संगठित अपराध पर होगा कंट्रोल
08-Jan-2022 12:00 AM 366

 

मप्र में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की मंशा को देखते हुए कानून व्यवस्था को दुरुस्त किया जा रहा है। इसके लिए जहां भोपाल और इंदौर में पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू की गई है, वहीं प्रदेशभर में पुलिस प्रशासन को दुरुस्त किया जा रहा है। इस काम में गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव राजेश राजौरा लगे हुए हैं। सरकारी व निजी संपत्ति नुकसान की वसूली (संशोधन) विधेयक 2021 के बाद अब प्रदेश में दो अन्य बिल लाए जा रहे हैं, ताकि अपराधों पर अंकुश लगाया जा सके। इसके लिए आगामी विधानसभा सत्र में गैंगस्टर विरोधी विधेयक तथा पब्लिक सेफ्टी बिल लाए जाएंगे।

सरकार नए साल में मप्र गैंगस्टर विरोधी विधेयक (एक्ट) ला रही है। इसमें ऐसे बड़े अपराधी जो शराब का कारोबार करते हैं, जुआ खिलाते हैं, भूमाफिया, वन माफिया, विस्फोटक आदि से जुड़े माफियाओं के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। सूत्रों का कहना है कि गृह विभाग एक्ट के प्रावधानों को तैयार कर रहा है। इस एक्ट में 2 से 10 साल तक की सजा व 25 हजार रुपए जुर्माने का प्रावधान होगा। अगर अपराधी सरकारी अधिकारी-कर्मचारी पर हमला करता है, तो उसमें 2 साल की सजा को 5 साल और 5 साल की सजा को बढ़ाकर 10 साल कर 30 हजार रुपए जुर्माना किया जाएगा। इस एक्ट के तहत गैंगस्टर के सहयोगी पर भी 3 से 10 साल की सजा व जुर्माना होगा। गैंगस्टर के काले कारनामे बेनकाब कर उनकी बेहिसाब संपत्तियां भी राजसात होंगी। इस एक्ट में दर्ज केसों की सुनवाई के लिए स्पेशल कोर्ट का गठन होगा जिसमें ट्रायल चलेंगे। खास बात यह है कि इसमें गैंगस्टर की अनुपस्थिति में भी ट्रायल चलेगी और बयान, साक्ष्य आदि एक्चुअल व वर्चुअल, जैसे भी स्थितियां जारी रहेगी। एक्ट में साक्षियों का विशेष ध्यान रखा गया है। इनके बयान जज के समक्ष बंद कमरे में होंगे व पूरी सुरक्षा दी जाएगी।

वहीं पब्लिक सेफ्टी बिल के तहत प्रावधान किया गया है कि जिस संस्थान में 100 या उससे अधिक लोग जुटते हैं, वहां कैमरे लगाना अनिवार्य है। वहीं अपराध और अपराधियों की निगरानी और त्वरित कार्रवाई के लिए शुरू की गई डायल-100 वाहन व्यवस्था को भी मजबूत किया जा रहा है। मप्र में डायल-100 वाहन अत्याधुनिक कैमरों और सुविधाओं से लैस रहेंगे। डायल-100 वाहनों में डैस बोर्ड कैमरा व स्टाफ के लिए बॉडी वार्न कैमरा लगेगा। इसे लाइव कंट्रोल रूम से देखा जा सकेगा। सरकार की महती योजना डायल-100 में एफआरवी (फं्रट रिस्पांस व्हीकल) वाहनों की संख्या बढ़ाई जा रही हैं। मौजूदा 1000 वाहनों को बढ़ाकर अब 1200 किया जा रहा है। निविदा अवधि में वाहनों की संख्या 2000 तक बढ़ाने की सीमा भी निर्धारित की गई है। नए वाहन अत्याधुनिक कैमरों और सुविधाओं से लैस रहेंगे।

जानकारी के अनुसार मप्र सरकार ने नए वाहनों को मंजूरी दे दी है और जल्दी इसको लेकर निविदा जारी की जाएगी। डायल-100 सेवा का वर्तमान डाटा सेंटर, स्टेट डाटा सेंटर में शिफ्ट करने का प्रावधान है। मैप आईटी के डिजास्टर रिकवरी सेंटर उपयोग में आने से कोई अतिरिक्त आर्थिक भार नहीं आएगा। सभी एफआरवी वाहनों में डैस बोर्ड कैमरा, ड्यूटी में तैनात स्टाफ के लिए बॉडी वार्न कैमरा लगाया जाएगा। इसे लाइव कंट्रोल रूम से देखा जा सकेगा।

