सियासत में सिंधिया घराने की चौथी पीढ़ी!
06-Dec-2021 12:00 AM 580

 

ग्वालियर राजघराने की चौथी पीढ़ी सियासत में आने को तैयार है। केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के पुत्र महाआर्यमन ने जिस तरह से अपना 26वां जन्मदिन कार्यकर्ताओं के साथ मनाया, उससे साफ संकेत है कि महाआर्यमन जल्दी ही नेताओं की पारंपरिक ड्रेस (सफेद कुर्ता-पायजामा) में दिखाई देंगे। प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के बेटे जयवर्धन सिंह और कमलनाथ के बेटे नकुलनाथ पॉलिटिक्स में पहले से ही सक्रिय हैं। इसी तरह भाजपा के नेता और पूर्व मंत्री कैलाश विजयवर्गीय के बेटे आकाश भी विधायक बन चुके हैं। जयवर्धन विधायक हैं और पूर्व की कमलनाथ सरकार में मंत्री रहे हैं जबकि नकुलनाथ छिंदवाड़ा से सांसद हैं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के बेटे कार्तिकेय पिछले 3-4 साल में कई मौकों पर राजनीतिक तौर पर सक्रिय नजर आए। फिलहाल वे पढ़ाई पूरी करने अमेरिका गए हैं। अब ज्योतिरादित्य के पुत्र महाआर्यमन के लिए ‘पॉलिटिकल कारपेट’ तैयार हो रहा है।

खास बात है कि चारों में से तीन के पिता राजनीति की लंबी पारी खेल चुके हैं और अभी भी सक्रिय हैं। सबसे पहले दिग्विजय सिंह ने अपने पुत्र जयवर्धन को राजनीति के अखाड़े में उतारा था। इसके बाद कमलनाथ ने मप्र की राजनीति में सक्रिय होते ही बेटे नकुलनाथ को अपनी संसदीय सीट छिंदवाड़ा की कमान सौंप दी। चार बार के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के पुत्र कार्तिकेय चार साल से बुधनी में सक्रिय हैं। राजनीतिक जानकार बताते हैं कि वे अपने पिता की विरासत को कब संभालेंगे, अभी यह कहना जल्दबाजी होगी।

केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य की उम्र 51 साल है। वे दिग्विजय सिंह, कमलनाथ और शिवराज सिंह से उम्र में 10 से 15 साल छोटे हैं। इसी तरह चारों नेताओं के पुत्रों में महाआर्यमन उम्र के मामले में तीसरे नंबर पर हैं। वे 17 नवंबर को 26 साल के हुए हैं। जबकि नकुलनाथ 47, जयर्वधन सिंह 35 और कार्तिकेय 25 साल के हैं। राजनीति में आने से पहले जयवर्धन से दिग्विजय सिंह ने कहा था- राजनीति में आने से पहले वह राघौगढ़ की जनता के साथ सात दिन गुजारें। यहां एक-एक परिवार से मिलें, उनकी बात सुनें, उन्हें समझें। अगर राघौगढ़ की जनता ने तुम्हें अपना लिया, तो तुम राजनीति कर सकते हो। पिता की शर्त के आगे अमेरिका में शिक्षा प्राप्त बेटा राघौगढ़ की सड़कों पर उतर गया। 2013 में राघौगढ़ के कोलुआ गांव से पदयात्रा निकाली। 6 दिनों तक चली इस पदयात्रा में दिग्विजय भी उनके साथ ही थे। फिर लड़ा विधानसभा चुनाव, विधायक और मंत्री बने।

