महाराष्ट्र में तीन दलों (शिवसेना-कांग्रेस-एनसीपी) के गठबंधन वाली महाविकास आघाड़ी सरकार की दीवारें दरकने लगी हैं। कांग्रेस ने पहली बार खुलकर सरकार के खिलाफ अपनी नाराजगी जताई है। प्रदेश कांग्रेस नेताओं के बीच बीते दो दिन से अंदरखाने बैठक शुरू है लेकिन प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बालासाहेब थोरात ने गुरुवार को ठाकरे सरकार के खिलाफ अपनी नाराजगी खुलकर जाहिर की।
दरअसल, महाराष्ट्र की सत्ता में शामिल होते हुए भी कांग्रेस को उतना महत्व नहीं मिल रहा है जितने की वह हकदार है। शिवसेना अध्यक्ष व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और महाविकास आघाड़ी सरकार के शिल्पकार एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार किसी भी मुद्दे पर आपस में चर्चा कर निर्णय ले लेते हैं जबकि कांग्रेस को इसमें शामिल करने की जरूरत भी नहीं महसूस की जाती। यही वजह है कि पिछले दिनों इस मुद्दे पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा था कि महाराष्ट्र में कांग्रेस शामिल जरूर है लेकिन किसी निर्णय प्रक्रिया में उनके नेताओं की सलाह नहीं ली जाती। उसके बाद मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे से राहुल गांधी की हुई टेलीफोनिक वार्ता में सबकुछ ठीक होने की बात सामने आई थी। खुद ठाकरे ने राहुल गांधी को आश्वासन दिया था कि कांग्रेस को सरकार में पूरा सम्मान दिया जाएगा।
कांग्रेस के एक मंत्री ने बताया कि कांग्रेस कोटे के मंत्रियों की बैठक में अन्य मुद्दों पर भी चर्चा की गई। बैठक में इस बात पर जोर दिया गया कि तीन दलों की सरकार में कांग्रेस को भी बराबर सम्मान मिलना चाहिए और सरकार की निर्णय प्रक्रिया में कांग्रेस की भी भागीदारी होनी चाहिए। इधर, ठाकरे सरकार में एनसीपी दिन-प्रतिदिन भारी पड़ती जा रही है। कांग्रेस नेताओं को यह खटक रहा है और इससे पार्टी के वरिष्ठ नेताओं में नाराजगी है। इस बीच कांग्रेस के मंत्रियों ने मुख्यमंत्री तक अपनी बात पहुंचाने के लिए शिवसेना सचिव व मुख्यमंत्री के निजी सचिव मिलिंद नार्वेकर के साथ बैठक की।
सूत्रों के अनुसार प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बाला साहेब थोरात व प्रदेश एनसीपी अध्यक्ष जयंत पाटिल ने मुख्यमंत्री से विधान परिषद की राज्यपाल नामित 12 सीटों के लिए नामों को अंतिम रूप देने के लिए बैठक बुलाने का अनुरोध किया था। लेकिन अभी तक यह बैठक नहीं हो सकी। विधान परिषद् के राज्यपाल मनोनीत 8 सदस्य सेवानिवृत्त हो चुके हैं जबकि 2 सदस्यों का कार्यकाल 15 जून को समाप्त हो जाएगा। 2 सीट इस्तीफे के चलते पहले से रिक्त हैं। कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि सरकार के गठन के समय ही यह तय हो चुका है कि तीनों दलों में से प्रत्येक को विधान परिषद् की चार-चार सीटें मिलेंगी। लेकिन अब शिवसेना पांच सीटों पर दावा कर रही है, जो कांग्रेस-एनसीपी को स्वीकार नहीं होगा।
