मप्र की 230 विधानसभा सीटों के चुनाव के लिए कांग्रेस ने अपनी रणनीति को धार देना तेज कर दिया है। विधानसभा वार पार्टी सोशल मैपिंग की तैयारी में है। पार्टी सभी 230 सीटों के सामाजिक और जातिगत समीकरणों की मैपिंग करने की तैयारी में है। इसके लिए प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने कांग्रेस नेता अरुण यादव को जिम्मेदारी दी है। अरुण यादव ओबीसी के साथ एससी, एसटी और सामान्य वोटरों की सोशल मैपिंग तैयार करेंगे। कांग्रेस इस बार चुनाव से पहले सोशल मैपिंग का खाका तैयार कर उम्मीदवार चुनेगी। सिर्फ सोशल मैपिंग ही नहीं बल्कि भाजपा को घेरने के लिए कांग्रेस ने आरोप पत्र बनाना शुरू कर दिया है। भाजपा सरकार के मंत्रियों और उनके विभागों से जुड़े मामलों को खंगाला जा रहा है। उसके जरिए कांग्रेस चुनाव के ठीक पहले आरोप पत्र जारी कर भाजपा को कटघरे में खड़ा करेगी। पूर्व मंत्री पीसी शर्मा ने कहा कि कांग्रेस 2023 के चुनाव के लिए हर उस रणनीति पर काम कर रही है जो भाजपा को घेरने में सफल हो सके।
प्रदेश में विधानसभा चुनाव में भले ही डेढ़ साल का समय बाकी हो लेकिन कांग्रेस पार्टी हर उस रणनीति के तहत खुद को तैयार करने की कोशिश में है जो 2023 के चुनाव में भाजपा के मुकाबले कांग्रेस को मजबूती दे सके। 2018 के चुनाव परिणाम उसका आत्मविश्वास बढ़ाए हुए हैं। जनता ने तो उसका साथ दिया था। अगर सिंधिया दल न बदलते तो पार्टी सत्ता में होती। यही कारण है कि सर्वे के अलावा दो बड़े नेताओं को अलग-अलग जिम्मेदारी देकर कांग्रेस भाजपा की चौतरफा घेराबंदी करने की तैयारी में है। वहीं कांग्रेस पार्टी वचन-पत्र तैयार करने में जुट गई है। इस बार वचन-पत्र तैयार करने के लिए कमलनाथ ने नेताओं से जमीनी हकीकत टटोलने को कहा है। इसके लिए उन्होंने तौर-तरीकों में बदलाव लाने को कहा है। कांग्रेसी नेताओं से कहा गया है कि वे कंफर्ट जोन से बाहर आएं। लक्जरी गाड़ी से उतरकर जनता के बीच जाकर जनसंपर्क करें। इसके लिए रोजाना 10 किमी के क्षेत्र में पैदल जनसंपर्क कर सीधे पब्लिक से कनेक्ट होने का टास्क दिया है।
कमलनाथ कांग्रेसी नेताओं की जमीनी रिपोर्ट भी तैयार करा रहे हैं। भोपाल में हुई कांग्रेस की बैठक में कमलनाथ ने साफ शब्दों में कहा है कि वचन-पत्र में वही योजनाएं शामिल की जाएं, जिनको पूरा किया जा सके। इसके लिए जनता के बीच में जाकर वचन-पत्र में जनता से मुद्दों को शामिल करने की बात कही है। कांग्रेस आगामी विधानसभा चुनाव में हर हाल में जीत हासिल करना चाहती है। इसके लिए प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ लगातार रणनीतिक तैयारी में जुटे हुए हैं। उन्होंने जिलेवार और विधानसभावार नेताओं को जिम्मेदारी देनी शुरू कर दी है। लेकिन पार्टी के सामने सबसे बड़ी चुनौती हैं, वे 13 जिले जहां कांग्रेस का एक भी विधायक नहीं है। ऐसे में प्रदेश अध्यक्ष ने पार्टी के दिग्गज नेताओं को इन विधायक विहीन जिलों की जिम्मेदारी देने का निर्णय लिया है। वरिष्ठ कांग्रेस नेता को उनकी पसंद और पकड़ के जिलों की जिम्मेदारी सौंपी जाएगी।
