मप्र में इस बार गेहूं खरीदी का ऑल टाइम रिकॉर्ड बना है। जितनी खरीदी प्रदेश में गेहूं की इस बार हुई इससे पहले इतनी कभी नहीं हुई थी। कोविड-19 आपदा की वजह से हुए लॉकडाउन में मध्य प्रदेश के अन्नदाताओं ने वह कारनामा कर दिखाया है, जो इससे पहले देश में कभी नहीं हुआ था। मध्य प्रदेश सरकार का दावा है कि इस बार किसानों से एक करोड़ 29 लाख 28 हजार मीट्रिक टन गेहूं खरीदा गया है, जो अब तक का ऑल टाइम रिकॉर्ड है। गेहूं खरीदी के मामले में मध्य प्रदेश इससे पहले ही पंजाब को पछाड़ कर नंबर वन हो चुका है। ये काम आसान नहीं था, वो भी लॉकडाउन और कोरोना संक्रमण के इस दौर में। ये संभव हो पाया बेहतरीन मैनेजमेंट और किसानों की मेहनत के कारण। मप्र में गेहूं का रिकॉर्ड उत्पादन हुआ, लेकिन कोरोना संक्रमण के कारण इसकी सरकारी खरीदी किसी चुनौती से कम नहीं थी।
खास बात यह है कि मध्य प्रदेश में इस बार जितना गेहूं खरीदा गया वो पिछले साल के मुकाबले 75 फीसदी से भी ज्यादा है। मध्य प्रदेश में अभी तक 1 करोड़ 29 लाख 28 हजार मीट्रिक टन गेहूं का खरीदा गया है जो पूरे देश का 33 प्रतिशत से ज्यादा है। पूरे देश में 3 करोड़ 86 लाख 54 हजार मीट्रिक टन गेहूं की सरकारी खरीदी की गई। इस मामले में मप्र ने पंजाब को दूसरे नंबर पर धकेल दिया है। पिछले साल की तुलना में मध्य प्रदेश में गेहूं खरीदी में 74 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। पिछले साल मध्य प्रदेश में 73.69 लाख मीट्रिक टन गेहूं समर्थन मूल्य पर खरीदा गया था। मध्य प्रदेश में इस बार 15 अप्रैल से गेहूं की सरकारी खरीदी शुरू हुई थी जो 5 जून को खत्म हुई। गेहूं का ज्यादा उत्पादन होने के कारण इस बार खरीदी केंद्र भी 3 हजार 545 से बढ़ाकर 4 हजार 529 कर दी गई।
इस बार मप्र में गेहूं की बंपर पैदावार हुई थी लिहाजा गेंहू खरीदना भी एक बड़ी चुनौती थी। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने गेहूं खरीदी में मैनेजमेंट को प्राथमिकता दी। 23 मार्च से अब तक लगातार 75 से ज्यादा बैठकें कर डालीं। मुख्यमंत्री ने हर रोज खरीदी की समीक्षा की। जबकि नंबर-1 आने पर मुख्यमंत्री ने इस उपलब्धि के लिए खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग की टीम और प्रदेश के किसानों को बधाई दी है।
मध्यप्रदेश सरकार ने गेहूं उपार्जन के लिए प्रभावी रणनीति बनाई। पिछले वर्ष किए गए उपार्जन से बढ़कर 100 लाख मीट्रिक टन का लक्ष्य निर्धारित करते हुए बारदानों और भण्डारण की व्यवस्था की गई। कोरोना की विषम परिस्थिति के कारण उपार्जन कार्य देरी से 15 अप्रैल से शुरू किया गया। सरकार इस बात के लिए सचेत थी कि मंदी और आवागमन बाधित होने के कारण किसानों से पिछले वर्ष की अपेक्षा कहीं ज्यादा उपार्जन कम अवधि में करना होगा। सरकार द्वारा तुरंत ही अतिरिक्त बारदानों एवं भण्डारण की व्यवस्था की गई। लॉकडाउन के बावजूद 25 लाख मीट्रिक टन के लिए अतिरिक्त बारदानों की व्यवस्था की गई। बारदानों के सुनियोजित प्रबंधन के फलस्वरूप लक्ष्य से अधिक इतनी बड़ी खरीदी होने के बाद भी बारदानों की कमी नहीं होने दी गई। लॉकडाउन में ही कार्य करते हुए 10 लाख मीट्रिक टन के लिए भंडारण की अतिरिक्त व्यवस्था की गई।
