केन-बेतवा लिंक परियोजना को अब जल्द ही रफ्तार मिलेगी। दिल्ली से आई 10 सदस्यीय टीम ने यहां बुंदेलखंड के 13 जिलों में तीन दिन सर्वे किया और सिंचाई विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक की। रिपोर्ट तैयार कर अब केंद्र सरकार को दी जाएगी। अधिकारियों के मुताबिक दो दशक से लंबित परियोजना पर अब जल्द कार्य शुरू हो सकेगा। बुंदेलखंड में सिंचाई और पेयजल समस्या को देखते हुए पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने वर्ष 2002 में केन-बेतवा लिंक परियोजना की आधारशिला रखी थी। इस परियोजना के जरिए बुंदेलखंड की दो बड़ी नदी केन एवं बेतवा को आपस में जोड़कर बारिश के पानी को बर्बाद होने से रोका जाएगा, ताकि बारिश के पानी का संग्रहण और सही उपयोग हो और प्यासा बुंदेलखंड हरियाली से भरा क्षेत्र बने। पहले शुरुआती दौर में यह परियोजना उप्र और मप्र में जमीन के विवाद में उलझी रही।
कई दौर की बैठक के बाद मामला निपटा तो पिछले वर्ष फरवरी में केंद्र सरकार ने परियोजना के लिए 44 हजार 605 करोड़ रुपए बजट में मंजूर किए। इसके बाद परियोजना के अमलीजामा पहनाने की पूरी संभावना बन गई। अब इसे धरातल पर उतारने के उद्देश्य से तेजी से काम किया जा रहा है। बुंदेलखंड के 13 जिले इस परियोजना से जुड़े हैं। दिल्ली से राष्ट्रीय जल विकास प्राधिकरण (केंद्रीय जल आयोग), केंद्रीय मृदा एवं पदार्थ अनुसंधान केंद्र व जिला लॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया की सात सदस्यीय टीम ने दो दिन पूर्व बुंदेलखंड में सर्वे के लिए डेरा डाला। यहां 18, 19 व 20 मई को मप्र के 9 जिले पन्ना, टीकमगढ़, छतरपुर, सागर, दमोह, दतिया, विदिशा, शिवपुरी और रायसेन और उप्र के बांदा, महोबा, झांसी और ललितपुर में टीमों ने सिंचाई विभाग के अधिकारियों के साथ मौके पर सर्वेक्षण किया और रिपोर्ट तैयार की। बांदा जनपद में केन नदी में दो बैराज बनाए जाने हैं, इसके लिए मौके का जायजा लिया। साथ ही मप्र के दोधन बांध को भी देखा। इसके अलावा नहरों के रिमाडलिंग का भी काम होना है। टीम में आए अधिकारियों ने अधीक्षण अभियंता और अधिशासी अभियंताओं के साथ बैठक की और परियोजना को लेकर चर्चा की। राष्ट्रीय जल विकास अभिकरण के डायरेक्टर जनरल एवं केंद्रीय बेतवा लिंक परियोजना प्राधिकरण के सीईओ भोपाल सिंह ने प्रशासनिक कामकाज के बंटवारे की रूपरेखा निर्धारित की जा रही है। सर्वेक्षण रिपोर्ट भारत सरकार को सौंपी जाएगी। इसके बाद आगे कार्य के लिए निर्णय लिया जाएगा।
केन-बेतवा लिंक प्रोजेक्ट के तहत ढोढन (पन्ना) में डैम बनाकर केन के पानी को रोका जाएगा। यहां से 220.624 किलोमीटर की नहर बनाकर केन का पानी बरुआसागर (झांसी) से निकली बेतवा नदी में छोड़ा जाएगा। इसमें दो किलोमीटर लंबी सुरंग भी बनाई जाएगी। केन नदी का पानी बेतवा नदी में ट्रांसफर किया जाएगा। दोनों नदियों को जोड़ने के लिए 220.624 किलोमीटर लंबी केन-बेतवा लिंक नहर बनाई जाएगी।
