गुणवत्ताहीन उपज खरीदने पर होगी जेल!
25-Dec-2021 12:00 AM 494

 

मप्र में समर्थन मूल्य पर उपज की खरीदी में होने वाले खेल को रोकने के लिए प्रदेश सरकार मप्र कृषि उपज उपार्जन एवं न्यूनतम समर्थन मूल्य पर क्रय का विनियमन विधेयक-2021 लाने की तैयारी कर रही है। इसमें गुणवत्ताहीन उपज खरीदने पर जुर्माना लगाया जाएगा और कारावास का भी प्रविधान रहेगा। गौरतलब है कि प्रदेश में हर साल मंडियों और खरीदी केंद्रों पर अमानक गेहूं, धान, चना, मूंग सहित अन्य उपज की खरीदी कर ली जाती है। बाद में केंद्र सरकार उसे रिजेक्ट कर देती है। जिससे सरकार को करोड़ों रुपए की चपत लगती है।

दरअसल, प्रतिवर्ष बड़ी मात्रा में ऐसा अनाज उपार्जन केंद्रों द्वारा खरीद लिया जाता है, जिसे भारतीय खाद्य निगम या नागरिक आपूर्ति निगम अमानक बताकर लेने से इंकार कर देते हैं। जबकि, किसानों को भुगतान हो चुका होता है। ऐसे में सरकार को इसका वित्तीय भार उठाना पड़ता है। इस स्थिति से निपटने के लिए शिवराज सरकार ने मप्र कृषि उपज उपार्जन एवं न्यूनतम समर्थन मूल्य पर क्रय का विनियमन विधेयक-2021 लाने की तैयारी की है। इसमें गुणवत्ताहीन उपज खरीदने पर जुर्माना लगाया जाएगा और कारावास का भी प्रविधान रहेगा।

प्रदेश सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य पर गेहूं, धान, चना, मूंग सहित अन्य उपज खरीदने की व्यवस्था को सख्त बनाने जा रही है। प्रदेश में किसानों को उपज का न्यूनतम समर्थन मूल्य दिलाने के लिए प्रमुख रूप से गेहूं और धान की खरीद की जाती है। दो साल पहले समर्थन मूल्य पर सर्वाधिक गेहूं खरीदकर मप्र देश में रिकार्ड भी बना चुका है। इसी तरह धान का उपार्जन भी प्रतिवर्ष बढ़ता जा रहा है। इस वर्ष 40 लाख टन से अधिक धान की खरीद संभावित है। ग्रीष्मकालीन मूंग भी पहली बार लगभग आठ लाख टन खरीदी गई है। सरकार इसमें हजारों करोड़ रुपए व्यय कर रही है, जिसका इंतजाम आरबीआई से ऋण लेकर किया जाता है। नागरिक आपूर्ति निगम पर लगभग 55 हजार करोड़ रुपए का ऋण है।

केंद्र सरकार जब सेंट्रल पूल में गेहूं, धान, चना, मूंग आदि उपज ले लेती है तो फिर उसका भुगतान होता है लेकिन दो-साल से गुणवत्ताहीन उपज खरीदने के मामले सामने आ रहे हैं। लगभग चार लाख टन अनाज उपार्जन केंद्रों ने ऐसा खरीद लिया जिसे गुणवत्ताहीन बताकर एजेंसियों ने लेने से इंकार कर दिया। इसी तरह सीमावर्ती जिलों में पड़ोसी राज्यों से गेहूं और धान बिकने के लिए आने के मामले भी सामने आए हैं। इसे देखते हुए सरकार ने समर्थन मूल्य पर होने वाली खरीद व्यवस्था को सख्त बनाने का निर्णय लिया है। अब सरकार द्वारा नियुक्त अधिकारी किसी भी उपार्जन केंद्र में प्रवेश कर सकेगा, तलाशी ले सकेगा और गड़बड़ी पाए जाने पर सामग्री और वाहन को जब्त भी कर सकेगा। औसत गुणवत्ता से कम की उपज खरीदने पर दस हजार रुपए या उपार्जित उपज के समर्थन मूल्य के बराबर जुर्माना लगाया जा सकेगा।

