04-May-2020 12:00 AM
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कोरोनावायरस के संक्रमण के चलते छत्तीसगढ़ पर व्यापक असर हुआ है। यहां के जरूरतमंद परिवारों के लिए कल्याणकारी योजनाओं के संचालन व सामान्य कामकाज के लिए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर आगामी तीन माह में 30 हजार करोड़ रुपए की आर्थिक सहायता मांगी है। बघेल ने 10 हजार करोड़ रुपए की राशि तत्काल जारी करने का आग्रह किया है, ताकि औद्योगिक व व्यावसायिक गतिविधियों और कृषि क्षेत्र की तुरंत सहायता की जा सके। मुख्यमंत्री कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार, मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में राज्य में कोविड-19 के प्रसार की नियंत्रित स्थिति को देखते हुए राज्य को आंशिक राजस्व प्राप्ति से संबंधित आर्थिक गतिविधियों के संचालन की छूट तत्काल प्रदान करने का आग्रह किया है।
अधिकारियों ने बताया कि मुख्यमंत्री ने इसके साथ ही राज्य में कोविड-19 को फैलने से रोकने के मामले में नियंत्रित स्थिति को देखते हुए राज्य को आंशिक राजस्व प्राप्ति से संबंधित आर्थिक गतिविधियों के संचालन की छूट तत्काल प्रदान करने का आग्रह किया है। बघेल ने पत्र में लिखा है कि मिठाई दुकानों के संचालन की छूट दी जाए, जिससे दुग्ध उत्पादकों का दूध बिकना संभव हो सके। उन्होंने लिखा है कि संपत्तियों के क्रय-विक्रय के पंजीयन की छूट सहित वाहनों के शोरूम का संचालन और पंजीयन, शहरों में निर्माण कार्यों के संचालन, ग्रीष्म ऋतु को देखते हुए एयर कंडीशनर, कूलर और फ्रिज के शोरूम के संचालन, समस्त प्रकार के मरम्मत कार्य और ग्रीन जिलों में सभी प्रकार के खुदरा कार्य खोलना उचित होगा। राज्य शासन की ओर से सभी व्यक्तियों के मास्क पहनने, सामाजिक दूरी को सुनिश्चित करने के लिए हर संभव प्रयत्न किए जाएंगे।
बघेल ने प्रधानमंत्री को पत्र में लिखा है कि लॉकडाउन की लंबी अवधि के कारण राजस्व प्राप्ति लगभग शून्य हो गई है। वर्तमान आर्थिक परिदृश्य में राज्य को केंद्रीय करों में से प्राप्त होने वाली राशि में भी बड़ी कमी होना निश्चित है। दूसरी ओर राज्य के 56 लाख गरीब और जरूरतमंद परिवारों, जिनकी आय का कोई साधन नहीं बचा है, के जीवनयापन के लिए राज्य सरकार को अतिरिक्त संसाधनों की आवश्यकता पड़ रही है। मुख्यमंत्री ने पत्र में कहा है कि यदि उक्त गतिविधियों के संचालन की तत्काल अनुमति नहीं दी जाती है तब राज्य के सामान्य कामकाज का संचालन संभव नहीं हो सकेगा। मुख्यमंत्री ने पत्र में बताया है कि राज्य में कोविड-19 के प्रकोप की स्थिति तुलनात्मक रूप से अन्य राज्यों से बेहतर है। 21 अप्रैल तक राज्य में कोविड-19 के 36 मरीज संक्रमित पाए गए थे, जिनमें से 25 व्यक्ति संक्रमण मुक्त होकर घर जा चुके हैं, शेष 11 व्यक्तियों का उपचार जारी है तथा सभी की दशा सामान्य है। उन्होंने कहा कि राज्य में प्रतिदिन लगभग 400 व्यक्तियों की जांच की जा रही है। पिछले पांच दिन में कोई भी नया व्यक्ति कोविड-19 से संक्रमित नहीं पाया गया है। राज्य के 28 जिलों में से 23 जिलों में अभी तक एक भी व्यक्ति संक्रमित नहीं पाया गया है, जबकि चार जिलों जहां 8 संक्रमित मिले थे, वहां पिछले तीन सप्ताह से कोई प्रकरण सामने नहीं आया है तथा एकमात्र जिले के 11 सक्रिय संक्रमितों का इलाज अभी जारी है।
