फॉरेंसिक जांच पर आंच
18-Jan-2020 07:42 AM 1235243
हाल ही में राष्ट्रीय अपराध अभिलेख ब्यूरो (एनसीआरबी) द्वारा जारी वर्ष 2018 के अपराधों के आंकड़ों में मध्य प्रदेश में फिर दुष्कर्म की सबसे ज्यादा घटनाएं सामने आईं हैं। यहां हर रोज लगभग 15 बच्चियों या महिलाओं को वहशी लोगों ने अपनी हवस का शिकार बनाया। यह चिंता का विषय है। लेकिन इससे भी बड़ी चिंता की बात यह है कि दुष्कर्म के मामलों की जांच भी समय पर और ठीक से नहीं हो पा रही है। इसका परिणाम यह हो रहा है कि पीडि़तों को समय पर न्याय नहीं मिल पा रहा है। वहीं कुछ ऐसे मामले भी सामने आए हैं जहां फॉरेंसिक जांच पर आंच आई है। एनसीआरबी के आंकड़ों के अनुसार मध्य प्रदेश वर्ष 2018 में भी 5450 दुष्कर्म की घटनाओं के कारण देश में पहले नंबर रहा है। चिंता की बात रही कि इन घटनाओं में 54 ऐसी भी हैं जो छह साल या इससे कम उम्र की बच्चियों के साथ घटीं। वहशीपन की हद यह भी रही कि 60 साल से अधिक उम्र की 11 वृद्ध महिलाओं के साथ दुष्कर्म की घटनाओं से मप्र शर्मसार हुआ है। लेकिन कितने मामलों में दोषियों को सजा हो पाई है? इस सवाल का जवाब सरकार के पास नहीं है, क्योंकि कई मामलों में फॉरेंसिक जांच अभी भी अटकी हुई है। यही नहीं मध्यप्रदेश पुलिस फॉरेंसिक मामलों की जांच के मामले में लगातार फेल साबित हो रही है। भोपाल की मनुआभान टेकरी में पिछले साल आठवीं की छात्रा के साथ हुए रेप और हत्या की सनसनीखेज वारदात में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। पुलिस की चालान डायरी में आरोपी बनाए गए जस्टिन राज और अविनाश साहू की डीएनए रिपोर्ट निगेटिव आई है। सागर फॉरेंसिक लैब से दो बार आई डीएनए रिपोर्ट में ये दोनों आरोपी बे-गुनाह साबित हुए हैं। इनके ब्लड और सीमन का छात्रा के शरीर से लिए गए सैंपल से मिलान नहीं हुआ है। छात्रा के शरीर में आरोपियों के बजाय किसी दूसरे के सीमन पाए गए। डीएनए रिपोर्ट पुलिस के लिए गले की फांस बन गई है। भोपाल पुलिस अब इस रिपोर्ट को अन्य फॉरेंसिक लैब में भेजकर नई रिपोर्ट के इंतजार में है। ऐसे में अहम सवाल यह उठ रहा है कि अगर आरोपियों की डीएनए रिपोर्ट निगेटिव है तो छात्रा के साथ रेप के बाद हत्या किसने की थी। ऐसी ही कई अन्य रेप और हत्या की घटनाएं हैं, जो फॉरेंसिक जांच के कारण अटकी हुई हैं। ऐसे में या तो निर्दोष जेल की सजा काट रहे हैं, या फिर दोषी खुलेआम घूम रहे हैं। सागर की फॉरेंसिक लैब वर्ष 2018 से मई 2019 के बीच हुए रेप केस में डीएनए रिपोर्ट के आधार पर 29 गुनाहगारों को फांसी की सजा दिलवा चुकी है। लेकिन भोपाल की मनुआभान टेकरी की घटना से संबंधित रिपोर्ट के बाद पुलिस की कार्रवाई ने सागर फॉरेंसिक लैब पर प्रश्न-चिन्ह लगा दिया है। अब देखना यह है कि पुलिस ने हैदराबाद से जो रिपोर्ट मंगाई है वह क्या कहानी बयां करती है। सबसे बड़ी हैरानी की बात तो यह है कि पिछले कई सालों से बलात्कार के मामले में नंबर-1 रहने के बावजूद भी सरकार ने डीएनए जांच की पर्याप्त व्यवस्था नहीं की है। पुलिस को सागर की एकमात्र लैब के भरोसे रहना पड़ रहा है। अगर सागर लैब की किसी जांच से पुलिस संतुष्ट नहीं हो पाती है तो उसे दूसरे प्रदेशों की लैब का सहारा लेना पड़ता है। दरअसल प्रदेश में दुष्कर्म