प्रस्तावित विधेयक में कई सख्त प्रावधान किए गए हैं। औसत गुणवत्ता से कम की उपज खरीदने पर दस हजार रुपए या उपज के समर्थन मूल्य के बराबर जुर्माना लगेगा। सुरक्षित भंडारण न करने पर नुकसान की भरपाई संबंधित व्यक्ति या संस्था से होगी। उपज में मिलावट करने या चोरी करने पर अर्थदंड या छह माह के कारावास से दंडित किया जा सकेगा। उपार्जन करने वाली संस्था की गड़बड़ी प्रमाणित होने पर उसे दो साल के लिए ब्लैकलिस्ट किया जा सकेगा। कोई भी व्यक्ति उपार्जन में गड़बड़ी करता है तो उसे भविष्य में उपार्जन के कार्य में नहीं लगाया जाएगा। अधिनियम के तहत बनाए जाने वाले नियम का उल्लंघन करने पर पचास हजार रुपए तक जुर्माना लगाया जाएगा। संस्था द्वारा त्रुटि करने पर संस्था के अध्यक्ष, प्रबंधक एवं अन्य कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई होगी। कलेक्टर के किसी भी आदेश के विरुद्ध संभागायुक्त के पास अपील होगी। अभियोजन संबंधी कार्यवाही सरकार की अनुमति के बाद ही की जा सकेगी।

अतिवर्षा से प्रभावित बाजरा भी समर्थन मूल्य पर खरीदेगी सरकार

न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर इस वर्ष कमजोर गुणवत्ता वाला बाजरा भी खरीदा जाएगा। इसके लिए केंद्र सरकार मप्र को विशेष अनुमति देगी। दरअसल, ग्वालियर-चंबल संभाग में अतिवर्षा की वजह से बाजरा की उपज प्रभावित हुई है। दाना भी छोटा रह गया। इसके कारण समर्थन मूल्य पर खरीद रोक दी गई थी। किसानों के हित को देखते हुए सहकारिता मंत्री डॉ. अरविंद सिंह भदौरिया ने केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर से विशेष छूट देने की अनुमति देने को लेकर बात की। तोमर ने भरोसा दिलाया है कि वे केंद्र सरकार के स्तर पर निर्धारित एफएक्यू (औसत गुणवत्ता) से कमजोर बाजरा खरीदने को लेकर सहमति बनवा लेंगे। इसे सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) की दुकानों से सस्ता अनाज योजना के तहत वितरित किया जाएगा। 29 नवंबर से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर धान के साथ-साथ राज्य सरकार ने बाजरा की खरीद भी प्रारंभ कर दी थी लेकिन कमजोर दाना होने की वजह से इसे रोक दिया गया है। किसानों ने इसकी जानकारी सहकारिता मंत्री अरविंद सिंह भदौरिया को दी तो उन्होंने केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर से चर्चा की और अपर मुख्य सचिव सहकारिता अजीत केसरी के माध्यम से केंद्र सरकार को पत्र भिजवाया। इसमें कहा गया है कि इस वर्ष ग्वालियर-चंबल इलाके में अतिवर्षा के कारण बाजरा का दाना छोटा रह गया है। इसके कारण समर्थन मूल्य (प्रति क्विंटल दो हजार 250 रुपए) पर हो रही खरीद में इसे गुणवत्ताहीन बताया गया। अब सरकार की तैयारी है कि एफएक्यू में विशेष रियायत देते हुए बाजरा खरीद की अनुमति दी जाए। बाजरा की खेती ग्वालियर-चंबल संभाग में ज्यादा होती है।

- धर्मेंद्र सिंह कथूरिया

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