बुंदेलखंड क्षेत्र के बांदा सहित 13 जिलों के 62 लाख लोगों को इस परियोजना से बेहतर पेयजल आपूर्ति होगी। दो लाख हेक्टेयर में सिंचाई होगी। केन-बेतवा लिंक परियोजना की वजह से पन्ना टाइगर रिजर्व का आधा क्षेत्र डूब जाएगा। ऐसे में पार्क के वन्य प्राणियों को दूसरे स्थान पर सुरक्षित बसाने के लिए कोर एरिया को विस्तार देने की योजना है। इसके लिए पार्क से सटे 21 गांवों के लोगों को विस्थापित किया जाएगा। इनमें पन्ना जिले के 7 और छतरपुर के 14 गांव हैं। राज्य सरकार ने राजपत्र में अधिसूचना प्रकाशित कर दी है। इसी के साथ छतरपुर एवं पन्ना कलेक्टर ने संबंधित गांवों में संपत्ति का सर्वे शुरू करा दिया है। अगले 6 से 8 महीने में सर्वे का काम पूरा होने की संभावना है। उधर, दोनों नदियों पर बनने वाले ढोढन बांध को लेकर तमाम तरह के निर्णय लेने का अधिकार रखने वाली केन-बेतवा लिंक परियोजना अथारिटी का कार्यालय इसी हफ्ते भोपाल में खुल जाएगा। विश्वेश्वरैया भवन में अथारिटी को जगह दी गई है। इसके बाद छतरपुर जिले में भी कार्यालय खोला जाएगा।
परियोजना का काम एक कदम आगे बढ़ा है। राजस्व और जल संसाधन विभाग के अधिकारियों की राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर बैठकें शुरू हो गई हैं। बांध में अब सबसे बड़ी अड़चन पार्क है। जहां से पहले वन्यप्राणियों को दूसरी जगह शिफ्ट किया जाना है। इसकी कार्यवाही तेज हो गई है। छतरपुर कलेक्टर ने राजस्व अमले को सर्वे में लगा दिया है। इसमें गांव के प्रत्येक रहवासी की कृषि भूमि, आवासीय भूमि सहित अचल संपत्ति का आंकलन किया जा रहा है। इस काम के पूरा होने के बाद लेंड ट्रांसफर (राजस्व से वनभूमि में परिवर्तित) की जाएगी। आगे की कार्रवाई उसके बाद ही शुरू होगी। इनमें से 10 गांव डूब क्षेत्र में आ रहे हैं। इनमें छतरपुर जिले के ढोढन, खरियानी, भोरखुआं, पलकौहां, सुकवाहा, कुपी, नैगुवां, शाहपुरा, मैनारी, पाठापुर शामिल हैं। इनकी भूमि सरकार अधिग्रहीत करेगी। उल्लेखनीय है कि इस परियोजना से मप्र और उप्र के बुंदेलखंड क्षेत्र को सिंचाई एवं पीने का पानी मिलेगा।
कोर एरिया का होगा विस्तार
डूब क्षेत्र के बाहर रहने वाले 11 गांवों में पार्क के कोर एरिया का विस्तार किया जाएगा। पार्क की 6 हजार 17 हेक्टेयर भूमि डूब रही है। इसमें से 4141 हेक्टेयर भूमि कोर एरिया की है। इसकी भरपाई छतरपुर और पन्ना जिले के गांव कोनी, मरहा, पाठापुर, कटहरी-बिल्हारा, मझौली, कोनी, गहदरा, खमरी, कूड़न, नैगुवां, डुंगरिया, घुघरी, बसुधा, कदवारा का विस्थापन होगा। इन गांवों की 4396 हेक्टेयर भूमि चिन्हित की गई है।
- सिद्धार्थ पांडे