18-Jan-2020 07:42 AM
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प्रदेश के प्राधिकरणों की कार्यशैली अब बदलेगी। सरकार ने प्रदेश के लिए लैंड पूलिंग एक्ट तैयार किया है। प्रदेश में तैयार हुआ लैंड पूलिंग का मॉडल अहमदाबाद की तर्ज पर तैयार हुआ है। शासन ने लैंड पूलिंग एक्ट तो बना दिया है। अब नगरीय प्रशासन एवं आवास मंत्रालय द्वारा उसके आधार पर नियम बनाए जा रहे हैं। भोपाल सहित सभी प्राधिकरणों के अधिकारियों से भी इस संबंध में सुझाव मांगे गए हैं।
कमलनाथ सरकार ने लैंड पूलिंग एक्ट लागू तो कर दिया है, मगर उसके नियम अभी नहीं बन सके है। इसके चलते एक्ट पर अमल किस तरह किया जाएगा, वह नियमों से ही तय होगा। लैंड पूलिंग एक्ट के चलते प्राधिकरण, हाउसिंग बोर्ड योजनाएं घोषित करने के बाद 50 प्रतिशत जमीन मालिकों को वापस लौटा देगा और 30 प्रतिशत जमीन पर इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार होगा और 20 प्रतिशत जमीन प्राधिकरण के पास रहेगी, जिसे वह भूंखडों के रूप में बेच सकेगा। अलग-अलग योजनाओं में प्राधिकरण ने 20 से लेकर अधिकतम 33 प्रतिशत तक विकसित भूखंड दिए हैं।
वैसे तो भोपाल-इंदौर जैसे शहरों में लैंड पूलिंग एक्ट का फायदा किसानों या जमीन मालिकों को ज्यादा नहीं मिलेगा, क्योंकि अभी प्राधिकरण जो विकसित भूखंड देता है वह अधिक फायदेमंद है, इसमें जमीन मालिकों को न तो कोई विकास कार्य करना पड़ता है और न कॉलोनाइजर लाइसेंस लेने से लेकर अन्य अनुमतियां लेना पड़ती है। मगर अब 50 प्रतिशत जमीन में अंदरूनी विकास जिसमेें सड़क, ड्रैनेज, पानी या अन्य सुविधाएं जमीन मालिक को ही जुटानी पड़ेगी। भोपाल सहित प्रदेशभर के प्राधिकरणों की लगभग 86 योजनाएं लैंड पूलिंग एक्ट के दायरे में आ रही है। इनमें से 66 योजनाएं ऐसी हैं, जिनमें 10 प्रतिशत से भी कम विकास कार्य हुए हैं।
इंदौर विकास प्राधिकरण का गठन मास्टर प्लान के क्रियान्वयन के लिए हुआ था, लेकिन योजनाएं विकसित करने के साथ अफसरों ने प्लॉट विकसित करने और आवासीय व कमर्शियल कॉम्प्लेक्स बनाने की तरफ ज्यादा ध्यान देना शुरू कर दिया। ऐसे में योजनाएं लागू करने में परेशानी आने लगी। आईडीए जिस मास्टर प्लान रोड का निर्माण करने की तैयारी करता, उसके 150 से 300 मीटर के दायरे की जमीन को भी योजना में शामिल कर लेता था। कोर्ट केस के कारण कई बार आईडीए को भूमि अधिग्रहण में परेशानी भी आती थी। नए लैंड पूलिंग एक्ट में अहमदाबाद मॉडल की तरह योजनाएं घोषित करने के बाद आईडीए का जोर 18 से 30 मीटर चौड़ाई की सड़कों के निर्माण पर ज्यादा रहेगा। उस सड़क का लाभ जिसे मिलेगा, उससे तय प्रतिशत के तहत जमीन ली जाएगी। जमीन मालिकों को भी उसी स्कीम में जमीन दी जाएगी। ऐसा होने पर जमीन मालिक को भी प्राधिकरण से समझौता करने में ज्यादा परेशानी नहीं आएगी और विकास के काम भी जल्दी हो जाएंगे। एक्ट लागू होने के बाद आईडीए की करीब आठ योजनाएं समाप्त हो जाएंगी, क्योंकि वर्षों से उन योजनाओं में विकास कार्य नहीं हो पाए। अभी एक्ट का नोटिफिकेशन आना बाकी है। मास्टर प्लान के तहत जो भी विकास कार्य होने हैं, उन्हें पूरा करने पर हमारा फोकस रहेगा।
