चिदंबरम ने उठाए कठोर कदम
02-Mar-2013 08:16 AM 1234772

केंद्र सरकार का बजट आशा के अनुरूप नहीं रहा। महंगाई से जूझते आम नागरिकों को उम्मीद थी कि सरकार राहत भरे कदम उठाते हुए खाद्यान्न सहित अन्य वस्तुओं के दामों को नियंत्रित करने के लिए कठोर कदम उठाएगी, लेकिन ऐसा हो नहीं सका। वित्तमंत्री ने लोकप्रिय बजट देने की अपेक्षा सभी वर्गों को राहत देने और साथ ही देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने का प्रयास किया है। इसलिए यह वर्तमान सरकार का अंतिम कठोर बजट कहा जा सकता है क्योंकि अगले वर्ष चुनाव के समय वित्तीय कठोरता बरतने की गुंजाइश नहीं रह जाएगी।
पेट्रोलियम और अन्य वस्तुओं के दाम बढऩे के कारण देश में असंतोष का वातावरण है। खाद्यान्न से लेकर अन्य वस्तुओं के दाम भी तेजी से बढ़े हैं। स्वयं सरकार ने इस बात को गहराई से महसूस किया है। चिदंबरम ने जो आर्थिक सर्वेक्षण प्रस्तुत किया था उसमें साफ झलक रहा था कि सरकार देश की आर्थिक स्थिति से संतुष्ट नहीं है। विकास दर अपने आप में एक महत्वपूर्ण सूचकांक है जो विगत कई वर्षों से लगातार नीची होती जा रही है। इसी कारण केंद्रीय बजट में सरकार ने उत्पादन बढ़ाने के लिए भरसक प्रयास किए हैं ताकि विकास दर में तेजी आ सके, लेकिन उद्योग क्षेत्र को जो उम्मीदें थी उसमें बजट खरा नहीं उतरा। जैसे सीमेंट में कोई राहत नहीं दी गई न ही रियल स्टेट और अधोसंरचना में राहत मिली, मीडिया और इंटरटेनमेट तथा स्वागत उद्योगों को भी सरकार ने निराश ही किया है। हेल्थ केयर और स्वास्थ्य उद्योग के विकास के लिए कोई विशेष कदम नहीं उठाए गए हैं। लगता है चिदंबरम को देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ कृषि पर विशेष चिंतन करना पड़ा है। पिछले दिनों में किसानों की आत्महत्याओं से लेकर सूखा, ओला, पाला जैसी आपदाओं ने किसानों को बुरी तरह निराश और बेकल कर दिया था। इसी कारण चिदंबरम ने वर्तमान वित्तीय वर्ष में कृषि ऋण के लक्ष्य में सवा लाख करोड़ रुपए की भारी बढ़ोतरी का प्रस्ताव किया है। जिसके चलते अगले वित्तीय वर्ष में 7 लाख करोड़ रुपए का तो कृषि ऋण ही दिया जाएगा। साथ ही खाद सुरक्षा विधेयक के क्रियान्वयन के लिए 10 हजार करोड़ रुपए की अतिरिक्त सब्सिडी का आवंटन कहीं न कहीं वोटरों को लुभाने की दृष्टि से किया गया है। कृषि मंत्रालय का आवंटन 22 प्रतिशत बढ़ाकर 27 हजार 49 करोड़ रुपए करने का प्रस्ताव है। इसमें से 3.415 करोड़ रुपए की राशि कृषि अनुसंधान के लिए दी जाएगी। किसानों को और भी अन्य तरह से राहत देने का प्रयास किया गया है। उधर रक्षा बजट में भी इस बार प्रभावी वृद्धि हुई है। इसे बढ़ाकर 2 लाख 3 हजार 672 करोड़ रुपए कर दिया गया है जो पिछले वर्ष के मुकाबले लगभग 10 हजार करोड़ रुपए अधिक है। इसमें 86 हजार 741 करोड़ रुपए का पूंजी व्यय शामिल है। यह अच्छी बात है कि विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय के 6 हजार 225 करोड़ रुपए तथा अंतरिक्ष अनुसंधान के लिए 5615 करोड़ रुपए दिए गए हैं। इससे भारतीय विज्ञान जगत की दुनिया में पहचान स्थापित होने में सहायता मिलेगी। पिछले वर्ष अगस्त माह में आर्थिक सर्वेक्षण के समय यह पता चला था कि देश का सकल घरेलू उत्पाद 5.5प्रतिशत की वृद्धि से बढ़ रहा है उस समय अनुमान लगाया गया था कि बजट तक यह तेजी बनी रहेगी और बल्कि इसमें ज्यादा विकास होगा लेकिन वैसा नहीं हो सका। इसका कारण वैश्विक आर्थिक मंदी और कम विकासदर हो सकता