कचरे से करोड़ों की कमाई
18-Jan-2020 07:42 AM 1235052
स्वच्छ सर्वेक्षण 2020 में अव्वल रहकर लगातार चौथी बार देश के सबसे साफ-सुथरे शहर का खिताब हासिल करने के लिए जोर लगा रहे इंदौर में कचरा अब कीमती चीज बन गया है। नगरीय निकाय ने अलग-अलग तरीकों से कचरे के प्रसंस्करण का नवाचारी मॉडल तैयार किया है जिससे उसे हर साल तकरीबन चार करोड़ रुपए की कमाई हो रही है। उन्होंने बताया कि कोई 35 लाख की आबादी वाले इंदौर में हर रोज तकरीबन 1,200 टन कचरे का अलग-अलग तरीकों से सुरक्षित निपटारा किया जाता है। इसमें 550 टन गीला कचरा और 650 टन सूखा कचरा शामिल है। केंद्र सरकार के स्वच्छ भारत अभियान के लिए इंदौर नगर निगम के सलाहकार असद वारसी के मुताबिक पीपीपी मॉडल के आधार पर एक निजी कम्पनी ने शहर में 30 करोड़ रुपए के निवेश से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस युक्त ऑटोमेटिक प्रसंस्करण संयंत्र लगाया है। देश में संभवत: अपनी तरह के इस पहले संयंत्र में हर दिन 300 टन सूखे कचरे का प्रसंस्करण किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि कोई 35 लाख की आबादी वाले इंदौर में रोज तकरीबन 1,200 टन कचरे का निपटारा किया जाता है, इसमें 550 टन गीला कचरा और 650 टन सूखा कचरा शामिल है। वारसी ने बताया कि रोबोटिक प्रणाली वाले इस संयंत्र की खासियत ये है कि इसका सेंसर सूखे कचरे को छांट कर अलग कर देता है। प्रसंस्करण के बाद सूखे कचरे में से कांच, प्लास्टिक, कागज, गत्ता, धातु आदि पदार्थ अलग-अलग बंडलों के रूप में बाहर निकल जाते हैं। इस संयंत्र के लिए आईएमसी ने 4 एकड़ जमीन दी है। उन्होंने बताया कि इस जमीन पर संयंत्र लगाने के अलावा इंदौर में और कोई वित्तीय निवेश नहीं किया है, हालांकि एग्रीमेंट के मुताबिक, संयंत्र लगाने वाली निजी कम्पनी कचरे के प्रसंस्करण से होने वाली आय में से आईएमसी को हर साल 1.51 करोड़ रुपए का प्रीमियम देगी। इंदौर नगर निगम के सलाहकार असद वारसी ने बताया कि आईएमसी गीले कचरे के प्रसंस्करण से कम्पोस्ट खाद और बायो सीएनजी ईंधन बना रहा है। इसके अलावा मलबे से ईंटें, इंटरलॉकिंग टाइल्स और अन्य निर्माण सामग्री बनाई जा रही है। इन सभी उत्पादों की बिक्री से शहरी निकाय को कुल 2.5 करोड़ रुपए की सालाना कमाई हो रही है। उन्होंने बताया कि 3 गैर सरकारी संगठनों को घर-घर से सूखा कचरा इकट्ठा करने का जिम्मा सौंपा गया है। पहले चरण में ये गैर सरकारी संगठन शहर के करीब 22,000 घरों से सूखा कचरा इकट्ठा कर रहे हैं। घर के मालिकों को हर एक किलोग्राम सूखे कचरे के बदले एनजीओ की ओर से 2.5 रुपए का भुगतान किया जा रहा है। कुछ माह पहले तक देवगुराडिय़ा क्षेत्र स्थित जिस ट्रेंचिंग ग्राउंड के पास से गुजरने पर भी बदबू की वजह से निकलना दूभर हो जाता था वहां अब हरियाली लहलहा रही है। कचरे के विशालकाय पहाड़ों को वैज्ञानिक विधि से हटाने के बाद अब नगर निगम करीब 100 एकड़ क्षेत्र में पौधारोपण में जुटा है। अब तक हजारों पौधे रोपे जा चुके हैं। इसके अलावा लैंडफिल साइट को इतना आकर्षक बनाया गया है कि लोग आकर वहां आराम से घूम सकें। कुछ साल पहले तक ट्रेंचिंग ग्राउंड क्षेत्र के आसपास गांव और कालोनियों के रहवासी कचरे की बदबू से परेशान थे। बदबू के साथ ही आए दिन कचरे में लगने वाली आग से होने वाले प्रदूषण से पूरा इलाका दूषित था। यहां तक कि इलाके के बोरिंग में आने वाला पानी भी दूषित होने लगा था। स्वच्छता सर्वेक्षण में तीसरी बार नंबर वन की कवायद के दौरान नगर निगम की टीम ने ट्रेचिंग ग्राउंड पर तीस चालीस वर्ष से जमे कचरे के निस्तारण की योजना तैयार की। इस प्रक्रिया में गीले और सूखे कचरे को वैज्ञानिक विधि से अलग किया गया। अंतिम स्तर तक मिट्टी की जांच की गई कि कहीं उसमें हानिकारक केमिकल या मैटल आदि को मिले नहीं है। जांच रिपोर्ट सकारात्मक मिलने के बाद ट्रेचिंग ग्राउंड पर सिटी फारेस्ट बनाने की योजना को मंजूरी दी गई। 100 एकड़ से ज्यादा जमीन पर सिटी फॉरेस्ट ट्रेचिंग ग्राउंड कुल 159 एकड़ में फैला है। कचरे के पहाड़ हटने के बाद खाली हुई 100 एकड़ जमीन पर सिटी फॉरेस्ट तैयार करने की योजना तैयार कर ली गई। बीते मानसून के पहले ही 11 हजार पौधे लगाने और इनकी संख्या बढ़ाकर 40 हजार करने का लक्ष्य रखा गया। बारिश के बाद भी पौधारोपण का कार्य लगातार जारी है। अब लक्ष्य पूरे ट्रेचिंग ग्राउंड पर एक लाख पौधे लगाना है। निगम के उद्यान अधिकारी कैलाश जोशी के अनुसार ट्रेचिंग ग्राउंड पर बनाए गए सिटी फारेस्ट में बड़, पीपल, शीशम, कचनार, करंज और मोरसली जैसे पौधे लगाए गए हैं। दो साल तक इनकी विशेष देखभाल करना होगी इसके बाद ये खुद-ब-खुद बढऩे लगेंगे। इसके अलावा सिटी फॉरेस्ट में बगीचे भी बनाए जा रहे हैं जहां लोग घूमने आ सकेंगे। निगम ने ट्रेचिंग ग्राउंड पर ड्राय वेस्ट प्रोसेसिंग प्लांट भी शुरू किया है। निजी कंपनी ने 15 करोड रुपए खर्च कर इस प्लांट को लगाया है। कंपनी इस प्लांट के माध्यम से हर दिन 300 टन सूखा कचरा प्रोसेस हो सकता है। इससे निगम को भी हर साल डेढ़ करोड़ रुपए से ज्यादा की आय होगी। - विशाल गर्ग
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