जमीनों का कारोबार
03-Nov-2020 12:00 AM 1161

 

अभी तक एकेवीएन अपने स्तर पर ही जमीनों के आवंटन से लेकर विकास कार्यों और अन्य महत्वपूर्ण निर्णय खुद कर लेता था, लेकिन एक साल पहले एकेवीएन का मर्जर एमपीआईडीसी यानी मध्यप्रदेश औद्योगिक विकास निगम में कर दिया गया, उसके बाद से ही सारी फाइलें भोपाल जाने लगीं और आवंटन सहित तमाम कार्य ठप पड़े हैं। इतना ही नहीं 30 से 40 लाख रुपए एकड़ की औद्योगिक जमीन अब 95 लाख रुपए एकड़ तक कर दी गई है। वहीं विकास शुल्क सहित अन्य राशि भी बढ़ा दी गई। नतीजतन अब उद्योग निवेश के लिए कम ही तैयार होंगे, क्योंकि इससे सस्ती जमीन निजी क्षेत्र से हासिल हो जाएगी, जहां पर लीज, मैंटेनेंस से लेकर अन्य राशि भी नहीं चुकानी पड़ेगी।

वर्षों पहले एकेवीएन को लूप लाइन माना जाता था। यानी उसमें एमडी के पद पर तबादला होकर आने वाले अधिकारी सिर्फ टाइम पास करते थे। मगर वर्तमान कलेक्टर मनीष सिंह की जब एकेवीएन इंदौर में पोस्टिंग हुई तो उन्होंने उसका ढर्रा बदल दिया। कॉर्पोरेट शैली में दफ्तर बनाया, जो कि अब आईटी पार्क खंडवा रोड में शिफ्ट हो गया है। अभी तक एकेवीएन इंदौर ही पीथमपुर और अन्य औद्योगिक क्षेत्रों से संबंधित सारे महत्वपूर्ण निर्णय ले लेता था और पिछले एमडी कुमार पुरुषोत्तम ने भी जमकर काम किया और बड़े पैमाने पर निवेश भी आया, जबकि देशभर में आर्थिक मंदी थी, लेकिन पीथमपुर में धड़ाधड़ उद्योग खुलते रहे। उसके बाद सालभर पहले एकेवीएन को एमपीआईडीसी यानी मध्यप्रदेश औद्योगिक विकास निगम में मर्ज कर दिया गया। जबकि इंदौर एकेवीएन ही सबसे अधिक राजस्व अर्जित करके देता रहा, लेकिन अब सारी फाइलें भोपाल जाने लगीं, जहां आसानी से अनुमतियां नहीं दी जाती हैं, जिसके चलते उद्योगों को परेशानी हो रही है और अब कोई नया निवेश भी कम आएगा। पहले 30 से 40 लाख रुपए प्रति एकड़ तक उद्योगों की थी, जो अब 95 लाख रुपए प्रति एकड़ तक हो गई है। इसी तरह मैंटेनेंस यानी रखरखाव पहले 2 से 4 रुपए प्रति स्क्वायर फीट था, वह अब बढ़कर 8 रुपए स्क्वायर फीट कर दिया गया। वहीं 6 महीने पहले 50 प्रतिशत प्रीमियम की राशि भी बढ़ा दी गई। अभी कल ही एक नए आदेश के जरिए विकास शुल्क की राशि भी लगभग दो गुना तक कर दी है।