गुजरात में विकास कार्यों को मूर्त रूप देने के लिए प्राधिकरणों को ज्यादा शक्तियां दे रखी हैं। शहर के जिस हिस्से में सड़क निर्माण करना हो, वहां प्राधिकरण को जमीन लेने में ज्यादा परेशानी नहीं आती है। सरकार हर स्कीम के लिए एक प्लानर नियुक्त करती है। वह सुनवाई करता है, उसके बाद सरकार भी सुनवाई करती है। जिस हिस्से में सड़क, उद्यान आदि का निर्माण करना हो, उसे काले रंग से नक्शे में दर्शाया जाता है और जो हिस्सा जमीन मालिकों को दिया जाना होता है, उसका रंग लाल होता है। ऐसे में जमीन मालिकों को भी बार-बार कार्यालयों के ज्यादा चक्कर नहीं काटने पड़ते हैं।
शासन द्वारा लाए जा रहे लैंड पूलिंग एक्ट पर जल्द ही अमल होगा। विधानसभा से मंजूरी के बाद अब शासन इसका गजट नोटिफिकेशन करेगा, फिर नगरीय विकास एवं आवास मंत्रालय से नियम बनेंगे। तत्पश्चात प्राधिकरण की लगभग 10 योजनाएं छूटेंगी, लेकिन 6 माह तक किसी तरह के नक्शे मंजूर नहीं होंगे। तब तक प्राधिकरण नए एक्ट के मुताबिक योजनाओं का नोटिफिकेशन करा सकेगा। किसानों या जमीन मालिकों को हालांकि इस नए लैंड पूलिंग एक्ट से अधिक फायदा नहीं होगा। उल्टा प्राधिकरण की विकसित भूखंड की नीति अधिक कारगर है। अभी जिन दो योजनाओं में प्राधिकरण अनुबंध कर चुका है उनके संबंध में भी नए सिरे से जमीन मालिकों से चर्चा की जाएगी। अंदरूनी सड़कों के साथ-साथ अन्य इंफ्रास्ट्रक्चर जिनमें बिजली, पानी, ड्रेनेज या अन्य की व्यवस्थाएं खुद जमीन मालिकों को ही करना पड़ेंगी। इसके चलते उन्हें तमाम विभागों में चक्कर काटना होंगे, जबकि अभी प्राधिकरण पूरा इंफ्रास्ट्रक्चर खुद तैयार करके देता है, जिस पर सिर्फ नक्शा मंजूर कराकर काम शुरू कराना ही शेष रहता है।
योजना में ये होंगे प्रावधान
जानकारी के मुताबिक लैंड पूलिंग एक्ट में 50 प्रतिशत जमीन इसके मूल मालिक को लौटाई जाएगी और शेष 50 प्रतिशत में से 20 प्रतिशत जमीनों का उपयोग मास्टर प्लान या अन्य प्रमुख सड़कों के निर्माण पर होगा और 10 प्रतिशत जमीन हरियाली के लिए रहेगी। बची 20 प्रतिशत जमीन प्राधिकरण बेचकर सड़क व अन्य इंफ्रास्ट्रक्चर पर खर्च की गई राशि निकालेगा। जो योजनाएं अभी लैंड पूलिंग एक्ट के चलते समाप्त होंगी, उनमें एक्ट के ही मुताबिक 6 माह तक किसी तरह के नक्शे मंजूर नहीं होंगे। यानी ऐसा नहीं है कि प्राधिकरण से योजनाएं छूटते ही जमीन मालिक पहले नगर तथा ग्राम निवेश से अभिन्यास और फिर नगर निगम से भवन अनुज्ञा हासिल कर ले। 6 माह का समय प्राधिकरण को नए एक्ट के तहत योजनाएं घोषित करने का मिलेगा, जिसमें 3 अलग-अलग स्टेज पर योजना घोषित होगी। पहली स्टेज पर प्रारंभिक नोटिफिकेशन, दूसरी स्टेज पर ड्राफ्ट नोटिफिकेशन और तीसरी स्टेेज पर शासन की मंजूरी के बाद फाइनल नोटिफिकेशन जारी होगा।
- नवीन रघुवंशी