की घटनाओं पर सियासत होती रही है। सरकारें भले बदल गई हों, विपक्षी पार्टियां इस मुद्दे को लेकर सदन से सड़क तक हंगामा करती रही है, लेकिन रेप की घटना के बाद सबसे महत्वपूर्ण सबूत माने जाने वाले डीएनए रिपोर्ट तैयार करने वाली प्रयोगशाला यानी लैब बनाने की ओर सरकारों का ध्यान नहीं गया। दो साल पहले पुलिस मुख्यालय ने शासन को इस बाबत प्रस्ताव भेजा था, लेकिन आज भी ये प्रस्ताव फाइलों में धूल खा रहा है। महिला अपराधों को सियासी मुद्दा तो बनाया जाता है, लेकिन डीएनए लैब के प्रस्ताव को हरी झंडी दी जाए, इस दिशा में काम नहीं होता। पुलिस मुख्यालय ने कई बार इस बाबत शासन को याद भी दिलाया है, फिर भी शासन मौन है। पीएचक्यू के प्रस्ताव के अनुसार इंदौर, ग्वालियर और जबलपुर की रीजनल फॉरेंसिक साइंस लैबोरेटरी को अपडेट कर डीएनए लैब बनाने की बात कही गई है। वहीं उज्जैन और रीवा में नई लैब खोले जाने का प्रस्ताव है। डीएनए लैब के साथ ही पुलिस राज्य के सभी 9 जोन में एक रीजनल फॉरेंसिक साइंस लैबोरेटरी खोलने पर भी विचार कर रही है। इस काम पर करीब 100 करोड़ रुपए की लागत आएगी। पुलिस के मुताबिक रेप के आरोपियों को उनके अपराध की सजा दिलाने के लिए डीएनए की जांच अहम होती है। पिछले साल नाबालिग से रेप के 21 मामलों में फांसी सुनाई गई। इनमें से 19 मामलों में डीएनए रिपोर्ट अहम सबूत साबित हुई थी। जब बीजेपी की सरकार थी, तो कांग्रेस ने रेप की घटनाओं को लेकर हंगामा किया था। लेकिन अब सरकार कांग्रेस की है और बीजेपी इस मुद्दे पर कांग्रेस को घेरती रही है। मनुआभान की टेकरी पर हुए गैंगरेप की डीएनए रिपोर्ट नहीं होने को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सरकार के खिलाफ धरने पर बैठे थे। सरकार से डीएनए लैब खोलने की मांग भी की थी। लेकिन 15 साल तक प्रदेश में जब उनकी सरकार थी तो उन्होंने इस ओर ध्यान क्यों नहीं दिया। सागर की लैब के भरोसे डीएनए रिपोर्ट की जांच के लिए सागर जिले में प्रदेश की इकलौती फॉरेंसिक साइंस लेबोरेटरीज है। यहां प्रदेशभर से हर महीने 200 से ज्यादा सैंपल आते हैं। लैब में रेप-मर्डर जैसे गंभीर अपराधों की जांच को प्राथमिकता दी जाती है, लेकिन सैंपल ज्यादा आने की वजह से रिपोर्ट में देरी होती है। कई बार सैंपल ज्यादा होने से इन्हें जांच के लिए हैदराबाद की लैब में भेजना पड़ता है। डीएनए जांच के लिए सागर एफएसएल में 9 साइंटिस्ट हैं। अभी भी लैब में करीब 1200 जांच रिपोर्ट लंबित हैं। इनमें गंभीर अपराधों की जांच रिपोर्ट भी शामिल है। एनसीआरबी के आंकड़ों में रेप के मामले में प्रदेश के लगातार कई वर्षों तक नंबर-वनÓ रहने पर पूर्व की बीजेपी सरकार ने दो साल पहले इन घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए पुलिस मुख्यालय को निर्देश दिए थे। पुलिस मुख्यालय ने इसके लिए कई उपाय किए, साथ ही प्रदेश के 5 जिलों में 100 करोड़ रुपए की लागत से डीएनए लैब खोलने का प्रस्ताव भेजा। मगर सरकार ने प्रस्ताव पर ध्यान ही नहीं दिया। - राजेश बोरकर
FIRST NAME LAST NAME MOBILE with Country Code EMAIL
SUBJECT/QUESTION/MESSAGE
© 2025 - All Rights Reserved - Akshnews | Hosted by SysNano Infotech | Version Yellow Loop 24.12.01 | Structured Data Test | ^