है। लेकिन सरकार को इन्हीं हालातों में अपनी नैय्या पार लगानी है। सबसे बड़ी बात यह है कि जिन करदाताओं से कर लेना है उन्हें राहत भी देना सरकार का कर्तव्य है। इस बार सरकार ने 2 से 5 लाख तक की आय वालों को 2 हजार से ऊपर की राहत कर में दी है। अब 2 लाख 20 हजार रुपए की आमदनी पर कोई कर नहीं लगेगी। देखना यह है कि इसमें सरकार को कितना फायदा मिलता है। क्योंकि 5 लाख से ऊपर वार्षिक आमदनी वालों के लिए करारोपण ज्यादा सख्त हुआ है। सरकार ने 25 लाख तक का घर लेने पर ढाई लाख रुपए की छूट देने की घोषणा की है। इस घोषणा से किस वर्ग को फायदा होगा यह अभी स्पष्ट नहीं समझ में आ पा रहा है। इसी प्रकार अल्पसंख्यकों के लिए विशेष ध्यान रखते हुए 12 प्रतिशत कल्याण निधि बढ़ा दी गई है और यह अब 3 हजार 511 करोड़ रुपए होगी। अनुसूचित जाति के लिए 41 लाख 561 करोड़ रुपए और अनुसूचित जनजाति के लिए 24 हजार 598 करोड़ रुपए का प्रस्ताव है। सरकार प्रयास कर रही है कि दलित आदिवासियों का पैसा उन्हीं पर खर्च हो। देखना यह है कि इन विशेष प्रावधानों से क्या फायदा होता है। व्यापार जगत को कोई खास राहत नहीं मिली है बल्कि व्यापार जगत के ऊपर करारोपण नए तरीके से किया गया है। एक करोड़ से अधिक की आय वाले करदाताओं को अब 10 प्रतिशत सरचार्ज भी देना होगा। उसी प्रकार 10 करोड़ से अधिक आय वाली कंपनियों पर सरचार्ज की दर बढ़ाकर 10 प्रतिशत कर दी है। इससे व्यापार जगत में निराशा है और इस खबर के बाद से ही शेयर बाजार औंधे मुंह गिरे हैं। दिल्ली में गैंगरेप की घटना के बाद सारे देश में महिलाओं के प्रति संवेदनशीलता की जो बाढ़ आई थी वह बजट में भी दिखी है और अब सरकार ने एक कदम आगे बढ़कर महिलाओं के लिए विशेष प्रावधान करते हुए एक हजार करोड़ रुपए की राशि का प्रावधान किया है।
आम बजट पेश करते हुए वित्तमंत्री पी चिदंबरम ने जो घोषणाएं कीं, उनका तकनीकी महत्व अपनी जगह पर है, लेकिन आम आदमी की सोच यह है कि इस बजट में मेरे लिए क्या है? हम यहां बजट के कुछ ऐसे बिंदु दे रहे हैं, जिनका सीधा संबंध आम आदमी से है।  मध्यमवर्ग के लिए इनकम टैक्स छूट का दायरा बनहीं बढ़ाया गया। इनकम टैक्स स्लैब में कोई बदलाव नहीं।  सेट टॉप बॉक्स महंगा हो गया है। सेट टॉप बॉक्स पर इंपोर्ट ड्यूटी 10 फीसदी हुई। सोने की जूलरी, फ्रिज, हवाई यात्रा, टेलिफोन बिल, एसयूवी, बीड़ी, प्लैटिनम जूलरी, डायमंड जूलरी, रूबी, ब्रैंडेड रीटेल गार्मेंट्स, होटेल में ठहरना, लॉ फर्म की सेवा लेना, कॉस्मेटिक्स, सॉफ्ट ड्रिंक्स, स्टील, सीमेंट भी महंगे हो गए हैं। राजीव गांधी इक्विटी स्कीम 3 साल के लिए बढ़ाई गई। इसमें म्यूच्युअल फंड का निवेश भी शामिल होगा। आवासीय भवन खरीदने हेतु कर्ज पर एक लाख तक की अतिरिक्त ब्याज छूट की घोषणा की, जिससे हाउसिंग सेक्टर में खुशी की लहर देखी गई।

ये हुए महंगे

*     एसी रेस्टोरेंट में खाना महंगा।
*     सिगरेट महंगी।
*     विदेशी गाडिय़ां महंगी।
*     मार्बल महंगा।
*     टीवी का सेट टॉप बॉक्स भी महंगा।
*     फोन बिल, खाना नहीं होगा महंगा।
ये हुआ सस्ता
*     चमड़े का सामान सस्ता।
* 1 अप्रैल 2016 से लागू होंगे गार के प्रावधान।
*     50 हजार तक का सामान विदेश से ला सकेंगे।
*     महिलाएं एक लाख तक का सोना विदेश से ला सकती है।
*     विदेशी जूता सस्ता होगा।
*     चमड़ा मशीनरी पर भी ड्यूटी हटाने का प्रस्ताव।
दिल्ली से अरुण दीक्षित

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