मप्र कांग्रेस के अध्यक्ष नेता कमलनाथ के बड़े बेटे नकुलनाथ छिंदवाड़ा में राजनीतिक तौर पर सक्रिय रहे, लेकिन पहली बार मई 2018 में भोपाल में कांग्रेस के कार्यक्रम में शामिल हुए। यह कार्यक्रम कमलनाथ के प्रदेश अध्यक्ष बनने पर आयोजित हुआ था। इस दौरान नकुलनाथ पिता के साथ-साथ थे। इस दौरान सुबह 11 बजे से शुरू होकर शाम 6 बजे तक चले रोड शो में पूरे वक्त नकुल पिता के पीछे खड़े रहे। यही नहीं, कांग्रेस दफ्तर के सामने हुई कांग्रेस की रैली में भी मंच पर नकुल के लिए बाकायदा सीट रिजर्व की गई थी और नकुल पिता के ठीक पीछे बैठे थे। कार्यक्रम के बाद कमलनाथ की पत्रकार वार्ता में भी नकुल की सीट रिजर्व थी और वो सबसे पहले आकर अपनी सीट पर बैठ गए थे। शिवराज सिंह चौहान के बड़े बेटे कार्तिकेय पिछले चार सालों से राजनीति में कुछ मौकों पर सक्रिय दिखाई दे रहे हैं। वे पिता के चुनाव में वर्ष 2013 से प्रचार कर रहे हैं। उन्होंने चुनावी सभाएं भी कीं। जनवरी 2018 में शिवपुरी जिले के कोलारस क्षेत्र में उन्होंने पहली बार बड़ी सभा को संबोधित किया था। तब उन्होंने एक बयान में कहा था- जब मैं कोलारस आ रहा था, तो मैंने अपने पिता से पूछा- मैं पहली बार बुधनी से बाहर जाकर सभा करूंगा तो वहां क्या बोलना है? इस पर पिता ने कहा कि जो सच हो, वह बोलना। इस सभा में कार्तिकेय का भाषण सुनकर भाजपा नेता चौंक गए थे।

विधानसभा उपचुनाव में ज्योतिरादित्य सिंधिया के 25 वर्षीय बेटे महा आर्यमन का एक पोस्टर तेजी से वायरल हुआ था, जिससे कयास लगने शुरू हो गए थे कि सिंधिया की नई पीढ़ी भी राजनीति में एंट्री करने की तैयारी में है। रायसेन के सांची में भाजपा युवा मोर्चा की तरफ से सम्मेलन आयोजित किया गया था। यहां बड़े-बड़े होर्डिंग लगे थे। इसमें महाआर्यमन के साथ कार्तिकेय का फोटो भी था, लेकिन यह सभा नहीं हुई थी। अब पहली बार कार्यकर्ताओं के बीच जन्मदिन मनाए जाने के बाद राजनीतिक जानकारों का कहना है कि ज्योतिरादित्य अपने बेटे की पॉलिटिकल लॉचिंग में ज्यादा इंतजार नहीं करेंगे।

राजनीति में आ चुके हैं 9 मुख्यमंत्रियों के 11 बेटे

मप्र के सियासी इतिहास के अगर पन्ने पलटें तो पता चलता है कि मप्र में अब तक हुए 19 मुख्यमंत्रियों में से 9 मुख्यमंत्रियों के 11 बच्चे न सिर्फ पिता का हाथ पकड़ राजनीति में आए बल्कि मंत्री भी बने। मप्र में अब तक 27 सरकारें रही हैं, जिसमें 19 मुख्यमंत्री रहे हैं। कई नेता ऐसे हैं, जो दो या ज्यादा बार मंत्री रहे हैं। मप्र के पहले मुख्यमंत्री रविशंकर शुक्ल के दोनों बेटे विद्याचरण शुक्ल और श्यामाचरण शुक्ल राजनीति में आए। श्यामाचरण शुक्ल 3 बार मुख्यमंत्री और विद्याचरण शुक्ल केंद्रीय मंत्री बने। मप्र के छठे मुख्यमंत्री गोविंद नारायण सिंह के 2 बेटे हर्ष सिंह और ध्रुव नारायण राजनीति में आए। हर्ष सिंह शिवराज सरकार में मंत्री और ध्रुवनारायण 1 बार विधायक रहे। मप्र के 10वें मुख्यमंत्री कैलाश जोशी के बेटे दीपक जोशी शिवराज सरकार में मंत्री रहे। मप्र के 11वें मुख्यमंत्री वीरेंद्र कुमार सखलेचा के बेटे ओमप्रकाश सखलेचा 4 बार विधायक रहे। मौजूदा शिवराज सरकार में मंत्री हैं। दो बार मप्र में मुख्यमंत्री रहे सुंदरलाल पटवा के दत्तक पुत्र सुरेंद्र पटवा शिवराज सरकार में मंत्री रह चुके। अब विधायक हैं। 3 बार मप्र के मुख्यमंत्री बने अर्जुन सिंह के बेटे अजय सिंह 6 बार विधायक बने। मप्र के नेता प्रतिपक्ष रहे। दो बार मप्र के मुख्यमंत्री रहे मोतीलाल वोरा के बेटे अरुण वोरा विधायक रहे। 2 बार मुख्यमंत्री रहे दिग्विजय सिंह के बेटे जयवर्धन सिंह को विरासत में सियासत मिली। कमलनाथ सरकार में मंत्री रहे। कमलनाथ के बेटे नकुलनाथ छिंदवाड़ा से सांसद हैं। 

- नवीन रघुवंशी

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