बरगी दांयी तट व्यपवर्तन योजना के तहत टनल निर्माण में हो रही लेटलतीफी के कारण विंध्य और नर्मदा के मिलन में संशय है। यहां के हिस्से का पानी 15 साल से कटनी के स्लीमनाबाद टनल में अटका हुआ है। स्थिति यह है कि यदि 2024 तक मप्र अपने हिस्से का 18.25 एमएएफ (मिलियन एकड़ फीट) पानी संचित नहीं कर पाया तो यह गुजरात के हिस्से में चला जाएगा और महाकौशल व विंध्य के करीब 1450 गांव लाभान्वित होने से वंचित रह जाएंगे।
दरअसल, इंटर स्टेट रिवर वाटर डिस्प्यूट एक्ट 1956 की धारा 6 के अंतर्गत नर्मदा नदी के जल निर्धारण के लिए नर्मदा ट्रिब्यूनल बनाया गया है। ट्रिब्यूनल के आदेशानुसार मप्र को 18.25 एमएएफ, गुजरात को 9 एमएएफ, राजस्थान को 0.50 और महाराष्ट्र को 0.25 एमएएफ पानी दिया गया है। आदेश में स्पष्ट है कि 12 दिसंबर 1979 से 45 वर्ष अर्थात् 31 दिसंबर 2024 तक यह पानी यदि मप्र उपयोग नहीं कर पाता है तो उसके हिस्से का जल दूसरे राज्य को दे दिया जाएगा। अब समय करीब आता देख सरकार ने टनल निर्माण के काम में दिलचस्पी जरूर दिखाई है, लेकिन बाधाएं कम होने का नाम नहीं ले रही हैं।
बरगी नहर का अब तक 60 फीसदी से ज्यादा काम हो चुका है। अब इसकी राह में स्लीमनाबाद टनल बाधा है। यहां 12 किमी लंबी सुरंग बननी है, लेकिन 2011 से 2018 तक महज 4.6 किमी की खुदाई ही हो सकी थी। इसके बाद काम सुरंग में अटक कर रह गया था। प्रदेश का पानी गुजरात के हिस्से में जाता देख सरकार ने इसमें फिर दिलचस्पी दिखाई। विगत तीन-चार साल से जापान से आई महामशीन से सुरंग खुदाई का कार्य चल रहा है। हालांकि यहां लगी दो मशीनों में एक अक्सर बंद रहती है। ऐसे में अभी भी 2023 तक टनल का काम पूरा होना किसी चुनौती से कम नहीं है।
नर्मदा जल विंध्य तक पहुंचाने के लिए स्लीमनाबाद से सतना तक मुख्य नहर का निर्माण कार्य 10 साल पहले पूर्ण कर लिया गया था। ये नहरें अब जर्जर हो चुकी हैं। बिना मरम्मत के इनमें पानी छोड़ना संभव नहीं है। ऐसे में मुख्य नहर का मेंटेनेंस भी सरकार के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है। उधर, सतना से रीवा पानी पहुंचाने के लिए बन रही मुख्य नहर का काम निर्माणाधीन है। सहायक नहर निर्माण के लिए सतना जिले के मैहर, उचेहरा एवं नागौद तहसील के 201 गांवों की भूमि अधिग्रहीत की गई। इसमें से करीब 141 गांवों के भूस्वामियों को आज तक मुआवजा नहीं दिया गया। वहीं नागौद-सतना शाखा आरडी 00 से 83 किमी तक 1452.722 हैक्टेयर भूमि अधिग्रहीत की जानी है। इसमें से महज 420.366 हैक्टेयर का ही अर्जन हो सका है। 1032.06 हैक्टेयर का अधिग्रहण करना शेष है। जानकारों की मानें तो जमीन अधिग्रहण और मुआवजा वितरण में समय लगेगा। ऐसे में नहर समय सीमा में बन पाएगी, यह बड़ा सवाल है।
प्रदेश के हिस्से का पानी बचाने का एक ही रास्ता है। मंडला जिले में रोशरा एवं बसानिया तथा डिंडौरी जिले में राघवपुर डैम बरगी अपस्ट्रीम में बनने हैं। राघवपुर जल विद्युत परियोजना के लिए 225 मिली घन मीटर, रोशरा के लिए 432 और बसानिया के लिए 175 मिली घन मीटर पानी की आवश्यकता होगी। तीनों में करीब 832 मिघमी पानी उपलब्ध होगा। इन तीनों डैम के निर्माण का कार्य अभी तक नहीं हुआ। यदि शासन-प्रशासन गंभीरता से ले और निर्माण जल्द पूरा करा ले तो प्रदेश के हिस्से का पानी संचित हो सकता है। विंध्य में नर्मदा जल लाने के लिए बरगी नहर का निर्माण 2009 से चल रहा है। इस परियोजना से जबलपुर के 438 ग्राम, कटनी के 127, सतना के 855 और रीवा जिले के 30 गांव को पानी मिल सकेगा। यदि तय समय पर पानी पहुंच जाता है तो विंध्य क्षेत्र की 2.45 लाख हैक्टेयर भूमि सिंचित हो सकेगी तथा खेती की पैदावार बढ़ेगी।
बरगी नहर में अंडर ग्राउंड टनल का निर्माण कार्य 25 जुलाई 2011 में पूरा होना था। लेकिन, लेटलतीफी के कारण काम नहीं हो पाया और लगातार एक्सटेंशन मिलता गया। चार एक्सटेंशन के बाद 31 मार्च 2021 तक काम पूरा करना था। अब एक और एक्सटेंशन देकर यह अवधि 2023 कर दी गई है। ईई नवदा कटनी सहज श्रीवास्तव का कहना है कि टनल खुदाई का काम चल रहा है। वर्तमान में एक मशीन बंद होने से हर माह लगभग 150 मीटर खुदाई हो पा रही है। 10-15 दिन में दोनों मशीनें काम करेंगी तो तय लक्ष्य अनुसार 300 मीटर हर माह खुदाई होगी। जून 2023 तक टनल का काम पूरा कर दिया जाएगा।
18 माह में खोदनी है 3500 मीटर सुरंग
बरगी के पानी का भविष्य तय करने वाली स्लीमनाबाद टनल का कार्य फिलहाल युद्ध स्तर पर जारी है, लेकिन अन्नदाता सरकारी उधेड़बुन में फंस कर रह गया है। प्रदेश सरकार ने टनल का काम पूरा करने के लिए जून 2023 की डेटलाइन तय की है। दो महामशीनों से प्रतिमाह 270 मीटर टनल खोदने का लक्ष्य रखा है। 10 मई तक 8.5 किमी सुरंग बन चुकी है। आगे 12 माह में 3510 मीटर टनल खोदने का कार्य किया जाना है। जबकि, हकीकत यह है कि दो में से एक मशीन बंद रहती है। इस कारण लक्ष्य की आधी ही खुदाई हो रही है। ऐसे में दावों के अनुसार जून 2023 तक सुरंग निर्माण का कार्य पूरा होने उम्मीद नहीं है। जानकारों की मानें तो इसी रफ्तार से काम चला तो यह काम 2025 तक चलेगा। ऐसे में यदि सरकार को 2024 से पहले नर्मदा का पानी सतना लाना है तो बचे हुए दिनों में प्रति दिन 10 मीटर टनल खोदनी होगी।
- श्याम सिंह सिकरवार