इश्क से हारी हिंसा
21-Mar-2020 12:00 AM 980

 

छत्तीसगढ़ के नक्सली प्रभावित जिले दंतेवाड़ा में पुलिस ने नक्सलियों के खिलाफ इश्क को हथियार बना लिया है। नतीजा यह निकल रहा है कि इश्क के आगे हिंसा हार रही है। प्रेमी-प्रेमिकाओं के लव लेटर पढक़र नक्सली सरेंडर कर रहे हैं और समाज की मुख्य धारा से जुड़ रहे हैं। ताजा मामले में एक लाख की ईनामी महिला नक्सली जयमती ने पुलिस के सामने सरेंडर किया है। जयमती को अपने प्रेमी लक्ष्मण का खत मिलने के बाद उसने सरेंडर का फैसला लिया। दंतेवाड़ा पुलिस की अनूठी पहल के जरिए चार अन्य नक्सलियों को भी सरेंडर करवाया जा चुका है।

दंतेवाड़ा एसपी अभिषेक पल्लव बताते हैं कि जयमती खतरनाक नक्सलियों में से एक है। इस पर एक लाख रुपए का ईनाम तक रखा हुआ था। इसके पास नक्सलियों के लिए प्रचार-प्रसार की जिम्मेदारी थी। यह युवक-युवतियों को नक्सली बनाने का काम कर रही थी। 20 फरवरी 2020 को जयमती को गुप्त सूत्रों के जरिए उसके प्रेमी लक्ष्मण का लव लेटर भिजवाया गया। पहले लक्ष्मण भी नक्सली था, मगर लक्ष्मण नक्सलवाद का रास्ता छोडक़र पुलिस में शामिल हो गया था। प्रेमी लक्ष्मण ने प्रेमिका जयमती को खत में लिखा कि वह सरेंडर करने के बाद अच्छी जिंदगी जी रहा है। उसकी तमन्ना है कि जयमती भी उसके साथ खुशहाल जिंदगी बिताए। प्रेमी के खत का जयमती पर असर हुआ और उसने नक्सलवादियों के नियमों के खिलाफ जाकर शादी और बच्चों वाली जिंदगी चुनना बेहतर समझा। नक्सली शादी और बच्चों वाली जिंदगी के खिलाफ होते हैं।

एसपी अभिषेक पल्लव के मुताबिक प्रेमी लक्ष्मण का लव लेटर मिलने के बाद नक्सली जयमती ने जवाबी खत भेजा और सरेंडर करने की इच्छा जताई। साथ ही उसने आशंका जताई कि नक्सली उस पर विशेष नजर रख रहे हैं। सरेंडर करने के प्रयास में उसकी जान को खतरा हो सकता है। जयमती ने सरेंडर के लिए अपने खत में 7 मार्च 2020 का दिन और जगह का उल्लेख किया, जिस पर पुलिस ने सुरक्षा के पुख्ता बंदोस्त करके उसका सरेंडर करवाया और अपने साथ लेकर आई। दंतेवाड़ा एसपी अभिषेक पल्लव कहते हैं कि एक नक्सली ने पूर्व में सरेंडर किया था। वह एक नक्सली महिला से प्यार करता था, जो एनकाउंटर में मारी गई। इसके बाद से वह दुखी रहने लगा। ऐसे में पुलिस को लगा कि नक्सलियों की हिंसा पर इश्क भारी पड़ सकता है। वैलेंटाइन 2020 पर दंतेवाड़ा पुलिस ने पता लगाया कि कौन-कौन से नक्सली महिला-पुरुष अब सामान्य जिंदगी जी रहे हैं। ऐसे चार जोड़े मिले। उनसे खत लिखवाए गए और खत में हिंसा छोडक़र खुशहाल जिंदगी की अपील की गई, जिसका सकरात्मक परिणाम सामने आए हैं।

