीं कोई बिजली का संकट नहीं है। कभी थोड़ी कमी होती है तो एक्सचेंज के जरिए खरीद ली जाती है। उन्होंने माना कि रबी सीजन के लिए प्रदेश में 600 मेगावाट बिजली बैकिंग की जा रही है, वहीं कुछ बिजली बेच रहे हैं। कोयले की कमी को लेकर भी कहा कि इस बारे में उनके पास बहुत बेहतर जानकारी नहीं है लेकिन कोयले की कमी नहीं है।
वहीं मप्र में कोयले की कमी और बिजली संकट को लेकर मचे सियासी घमासान के बीच प्रदेश के ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर का कहना है कि कुछ परेशानियां हैं जिनका समाधान हम युद्ध स्तर पर कर रहे हैं। मप्र में कोयले की कोई कमी नहीं है। गर्मी अधिक बढ़ गई है, ऐसे में बिजली की मांग भी बढ़ी है तो उत्पादन भी बढ़ाने की आवश्यकता है। जितनी मात्रा में कोयला चाहिए उतने कोयले की समय पर व्यवस्था हो जाएगी, प्रदेशवासियों को चिंतित होने की जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा कि पिछली बार भी कोयला संकट को लेकर सवाल खड़े हुए थे हमने तब भी कहा था कि कोयले की कमी नहीं आने दी जाएगी। साथ ही कहा कि अगर मप्र में प्राकृतिक आपदा आ गई तो बात अलग है, लेकिन हम कमी होने का संकट नहीं होने देंगे। इसको लेकर हमने रेल मंत्री, केंद्रीय ऊर्जा मंत्री, कोयला मंत्री से बात की है और हम दिन-प्रतिदिन कोशिश कर रहे हैं कि हमें पर्याप्त कोयला प्राप्त हो। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि गर्मी में खपत बढ़ी है जैसे किसी शादी में बारातियों की संख्या 30 के जगह 100 आ जाती है तो उसकी व्यवस्था हमें करनी पड़ती है। अचानक जो मांग बढ़ गई है उसकी व्यवस्था हम कर रहे हैं। उपभोक्ताओं को कोई परेशानी नहीं होने देंगे।
282 से 1600 मेगावाट तक हुई कमी
मप्र में विगत 22 अप्रैल को रात्रि 12 बजे से हर घंटे बिजली की कमी बनी रही। इसमें सिर्फ सुबह 9 बजे 11 बजे के बीच बिजली मांग के अनुरूप मिली। इसके अलावा कमी के दौरान अघोषित कटौती की गई। शाम 7 बजे सबसे कम 282 मेगावाट की कमी बनी रही। उस वक्त 11,138 मेगावाट की मांग प्रदेश में थी। इसके बाद सबसे ज्यादा कमी शाम 4 बजे 1612 मेगावाट की हुई। उस समय बिजली की दिन की सर्वाधिक मांग 12,680 मेगावाट थी। बिजली विभाग के निर्धारित मांग और आपूर्ति के बीच अंतर को कटौती के माध्यम से पूरा किया गया। गांव में बिजली की अघोषित कटौती 4-5 घंटे की हुई।
- राजेश बोरकर