इंटरनेशनल एयरपोर्ट की कवायद तेज
16-Jun-2022 12:00 AM 515

 

इंदौर-भोपाल के बीच में प्रस्तावित मेगा इंडस्ट्रीयल हब में बनने वाले देश के सबसे बड़े एयरपोर्ट के लिए कवायद तेज हो गई है। हाल ही में गौतम अडाणी के साथ ही कई अन्य औद्योगिक घरानों ने संभावित क्षेत्र का दौरा कर संभावनाओं को तलाशा। जानकारी के अनुसार इंटरनेशनल एयरपोर्ट को लेकर कई औद्योगिक घराने निवेश को उत्सुक हैं। प्रदेश सरकार भी लगातार इस दिशा में काम कर रही है। देश के प्रमुख एयरपोर्ट में जगह की कमी के बीच इस एयरपोर्ट के मध्यभारत के गेटवे बनने की भी पर्याप्त संभावना है। यहां से यात्री उड़ान चलने के साथ-साथ कार्गो उड़ान भी चल सकेगी। वहीं कई विदेशी एयरलाइंस जिनके बड़े विमान प्रदेश के एयरपोर्ट के छोटे रनवे पर नहीं उतर पाते हैं। वे भी प्रदेश में अपने संचालन कर सकेंगी।

उद्योग विभाग इस योजना को लेकर लगातार प्रयास कर रहा है। गत दिनों इसे लेकर एक समीक्षा बैठक भी हुई है, जिसमें यहां पर 25 से 30 हजार एकड़ इलाके में अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट भी बनेगा। जानकारों का कहना है कि अगर योजना पर सही तरीके से काम हो जाता है और एयरपोर्ट बन जाता है तो उससे पूरे प्रदेश को फायदा हो जाएगा। अभी इंदौर प्रदेश का सबसे व्यस्त एयरपोर्ट है। यहां से प्रदेश की एकमात्र सीधी अंतरराष्ट्रीय उड़ान भी संचालित होती है। लेकिन यहां का रनवे भी विदेशी एयरलाइंस के बड़े विमानों के लिए छोटा है। वहीं कोरोनाकाल के पहले ही यहां का टर्मिनल यात्रियों के लिए छोटा पड़ने लगा था। यहां पर भी नए टर्मिनल की मांग की जा रही है। नया एयरपोर्ट बनने के बाद इंदौर का बोझ काफी हद तक कम हो जाएगा। वहीं विशेषज्ञों का कहना है कि इसे निर्माण में सरकार को कनेक्टिविटी पर विशेष ध्यान रखना होगा। इंदौर से भोपाल के बीच की करीब 200 किलोमीटर की दूरी है। यहां तक पहुंच मार्ग, कनेक्टिविटी, कार्गो सुविधा आदि का ध्यान रखा जाए तो प्रदेश से निर्यात भी बढ़ जाएगा। इसके अलावा जैसे दुबई को पश्चिमी विश्व का गेटवे कहा जाता है। उसी तरह से यह दुनिया के लिए भारत का गेटवे बन सकता है। यहां आकर लोग आगे जा सकेंगे। मध्यभारत में होने से पूरे भारत का सफर करना आसान हो सकेगा।

सीआईआई के चेयरमेन सुधांशु जोहरी बताते है कि सरकार का यह कदम काफी सराहनीय है। सरकार यहां पर इंडस्ट्रीयल हब तो बना ही रही है। साथ ही एयरपोर्ट भी बना रही है, जिससे इंदौर और आसपास के औद्योगिक इलाके को तो फायदा मिलेगा ही लेकिन इसके साथ भोपाल और उसके पास के औद्योगिक क्षेत्र को भी लाभ मिल जाएगा। यहां बनने वाला सामान सीधे देश-विदेश में विमान से भेजा जा सकेगा, जिससे एक्सपोर्ट भी बढ़ेगा। यहां के माल को सड़क या रेल से भेजने के बजाय जल्द भेजा जा सकेगा। प्रदेश से कई चीजों को विदेश भेजा जाता है।