यही नहीं करीब आधा दर्जन मुठभेड़ व कई निर्दोष ग्रामीणों की हत्या में शामिल सुकमा जिले के गादीरास थानाक्षेत्र के मानकापाल की रहने वाली देवे सोढ़ी ने सीमावर्ती प्रदेश के मलकानगिरी पुलिस अधीक्षक के समक्ष आत्मसमर्पण किया है। कई सालों से नक्सल संगठन में सक्रिय रही देवे सोढ़ी पर 4 लाख रुपए का ईनाम घोषित था। देवे सोढ़ी मुख्य रूप से दंतेवाड़ा जिले के कटेकल्याण के मारजूम में हुई फायरिंग व मथली, चिकपाल, करकम में हुई मुठभेड़ में शामिल थी। इसके अलावा दो निर्दोष ग्रामीणों को मौत के घाट भी उतारने में मुख्य भूमिका थी। पुलिस का दावा है कि नक्सल संगठन में महिलाओं से हो रहे अत्याचार से तंग आकर व शासन की योजना से प्रभावित होकर उसने पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया है।

आत्मसमर्पण करने वाली महिला नक्सली देवे सोढ़ी कई घटनाओं में शामिल थी, जिसमें प्रमुख रूप से जुलाई 2017 में दंतेवाड़ा जिले के कटेकल्याण थानाक्षेत्र के मारजूम में हुई मुठभेड़ में यह शामिल थी। 2018 में दंतेवाड़ा के चुरनार के मुठभेड़ में भी यह शामिल थी। इसके अलावा मथली, मोपद के कई घटनाओं में शामिल रही। दो निर्दोष ग्रामीणों की हत्या में भी इस महिला नक्सली की भूमिका रही। आत्समर्पण करने वाली महिला देवे सोढ़ी ने बताया कि नक्सल संगठन में महिलाओं पर कई अत्याचार होते है। रोज-रोज अत्याचार से तंग आकर मैंने सरेंडर करने का निर्णय लिया। साथ ही शासन की अच्छी योजना का भी लाभ लेने के लिए यह निर्णय लेने में मदद मिली और संगठन छोड़ पुलिस के समक्ष सरेंडर किया है। मुख्यधारा से जुडक़र देश का विकास करने में मदद करने की बात की।

ड्रग्स के कारोबार में नक्सली कदम

दिल्ली दंगों के आरोपी शाहरुख को पनाह देने के मामले में प्रकाश में आए बरेली के ड्रग्स कारोबारियों की जांच में जुटी उप्र एसटीएफ को यह जानकारी मिलने पर तमाम एजेंसियों के कान खड़े हो गए हैं। पता चला है कि वे न सिर्फ बांग्लादेश व म्यांमार के बॉर्डर से ड्रग्स की खेप देश के भीतर तस्करी करवा रहे हैं, बल्कि इसे उप्र समेत देश के विभिन्न हिस्सों में कैरियर के जरिए सप्लाई कर रहे हैं। ड्रग्स तस्करों और नक्सलियों के इस नए ‘गठबंधन’ से निपटने के लिए एसटीएफ नई रणनीति पर विचार कर रही है। सूत्रों के मुताबिक, जांच में पता चला है कि झारखंड, छत्तीसगढ़, बिहार व उड़ीसा के कुछ हिस्सों में एक्टिव नक्सलवादियों की आमदनी पर केंद्रीय खुफिया एजेंसियों व सुरक्षा एजेंसियों ने करीब-करीब पूरी तरह से रोक लगा दी है। अब नक्सलवादी न तो अपने प्रभाव वाले क्षेत्रों में व्यापारियों या ठेकेदारों से लेवी वसूल पा रहे और न ही पाकिस्तानी खुफिया एजेंसियों से ही उन्हें कोई मदद नहीं मिल पा रही है। लिहाजा, सुरक्षा एजेंसियों से उन्हें दोहरी मार का सामना करना पड़ रहा है। यहां तक कि नक्सलियों को हथियार व गोला बारूद जुटाने में भी लाले पड़ गए थे। लिहाजा, रकम जुटाने के लिए नक्सलियों ने ड्रग्स तस्करी के धंधे में कदम रख दिया है।

- रायपुर से टीपी सिंह

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