मंदिरों पर मेहरबानी
03-Mar-2020 12:00 AM 968

प्रदेश में वैसे तो मुख्यमंत्री स्वयं योगी हैं, लेकिन इस बार उन्होंने बजट में मंदिरों के रखरखाव और विकास पर मोटी राशि का प्रावधान कर यह दर्शा दिया है कि वे कितने धार्मिक हैं।

उत्तर प्रदेश विधानसभा में वर्ष 2020-21 के लिए 5,12,860.72 करोड़ रुपए का बजट पेश किया गया। राज्य के वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने सदन में बजट पेश करते हुए जानकारी दी कि बजट में 10,967.80 करोड़ रुपए की नई योजनाओं का प्रावधान किया गया है। बजट में धार्मिक स्थलों पर विशेष ध्यान दिया गया है। अयोध्या में उच्च स्तरीय पर्यटक अवस्थापना सुविधाओं के विकास के लिए 85 करोड़ रुपए का आवंटन किया गया है। वहीं अयोध्या हवाई अड्डे के लिए 500 करोड़ रुपए का प्रस्तावित हैं।

वाराणसी में संस्कृति केंद्र की स्थापना के लिए बजट में 180 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है। इसके अलावा गोरखपुर के रामगढ़ ताल में वाटर स्पोट्र्स के लिए 25 करोड़ रुपए, वाराणसी के काशी विश्वनाथ मंदिर के लिए 200 करोड़ रुपए का भी प्रावधान किया गया है। खन्ना ने कहा कि मेरठ, गाजियाबाद, फिरोजाबाद, अयोध्या, गोरखपुर, मथुरा-वृंदावन और शाहजहांपुर को स्मार्ट सिटी के रूप में विकसित किया जाएगा। बजट में कानपुर मेट्रो रेल परियोजना के लिए 358 करोड़ रुपए, आगरा मेट्रो रेल परियोजना के लिए 286 करोड़ रुपए तथा गोरखपुर और अन्य शहरों की मेट्रो के लिए 200 करोड़ रुपए का प्रस्तावित किए गए हैं।

उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने राज्य की योगी आदित्यनाथ सरकार द्वारा विधानसभा में पेश आम बजट को आंकड़ों की बाजीगरी बताते हुए इसे प्रदेश के किसानों, युवाओं, महिलाओं और गरीबों के जले पर नमक छिड़कने जैसा करार दिया है। लल्लू ने बजट पर प्रतिक्रिया में कहा कि 450 रुपए प्रति क्विंटल गन्ने का मूल्य देने की घोषणा करके सत्ता में आने वाली भाजपा तीन वर्षों में मात्र गन्ने के मूल्य में 10 रुपए की ही वृद्धि कर पाई है। उन्होंने कहा कि युवा बेरोजगारों की तादात पिछले दो वर्षों में 12.5 लाख बढ़ गई, लेकिन उनके लिए नए रोजगार देने के बजाय बजट में सेवानिवृत्त शिक्षकों को माध्यमिक शिक्षा बोर्ड में नौकरी देने की घोषणा बेरोजगार युवाओं के साथ विश्वासघात है। वहीं कौशल विकास योजना भी छलावा साबित हुई।