गौरतलब है कि प्रदेश के 52 जिलों में से 13 ऐसे हैं, जहां से कांग्रेस का एक भी विधायक नहीं है। इसे देखते हुए पार्टी ने इन जिलों में वरिष्ठ नेताओं को मोर्चा संभालने की जिम्मेदारी दी है। इसमें पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह, सुरेश पचौरी, कांतिलाल भूरिया, अरुण यादव, नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविंद सिंह, अजय सिंह, राजमणि पटेल सहित अन्य नेता शामिल हैं। ये न सिर्फ इन जिलों में सक्रियता बढ़ाएंगे बल्कि पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं के साथ बैठक करेंगे। जिले में काम करने वाले विभिन्न संगठनों से संवाद बढ़ाकर उन मुद्दों पर काम करेंगे, जो मतदाताओं को प्रभावित करते हैं।
प्रदेश के जिन 13 जिलों में कांग्रेस का एक भी विधायक नहीं है, वहां 42 विधानसभा सीटें हैं। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने वरिष्ठ नेताओं के साथ विचार-विमर्श करके मिशन 2023 के लिए जिलेवार कार्ययोजना तैयार की है। वरिष्ठ नेताओं-कार्यकर्ताओं से संगठन की गतिविधि बढ़ाने, मतदाता संपर्क अभियान चलाने और मतदान केंद्रों पर कार्यकर्ताओं की सशक्त टीम बनाने के मुद्दे पर चर्चा की जाएगी। साथ ही संभावित प्रत्याशी को लेकर उनकी राय ली जाएगी। इसके साथ ही ऐसे संगठनों के पदाधिकारियों के साथ भी बैठकें की जाएंगी, जिनका समाज के विभिन्न वर्गों में अच्छा दखल है। इनसे जिले के प्रमुख मुद्दे पर बात होगी। प्रदेश उपाध्यक्ष संगठन प्रभारी चंद्रप्रभाष शेखर ने बताया कि पार्टी मिशन 2023 की तैयारी में पूरी तरह से जुट गई है। वरिष्ठ नेताओं को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने अलग-अलग जिम्मेदारी सौंपी है। जिन जिलों में अभी हमारे एक भी विधायक नहीं है, उन पर विशेष ध्यान दिया जाएगा ताकि 2023 में पार्टी की जीत सुनिश्चित हो सके।
प्रदेश अध्यक्ष भी संभालेंगे मोर्चा
विधायक विहीन जिलों में पार्टी को मजबूत करने के लिए प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ भी मोर्चा संभालेंगे। इन जिलों में बूथ, मंडलम और सेक्टर समितियों के पदाधिकारियों के सम्मेलन होंगे। इनमें प्रदेश कांग्रेस के नेता हिस्सा लेंगे। इसके अलावा संभाग स्तरीय सम्मेलन भी किए जाएंगे। ये वरिष्ठ नेताओं की बैठक होने के बाद प्रारंभ होंगे। गौरतलब है कि नवंबर 2020 में हुए उपचुनाव के बाद प्रदेश में कांग्रेस की स्थिति में परिवर्तन आया है। खंडवा में मांधाता, बुरहानपुर में नेपानगर, मंदसौर में सुवासरा और निवाड़ी जिले में पृथ्वीपुर सीट पर चुनाव हारने के बाद इन जिलों में कांग्रेस का कोई विधायक नहीं रह गया है। प्रदेश के जिन जिलों में कांग्रेस का एक भी विधायक नहीं है उनमें टीकमगढ़, निवाड़ी, रीवा, सिंगरौली, शहडोल, उमरिया, हरदा, नर्मदापुरम, सीहोर, खंडवा, बुरहानपुर, नीमच और मंदसौर आदि शामिल हैं।
- राजेश बोरकर