ट्रेवल एजेंट एसोसिएशन ऑफ इंडिया के प्रदेश अध्यक्ष हेमेंद्र सिंह जादौन ने बताया कि अगर सबसे बड़ा एयरपोर्ट बनता है तो यह प्रदेश के लिए काफी बेहतर बात होगी। अगले कुछ सालों में इंदौर एयरपोर्ट का निजीकरण किया जाना है। इसके बाद भोपाल का नंबर आएगा। वहीं देश के बड़े एयरपोर्ट पर जगह की कमी है। मध्यभारत की ही बात करें तो अहमदाबाद, मुंंबई जैसे एयरपोर्ट जगह की कमी से जूझ रहे हैं। इंदौर एयरपोर्ट पर विमानों की पार्किंग के लिए सीमित जगह है। सबसे बड़ा एयरपोर्ट होने पर एयरलाइंस यहां पर विमान पार्क करेगी। जिससे उड़ानें ज्यादा चलेंगी। जिससे यात्रियों को कम कीमत में टिकट भी उपलब्ध हो सकेंगे।

एविएशन एक्सपर्ट कहते हैं कि सबसे बड़ा एयरपोर्ट बनने के साथ ही इस पूरे क्षेत्र में रोजगार में वृद्धि होगी। ज्यादा जगह होने पर एयरलांइस इसे अपना बेस बना सकती है। जिससे लोगों को रोजगार मिलेंगे। इसके अलावा एविएशन इंडस्ट्री में भी नए रोजगार पैदा होंगे। देश का सबसे बड़ा एयरपोर्ट मप्र में बनाए जाने की संभावना तेज हो गई है। इंदौर से 35 से 40 किमी के दायरे में यह एयरपोर्ट बनाया जाएगा। कयास लगाए जा रहे हैं कि देवास और सोनकच्छ के बीच यह एयरपोर्ट बनाया जा सकता है, हालांकि एक संभावना यह भी है कि देवास जिले के चापड़ा क्षेत्र में भी एयरपोर्ट बनाया जा सकता है। फिलहाल कुछ तय नहीं हुआ है लेकिन यह बताया जा रहा है कि उद्योग विभाग ने इसके लिए 25 हजार एकड़ जमीन तलाश ली है। दरअसल, यात्रियों के साथ कार्गो और लॉजिस्टिक हब को बढ़ावा देने के लिए यह एयरपोर्ट बनाया जा रहा है। इसके लिए मप्र इंडस्ट्री डेवलपमेंट कॉरपोरेशन ने जमीन के संबंध में राज्य सरकार को प्रस्ताव भेज दिया है। इस जमीन से भोपाल-इंदौर रोड, भोपाल-जयपुर रोड, शाजापुर-देवास रोड और नरसिंहगढ़ को आपस में जोड़ा जाएगा।

पीथमपुर और देवास जैसे क्षेत्रों को मिलेगा लाभ

मप्र के औद्योगिक नीति एवं निवेश प्रोत्साहन विभाग के प्रमुख सचिव संजय शुक्ला गत दिनों सीआईआई मप्र के वार्षिक कार्यक्रम में पहुंचे। औद्योगिक नीति एवं निवेश प्रोत्साहन मंत्री राजवर्धन सिंह दत्तीगांव भी इसमें शामिल हुए। शुक्ला ने कहा कि इंदौर के 35 से 40 किमी के दायरे में अंतरराष्ट्रीय विमानतल बनने से पीथमपुर और देवास जैसे क्षेत्रों को लाभ मिलेगा। इंदौर और इसके आसपास मैन्युफैक्चरिंग उद्योग बड़ी संख्या में है। विमानतल तैयार होने से लॉजिस्टिक क्षेत्र बेहतर होगा। प्रदेश भारत के मानचित्र में बीच में आने से कई लाभ हैं। हम 12 घंटे के सफर में आसपास के किसी भी शहर में पहुंच सकते हैं। लॉजिस्टिक पार्क बनने से भी उद्योगों को गति मिलेगी। नई उद्योग नीति के संदर्भ में महिंद्रा और टाटा जैसी कई कंपनियों की राय भी ली गई है। इसमें कई तरह के प्रावधान रखे गए हैं, जिससे प्रदेश के उद्योगों को पहले से ज्यादा सुविधाएं मिल सकेंगी। आत्मनिर्भर भारत और आत्मनिर्भर प्रदेश के लिए सरकार कई काम कर रही है। मेडिकल पार्क के साथ ही कई तरह के क्लस्टर बनाए जा रहे हैं, जहां सभी क्षेत्रों के उद्योगों को जगह मिलेगी। ईज आफ डूइंग बिजनेस के लिए भी इंदौर सहित पूरे प्रदेश में काम किया जा रहा है। फार्मा और कई तरह के पार्क तैयार होंगे। आने वाले कुछ समय में उद्योग नीति भी आ रही है। इसमें प्रदेश के उद्योगों को आगे बढ़ाने के लिए सभी तरह की बातों को शामिल किया गया है।

- राकेश ग्रोवर

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