सबसे बड़ी चुनौती ज्यादा किसानों से कम अवधि में ज्यादा उपार्जन करना था। इसके लिए पिछले वर्ष उपार्जन केंद्रों की संख्या 3 हजार 545 को बढ़ाकर 4 हजार 529 केंद्र खोले गए। सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए किसानों को एसएमएस भेजने की व्यवस्था सुनिश्चित की गई ताकि एसएमएस प्राप्त किसान ही खरीदी केंद्र पहुंचे। सही समय पर खरीदी पूर्ण करने की चुनौती को देखते हुए पहली बार यह सुविधा दी गई कि कलेक्टर स्वयं एक-एक केंद्र पर एसएमएस संख्या निर्धारित कर सकें। किसानों को कोरोना के प्रति सजग रहने और अन्य जानकारी देने के लिए 75 लाख एसएमएस भेजे गए। राज्य सरकार द्वारा गेहूं उपार्जन की राशि सीधे किसानों के खातों में औसतन 7 दिवस में अंतरित की गई। अभी तक 14 लाख 19 हजार किसानों के खातों में 20 हजार 253 करोड़ की राशि भेजी जा चुकी है। किसानों को समय से भुगतान मिल सके, इसके लिए पर्याप्त धनराशि की व्यवस्था उपार्जन अवधि के पूर्व ही सुनिश्चित की गई। जिससे कभी भी किसानों को भुगतान में विलंब की स्थिति निर्मित नहीं हुई।
पिछले वर्ष लघु एवं सीमांत किसानों का उपार्जन में भाग लेने का प्रतिशत केवल 40 प्रतिशत था जो बढ़कर इस बार 84 प्रतिशत हो गया है। इससे स्पष्ट है कि इस बार लघु और सीमांत किसानों को समर्थन मूल्य पर गेहूं बेचने पर अधिक लाभ हुआ है। शासन ने 130 लाख मीट्रिक टन भंडारण की क्षमता विकसित कर ली है, जो गेहूं भंडारण के लिए शेष है, उसका भंडारण भी बहुत शीघ्र सुनिश्चित कर लिया जाएगा।
लॉकडाउन में विशेष इंतजाम
प्रदेश के किसान कल्याण तथा कृषि विकास मंत्री कमल पटेल ने बताया कि इस बार गेहूं की समर्थन मूल्य पर खरीदी ऐसे वक्त में शुरू की गई थी जब प्रदेश कोरोना महामारी की चपेट में था और देशभर में लॉकडाउन लागू था। सरकार ने किसानों के लिए ऐहतियात के तौर पर कुछ नियम जारी किए और केवल उन्हीं किसानों को खरीदी के लिए बुलाया गया जिन्हें मैसेज भेजे गए थे। एक बार में एक पाली में 10 से 12 किसानों को ही खरीदी के लिए बुलाया गया था। मंडी में सोशल डिस्टेंस और सैनेटाइजर की व्यवस्था की गई। किसानों को मंडी आने की जानकारी देने के लिए 75 लाख एसएमएस भेजे गए। राज्य सरकार ने गेहूं खरीदी की राशि सीधे किसानों के खातों में औसतन 7 दिन में भेजी। पटेल ने बताया कि सरकार की कोशिश है कि किसान के हर एक दाने को खरीदा जाए।
- लोकेश शर्मा