जानकारी के अनुसार योजना के दूसरे फेज में वाइस कॉल के अलावा एसएमएस और सोशल मीडिया पैनिक बॉटम से जानकारी प्राप्त होने पर इवेंट तैयार कर एफआरवी वाहन डिस्पैच किए जाने की सुविधा रहेगी। नागरिकों के लिए सभी आपात सेवाओं पुलिस, फायर, एंबुलेंस के लिए एक एकीकृत मोबाइल एप्लीकेशन की सुविधा रहेगी। पुलिस अधिकारियों की सतत् निगरानी के लिए अलग मोबाइल ऐप का प्रावधान है। डायल-100 सेवा का अन्य नागरिक सेवाओं जैसे फायर, सीसीटीवी (सेफ सिटी सर्विलेंस सिस्टम) सीसीटीएनएस और वल्लभ भवन के वातावरण के हिसाब से एकीकृत व्यवस्था का प्रावधान है। फोन किए जाने पर बगैर मोबाइल नंबर परिलक्षित हुए, एफआरवी से संपर्क की सुविधा, कॉलर और एफआरवी के मध्य हुई बातचीत की रिकॉर्डिंग की सुविधा रहेगी। स्टाफ के पास कॉलर का नंबर नहीं जाएगा, बल्कि एक वर्चुअल नंबर जाएगा, जिस पर इवेंट के ओपन रहते स्टाफ कॉलर से संपर्क कर सकेगा। कॉलर को पुलिस स्टाफ से बात करनी होगी, तब भी यही प्रक्रिया अपनाई जाएगी। निजता और गोपनीयता के मकसद से यह व्यवस्था की गई है। वाहनों में स्ट्रेचर का प्रावधान है, ताकि दुर्घटना की स्थिति में तत्काल अस्पताल पहुंचाया जा सके। राज्यस्तरीय पुलिस कंट्रोल रूम कॉलटेकर सीट संख्या 80 प्रति शिफ्ट से बढ़ाकर 100 प्रति शिफ्ट एवं डिस्पैचर संख्या 24 प्रति शिफ्ट से बढ़ाकर 40 प्रति शिफ्ट करने का प्रावधान किया गया है। निविदा अवधि में इनकी संख्या और अधिक बढ़ाने की सीमा निर्धारित की गई है। जीआईएस मैप का उन्नयन, कॉलर की लोकेशन की शुद्धता में सुधार के लिए प्राइवेट मैप प्रोवाइडर की सेवाएं ली जाएंगी।

अब पुलिस के जिम्मे होगा इंटिग्रेटेड कंट्रोल एंड कमांड सेंटर

स्मार्ट सिटी का इंटिग्रेटेड कंट्रोल एंड कमांड सेंटर  जल्द पुलिस के हवाले होगा। इसकी तैयारी शुरू कर दी गई है। सेंटर में लगे कैमरों की मदद से पुलिस शहर की ट्रैफिक व्यवस्था की निगरानी करेगी। साथ ही नियम तोड़ने वालों को ई-नोटिस भेजकर चालानी कार्रवाई करेगी। दरअसल, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कुछ दिन पहले स्मार्ट सिटी के कामकाज की समीक्षा की थी। इस दौरान भोपाल स्मार्ट सिटी के कामकाज पर नाराजगी जताते हुए कहा था कि जब चौराहों पर पुलिस ने पहले से ही कैमरे लगा रखे हैं तो स्मार्ट सिटी ने क्यों लगाए? स्मार्ट सिटी चालान बनाएगी तो पुलिस क्या करेगी? स्मार्ट सिटी के कैमरे भी बंद पड़े हैं। इसके बाद ही आईसीसीसी स्मार्ट सिटी के हाथों से जाने का अंदेशा जताया जा रहा था। गौरतलब है कि वर्ष 2018 में इसका शुभारंभ किया गया था। इंदौर सहित अन्य स्मार्ट सिटी को भी इससे जोड़ा गया। आईसीसीसी से शहरों की रियल टाइम मॉनीटरिंग की जाती है।

- सुनील सिंह

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