महाराष्ट्र में कोरोना को लेकर किए गए लॉकडाउन के बीच एकबार फिर से सियासी हलचल शुरू हो गई है। एक ओर जहां महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा नेता नारायण राणे ने राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी से उनके आवास पर मुलाकात कर राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग की। वहीं दूसरी ओर उद्धव ठाकरे के घर पर एक गुप्त बैठक हुई। इसके साथ ही राजनीतिक गलियारों में चर्चा शुरू हो गई है कि क्या महाराष्ट्र में महाविकास आघाडी सरकार खतरे में है? या फिर केंद्र सरकार कोई बड़ा फैसला लेने की तैयारी में है? जानकारी के मुताबिक, महाराष्ट्र में सत्ता का केंद्र बने मातोश्री (उद्धव ठाकरे के घर) पर, एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार, मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और शिवसेना नेता संजय राउत के बीच गुप्त बैठक हुई। यह बैठक महत्वपूर्ण इसलिए भी है क्योंकि लंबे अंतराल के बाद एनसीपी सुप्रीमो मातोश्री पहुंचे थे। हैरान करने वाली बात यह है कि विधानसभा चुनाव नतीजों के बाद 36 दिन तक चले सत्ता के संघर्ष के बीच एक बार भी शरद पवार मातोश्री नहीं गए, और इस वक्त में उनका मातोश्री जाना कई सवाल खड़े कर रहा है।
इससे पहले राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने एनसीपी प्रमुख शरद पवार को मिलने के लिए राजभवन बुलाया। उनके साथ एनसीपी नेता प्रफुल्ल पटेल भी थे। 20 मिनट तक की मुलाकात के बाद बाहर निकलकर प्रफुल्ल पटेल ने कहा, 'राज्यपाल के बुलावे पर हम यहां आए हैं। हमारे बीच कोई राजनीतिक चर्चा नहीं हुई।Ó हालांकि, प्रफुल्ल पटेल का यह बयान लोगों के गले नहीं उतरा कि अगर राजनीतिक चर्चा नहीं करनी थी, तो फिर राज्यपाल ने शरद पवार को मिलने क्यों बुलाया था? इन सब घटनाक्रम के बीच शरद पवार ने बयान जारी कर कहा कि उद्धव सरकार के ऊपर कोई खतरा नहीं है। कांग्रेस की मदद से सरकार स्थिर है। जो अटकलें लगाई जा रही हैं, वह बेबुनियाद हैं। उन्होंने कहा कि मैं राज्यपाल से मिलने जरूर गया था, लेकिन यह शिष्टाचार भेंट थी। तमाम विषयों पर उनसे बातचीत हुई। मुझसे राज्यपाल ने कहा कि मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे अच्छा काम कर रहे हैं। उद्धव से मातोश्री से मिलने पर लग रहीं अटकलों पर उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में कोरोना की स्थिति पर बातचीत के लिए उद्धव से मिलने गए थे। कोरोना को लेकर यह बैठक हुई। मालेगांव में कोरोना की स्थिति पर भी चर्चा हुई। बाला साहेब की यादें भी ताजा हुईं। शिवसेना नेता संजय राउत ने कहा है कि कोरोना का इलाज और ठाकरे सरकार को गिराने का डोज अब तक विरोधियों को नहीं मिला है, संशोधन जारी है। विरोधी खुद ही क्वारैंटाइन हो जाएं यही सही रहेगा। महाराष्ट्र को अस्थिर करने का प्रयास सफल नहीं होगा। साथ ही उन्होंने कहा कि शरद पवार और मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने मातोश्री में डेढ़ घंटे तक बातचीत की। अगर कोई सरकार की स्थिरता के बारे में खबरें फैला रहा है, तो इसे उनके पेट का दर्द माना जाना चाहिए। सरकार को कोई चिंता नहीं है।
सूत्रों के मुताबिक करीब 20 दिन पहले देवेंद्र फडणवीस, चंद्रकांत पाटिल और अमित शाह के बीच एक बार मंत्रणा हो चुकी है। इसके बाद ही भाजपा ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को टारगेट करना शुरू किया है। सरकार के खिलाफ राज्य भर में भाजपा का आंदोलन, भाजपा नेताओं का सोशल मीडिया पर शिवसेना के खिलाफ आक्रामक होना, देवेंद्र फडणवीस का सीधे उद्धव ठाकरे को टारगेट करना। केंद्रीय रेल मंत्री पीयूष गोयल का उद्धव ठाकरे पर सीधा हमला बोलना और एनसीपी के खिलाफ मौन रहना किसी स्ट्रेटेजी का भाग हो सकता है। राजनीतिक विश्लेषकों की नजर में सरकार और राजभवन के बीच विभिन्न मुद्दों पर लगातार बढ़ते जा रहे टकराव के मद्देनजर यह सामान्य संकेत नहीं है। मुंबई और दिल्ली के राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा है कि भाजपा जल्द से जल्द कुछ भी करके महाराष्ट्र की सत्ता में वापसी चाहती है। फिर चाहे वह शिवसेना के साथ हो या शिवसेना के बगैर। दिल्ली के सूत्रों का यह भी कहना है कि महाराष्ट्र में भाजपा की सत्ता का रास्ता राजभवन से ही निकलेगा। इसीलिए भाजपा लगातार राज्य में इस तरह का माहौल बनाने की कोशिश कर रही है, जिसमें राजभवन राजनीति के केंद्र में रहे।
भाजपा नेता नारायण राणे ने कहा, 'सरकार कुछ नहीं कर सकती। लोगों की जान नहीं बचा सकती है। सरकार विफल हो रही है। इस सरकार में कोरोना से सामना करने की क्षमता नहीं हैं। इसलिए राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाया जाना चाहिए।Ó राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी से मुलाकात के बाद राणे ने सेना बुलाने की भी बात कही है। राणे ने कहा, 'हमने राज्यपाल से अनुरोध किया है कि लोगों की जान बचाने, उनको सही इलाज देने के लिए महानगरपालिका और राज्य सरकार के अस्पतालों को सेना के हवाले कर दिया जाए।Ó राणे ने दावा किया है कि उद्धव ठाकरे अनुभवहीन मुख्यमंत्री हैं जो पुलिस और प्रशासन को नहीं चला सकते हैं। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार के अस्पतालों की हालत खराब है।
कुछ तो पक रहा है
पिछले कुछ दिनों के घटनाक्रम को देखते हुए महाराष्ट्र की राजनीति में दखल रखने वालों को यह लग रहा है कि राज्य की राजनीति में कुछ तो पक रहा है। राज्य की महाविकास आघाड़ी सरकार खासकर शिवसेना और राज्यपाल के बीच बढ़ते टकराव और राज्य में कोरोना वायरस के अनियंत्रित होते जाने की खबरों के बीच राष्ट्रपति शासन की चर्चा के चलते शरद पवार का राज्यपाल से मिलने जाना कई तरह की राजनीतिक चर्चाओं को जन्म दे रहा है। इसकी एक बड़ी वजह शरद पवार के साथ एनसीपी नेता प्रफुल्ल पटेल का राजभवन जाना भी है। क्योंकि, प्रफुल्ल पटेल अपने गुजराती कनेक्शन की वजह से केंद्र की राजनीति में अमित शाह और नरेंद्र मोदी के भी करीबी माने जाते हैं।
- मुंबई से बिन्दु माथुर