शिवसेना नीत महाराष्ट्र विकास आघाड़ी (एमवीए) सरकार में तनाव के बीच कांग्रेस सरकार में अपनी भूमिका को प्रभावी बनाना चाहती है। कांग्रेस के एक नेता के मुताबिक, मुख्यमंत्री राकांपा के अध्यक्ष, शरद पवार से कोविड-19 वैश्विक महामारी और चक्रवात 'निसर्ग’ से प्रभावित लोगों को राहत देने समेत अन्य कई मुद्दों पर चर्चा कर रहे हैं। इससे ऐसी भावना पैदा हो रही है कि प्रदेश कांग्रेस को अलग-थलग कर दिया गया है।
प्रदेश कांग्रेस के नेताओं ने इस हफ्ते की शुरुआत में मुलाकात कर यह चर्चा की थी कि पार्टी नेताओं एवं मंत्रियों को गठबंधन सरकार में निर्णय लेने की प्रक्रिया का हिस्सा नहीं बनाया जा रहा है। मुख्यमंत्री के करीबी सहयोगी मिलिंद नारवेकर भी कांग्रेस नेतृत्व के विचारों को जानने के लिए इस बैठक में मुख्यमंत्री ठाकरे के प्रतिनिधि के रूप में मौजूद रहे थे।
उधर महाराष्ट्र की उद्धव ठाकरे सरकार और राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के बीच फिर एक बार टकराव हो सकता है। इस बार टकराव की आशंका 12 विधान परिषद् की उन सीटों को लेकर जताई जा रही है जो राज्यपाल के कोटे की हैं। अब तक की प्रक्रिया के मुताबिक मंत्रिमंडल की ओर से सुझाए गए नामों को राज्यपाल इन सीटों पर मनोनीत कर देते हैं, लेकिन जिस तरह की कड़वाहट हाल के वक्त में राज्यपाल और ठाकरे सरकार के बीच देखी गई उसके मद्देनजर माना जा रहा है कि राज्यपाल ऐसा आसानी से नहीं करेंगे। जब से भगत सिंह कोश्यारी महाराष्ट्र के राज्यपाल नियुक्त किए गए हैं तब से शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस के साथ उनका छत्तीस का आंकडा रहा है। जिस तरह से उन्होंने 23 नंवबर 2019 की सुबह गुपचुप देवेंद्र फडणवीस को मुख्यमंत्री पद और अजित पवार को उपमुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई उससे तीनों पार्टियां उनसे खफा हो गईं।
सरकार और राज्यपाल के बीच फिर टकराव
यूनिवर्सिटी की परीक्षाओं को रद्द करने के राज्य सरकार के फैसले का भी राज्यपाल ने विरोध किया। इस बीच भाजपा नेता नारायण राणे राज्यपाल से मिलने चले गए और राजभवन से बाहर निकलकर उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र सरकार कोरोना महामारी से निपटने में नाकाम साबित हुई है और राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा देना चाहिए। उनके इस बयान से सियासी हलकों में आशंका जताई जाने लगी है कि कहीं भाजपा राज्यपाल की मदद से ठाकरे सरकार को गिराने की कोई साजिश तो नहीं रच रही। विवाद तब थमा जब देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि भाजपा का सरकार को गिराने का कोई इरादा नहीं है और सरकार अपने अंतर्विरोध के कारण खुद-ब-खुद गिर जाएगी। अब राज्यपाल और ठाकरे सरकार के बीच ताजा टकराव विधान परिषद् की राज्यपाल कोटे की सीट को लेकर आशंकित हैं। कुल 12 सीटों को शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस आपस में बांटेंगी और कैबिनेट के जरिए अपने उम्मीदवारों के नाम राज्यपाल को भेजेंगी। आमतौर पर इन सीटों को लिए उन लोगों को उम्मीदवारी दी जाएगी जिन्हें विधानसभा और परिषद् के चुनाव में टिकट नहीं दिया जा सका, जो दूसरी पार्टी से आए हैं और जिनका राजनीतिक पुनर्वसन करना है। अब ये देखना दिलचस्प होगा कि कोश्यारी इन नामों को मंजूरी दे देते हैं या फिर ठाकरे सरकार से टकराव का तेवर अपनाते हैं।
- मुंबई से बिन्दु माथुर