गौरतलब है कि पीथमपुर में स्मार्ट इंडस्ट्रीयल पार्क जो विकसित किया गया वह अत्यंत सफल साबित हुआ, जिसके सारे भूखंडों की बिक्री हो चुकी है और मुश्किल से 2-4 भूखंड ही बचे हुए हैं। वहीं मध्यप्रदेश औद्योगिक विकास निगम अब पीथमपुर औद्योगिक निवेश सेक्टर 4 और 5 को विकसित करने की तैयारी कर रहा है। पहले एकेवीएन अलग था, मगर अब उसे एमपीआईडीसी में ही मर्ज कर दिया गया है। इसके इंदौर रीजन के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर रोहन सक्सेना का कहना है कि पीथमपुर निवेश क्षेत्र और प्रबंधन योजना 2016 में लागू की गई थी, जिसमें औद्योगिक विकास में निजी भू-धारकों को पार्टनर बनाते हुए भूमि अधिग्रहण के लिए लैंड पुलिंग योजना 2019 में लागू की गई। अभी सेक्टर 4 और 5 के लिए 586 हैक्टेयर यानी लगभग 1400 एकड़ जमीनों पर पहले और दूसरे चरणों में विकास किया जाना है और इन्फ्रास्ट्रक्चर के लिए लगभग 550 करोड़ रुपए की राशि खर्च होगी। इस पूरे प्रोजेक्ट को दो चरणों में विकसित करने की अनुमति शासन ने भी सितंबर में हुई कैबिनेट बैठक में दे दी थी, जिसके चलते 121 किसानों की लगभग निजी 320 हैक्टेयर यानी 800 एकड़ जमीन लैंड पुलिंग पद्धति से अधिग्रहित की जा रही है और इन सभी किसानों ने भी जमीन अपनी सहमति दे दी है। एमपीआईडीसी के पास पहले से अविकसित भूमि 76.19 के अलावा सरकारी भूमि 189. 90 एकड़ भी मौजूद है। इस तरह निजी, सरकारी और अविकसित कुल जमीन 586 हैक्टेयर होती है, जिसमें यह प्रोजेक्ट अमल में लाया जाना है। जमीन मालिक और एमपीआईडीसी के बीच भूमि हस्तांतरण अभिलेख यानी अनुबंध निष्पादित किया जाएगा। उक्त अनुबंध के आधार पर दोनों पक्ष, जिनमें भूमि स्वामी और एमपीआईडीसी अपने-अपने हिस्से के भूखंड अन्य किसी को भी विक्रय कर सकेंगे। भूमि स्वामियों को दिए जाने वाले मुआवजे की गणना कलेक्टर गाइडलाइन के मुताबिक कृषि भूमि के मूल्य की दोगुना राशि, जिसका 20 प्रतिशत नकद और शेष 80 प्रतिशत विकसित आवासीय और वाणिज्यिक भूमि के रूप में गाइडलाइन के मान से ही आवंटित किया जाएगा। इसके लिए 20 प्रतिशत जो नकद राशि दी जाना है वह लगभग 95 करोड़ रुपए होती है, जो एमपीआईडीसी को शासन से प्राप्त होगी और उसका वितरण किया जाएगा।

उद्योगों के लिए 800 एकड़ जमीन लैंड पुलिंग से लेंगे

मध्यप्रदेश औद्योगिक विकास निगम पीथमपुर में सेक्टर 4 और 5 को विकसित कर रहा है। नए भूमि अधिग्रहण कानून और उसके बाद शासन द्वारा घोषित की गई लैंड पुलिंग पॉलिसी 2019 को अमल में लाते हुए 121 किसानों की लगभग 800 एकड़ निजी जमीनों को आपसी सहमति से अधिग्रहित किया जा रहा है, जिसमें नकद मुआवजे के रूप में 20 प्रतिशत राशि और शेष 80 प्रतिशत आवासीय और वाणिज्यिक भूमि के रूप में आवंटित की जाएगी। दो चरणों में कुल 1400 एकड़ से अधिक जमीनों को विकसित किया जाना है, जिसमें लगभग 600 एकड़ जमीन सरकारी भी शामिल है। इस पूरी योजना पर 550 करोड़ रुपए इन्फ्रास्ट्रक्चर पर खर्च होने का अनुमान लगाया गया है, जिसकी मंजूरी पिछले दिनों हुई कैबिनेट बैठक में दी गई।

- जितेन्द्र तिवारी

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