इससे पूर्व भी मुख्यमंत्री केंद्र सरकार से आर्थिक सहायता की मांग कर चुके हैं। छत्तीसगढ़ सरकार ने श्रमिक परिवारों को आर्थिक सहायता उपलब्ध कराने के लिए केंद्र से 1016 करोड़ रुपए की मांग की है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इसके लिए एक पत्र भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखा है। इसमें कहा गया है कि मनरेगा के तहत वर्ष 2020-21 की पहले तीन माह की राशि को जारी किया जाए। कोरोना संक्रमण के कारण हुए लॉकडाउन से मजदूरों के सामने संकट आ गया है। छत्तीसगढ़ में मनरेगा के तहत 39.56 लाख परिवारों के 89.20 लाख श्रमिक पंजीकृत हैं। इनमें से 32.82 लाख परिवारों के 66.05 लाख श्रमिक सक्रिय रूप से योजना के माध्यम से रोजगार प्राप्त करते हैं। मार्च 2020 की शुरुआत में राज्य में करीब 12 लाख श्रमिक रोज कार्य कर रहे थे। पिछले 10 दिनों से कोरोना संक्रमण से हुए लॉकडाउन से श्रमिकों की संख्या बहुत कम हो गई है। मुख्यमंत्री बघेल ने कहा, राज्य शासन की ओर से कोरोना से बचाव के लिए सभी जरूरी उपाय किए जा रहे हैं। वर्तमान में मनरेगा के अंतर्गत छत्तीसगढ़ में 484 करोड़ रुपए की मजदूरी भुगतान लंबित है। इन विपरीत परिस्थितियों में इस लंबित मजदूरी का भुगतान तत्काल किया जाना आवश्यक है।
लॉकडाउन बढ़ने से छोटे कारोबारी मुसीबत में
लॉकडाउन की अवधि बढ़ाकर 3 मई करने के सरकारी निर्णय का भले ही लोग स्वागत कर रहे हों, लेकिन एक वर्ग ऐसा भी है जिसकी लॉकडाउन बढ़ने से आर्थिक हालत खस्ता होने के साथ ही परेशानी बढ़ गई है। छोटे-छोटे कारोबारियों ने 22 मार्च से बंद छोटे-छोटे कारोबार को लॉकडाउन से मुक्त कराने की मांग की है। गरीब एवं मध्यम वर्ग के जरूरतमंदों के समक्ष रोजी-रोटी की समस्या अब और बढ़ गई है। ऐसे लोग इस उम्मीद में थे कि 14 अप्रैल तक किसी तरह लॉकडाउन का पालन कर वे अपना एवं परिवार का जीविकोपार्जन कर लेंगे। ऐसे में लॉकडाउन की समय-सीमा 3 मई तक बढ़ा दिए जाने से मध्यम वर्ग के लोगों की चिंता बढ़ने के साथ ही परेशानी बढ़ गई है। मध्यम वर्गीय श्रेणी के लोगों का कहना है कि ऐसे में वे अपने परिवार का भरण पोषण कैसे करेंगे। समाज में एक बड़ा वर्ग मध्यम श्रेणी का है, जिसके पास ना तो कोई राहत सामग्री पहुंच रही है और ना ही कोई इनकी सुध लेने वाला है। ऐसे लोगों के पास राशन कार्ड तक नहीं है। जिससे इस वर्ग से जुड़े बड़े तबके को कुछ मदद मिल सके। उनका आरोप है कि जनप्रतिनिधि से लेकर पंचायत प्रतिनिधि तक इस दिशा में पूरी तरह उदासीन है। चौक-चौराहों पर ठेला गुमठी लगाकर लगाकर चाय एवं अन्य तरह के सामान बेचकर परिवार के सदस्यों के लिए दो वक्त की रोटी का जुगाड़ करने वाले आर्थिक एवं मानसिक प्रताड़ना के शिकार हो रहे हैं।
- रायपुर से टीपी सिंह