लल्लू ने 18 मंडलों में अटल आवासीय विद्यालयों की स्थापना की घोषणा को भी झूठ का पुलिंदा करार देते हुए इसे पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी द्वारा शुरू किए गए नवोदय विद्यालयों को खत्म करने की साजिश बताया। उन्होंने कहा कि कृषि पर लागत कम करने, खाद, बीज, पानी, कृषि यंत्र, कीटनाशक, बिजली वगैरह के दामों में कमी का कोई प्रावधान बजट में नहीं किया गया है जबकि पिछले तीन वर्षों में अनिवार्य कृषि उपयोग की इन चीजों के दामों में 50 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हो चुकी है। इसके मुकाबले किसानों के उपज मूल्य में की गई बढ़ोत्तरी नगण्य है। लल्लू ने कहा कि शिक्षा मित्र, आंगनबाड़ी, रसोइया, आशा बहू, रोजगार सेवक, चौकीदार, होमगार्ड, अनुदेशक एवं मदरसा शिक्षकों के लिए बजट में कुछ भी नहीं है जो अत्यंत निराशाजनक है। समाजवादी पार्टी ने उत्तर प्रदेश सरकार के बजट को 'पुरानी बोतल में नया पानीÓ करार दिया और कहा कि इस बजट में प्रदेश के किसानों, छात्रों, युवाओं, महिलाओं और आम आदमी के लिए कुछ भी नहीं है। बजट के बाद विधानसभा में विपक्ष के नेता समाजवादी पार्टी के राम गोविंद चौधरी ने कहा कि यह बजट गरीब विरोधी, किसान विरोधी, मजदूर विरोधी, पिछड़ा वर्ग विरोधी, अल्पसंख्यक विरोधी, दलित विरोधी, महिला विरोधी, नौजवान विरोधी है।

उन्होंने कहा, राज्य की वास्तविक स्थिति यह है कि प्यार, दया के हंसते हुए माहौल को खराब कर दिया गया है। 5,12,860.72 करोड़ रुपए का इनका बजट है, पुरानी बोतल में नए पानी को रखा गया है। पिछले बजट के पैसों का क्या हुआ यह इन्होंने कुछ बताया नहीं और इस बजट में केवल अनुमान है। इस बजट से समाज के किसी वर्ग को कोई फायदा नहीं होगा। किसी भी तबके का कोई हित नहीं है। उन्होंने कहा कि यह बजट दिशाहीन है और जनता के खिलाफ है।

बसपा की अध्यक्ष मायावती ने बजट को जनता की अपेक्षाओं के साथ छलावा बताते हुए कहा है कि बजट में सरकार ने जो बड़े-बड़े वादे और दावे किए हैं वे पूरी तरह से खोखले हैं। राज्य की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने बजट पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए ट्वीट कर कहा, 'उप्र सरकार का विधानसभा में पेश बजट जनता की आशाओं व आकांक्षाओं के साथ छलावा है। इस बजट से प्रदेश का विकास और यहां की 22 करोड़ जनता का हित एवं कल्याण संभव नहीं है।Ó उन्होंने कहा, 'यही बुरा हाल इनके (योगी सरकार) पिछले बजटों का भी रहा है, जो जनहित एवं जनकल्याण के मामले में भाजपा की कमजोर इच्छाशक्ति का परिणाम है।Ó

अंकोरवाट की तर्ज पर अयोध्या में इक्श्वकुपुरी

अयोध्या विवाद के अंत के बाद अब योगी आदित्यनाथ की योजना इस धर्मनगरी को विश्व प्रसिद्ध पर्यटन स्थल बनाने की है। इसके लिए योगी सरकार अयोध्या में कंबोडिया के अंकोरवाट की तर्ज पर नई नगरी बसाएगी। इक्श्वकुपुरी के नाम से बसाए जाने वाले इस क्षेत्र से अयोध्या में न केवल अंतरराष्ट्रीय बल्कि उच्च वर्ग के देशी पर्यटकों को भी आकर्षित करने की योजना है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का ड्रीम प्रोजेक्ट माने जा रहे इक्श्वकुपुरी के निर्माण के बाद पर्यटन की दृष्टि से यह लोगों की सबसे पसंदीदा जगह बनेगी। प्रदेश सरकार का मानना है कि अध्यात्म और पर्यटन के अनूठे आकर्षण वाली इक्श्वकुपुरी से अयोध्या में न केवल व्यावसायिक गतिविधियां बढ़ेंगी बल्कि रोजगार के नए अवसर खुलेंगे।

-  लखनऊ से मधु आलोक निगम

 

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