19-Oct-2019 07:43 AM
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मप्र की कमान संभालते ही कांग्रेस सरकार खास करके उन घोटालों को उजागर करने में जुटी हुई है, जिसमें बीजेपी नेता शामिल रहे हो। सरकार ने अब पूर्व लोकसभा सांसद सुमित्रा महाजन यानी ताई पर शिंकजा कसने की तैयारी कर ली है। जल्द ही सरकार इंदौर के बहुचर्चित महाराष्ट्र ब्राह्मण को-ऑपरेटिव बैंक घोटाले की नए सिरे से जांच कराने वाली है। बता दें कि जब ये घोटाला हुआ था तब सुमित्रा महाजन के बेटे मिलिंद महाजन बैंक के डायरेक्टर थे। घोटाले को लेकर अब ताई कांग्रेस के निशाने पर आ गई हैं। हालांकि अभी तक ताई की इस पर कोई प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है। महाराष्ट्र ब्राह्मण सहकारी बैंक में करीब 30 करोड़ का घोटाला हुआ था। घोटाले के वक्त सुमित्रा महाजन के बेटे मिलिंद महाजन बैंक के डायरेक्टर थे। उनके साथ सुमित्रा महाजन की निज सचिव वंदना महस्कर के पति बसंत महस्कर संचालक मंडल में शामिल थे।
दरअसल, 30 जून 1927 को 92 साल पहले मराठी समाज के लिए महाराष्ट्र ब्राह्मण सहकारी बैंक की स्थापना की गई थी। 1985 में सुमित्रा महाजन इसकी डायरेक्टर बनाई गई थीं। 1997 में सुमित्रा महाजन के बड़े बेटे मिलिंद महाजन बैंक के डायरेक्टर बना दिए गए। वो 2003 तक इस पद पर रहे। इसी दौरान अपात्र लोगों को लोन बांट दिया गया। इससे बैंक को करीब 30 करोड़ रुपए की चपत लगी। जब इस मामले की शिकायतें हुईं तो मिलिंद महाजन सहित 16 लोगों के खिलाफ 2005 में सेंट्रल कोतवाली थाने में एफआईआर दर्ज की गई। उस समय सुमित्रा महाजन केन्द्रीय मंत्री थीं और राज्य में बीजेपी की सरकार थी। पुनर्विवेचना में मिलिंद महाजन का नाम हटा दिया गया। लेकिन अब राज्य में कांग्रेस की सरकार है इसलिए इस मामले की फाइलें फिर खोली जा रही हैं।
महाराष्ट्र ब्राह्मण सहकारी बैंक 1927 से 1998 तक फायदे में रही। उसके बाद अचानक ये बैंक बीमार पड़ गई। सहकारिता विभाग ने इसे डी क्लास की श्रेणी में रखा। उसके बाद रिजर्व बैंक और सहकारिता विभाग ने नोटिस और चेतावनी दी, लेकिन कोई असर होता न देख 5 अक्टूबर 2004 को रिजर्व बैंक ने इसका लाइसेंस निरस्त कर दिया। उस समय बैंक की चार शाखाओं में 11 हजार 500 सौ डिपॉजिटर थे। सभी की जीवनभर की कमाई डूब गई। क्योंकि बैंक के घाटे में जाने के बावजूद करोड़ों रुपए के लोन बांट दिए गए थे। बैंक में भ्रष्टाचार का ये आलम रहा कि लिफ्ट लगाने के नाम पर 25 लाख रुपए निकाल लिए गए और लिफ्ट कागजों पर लग गई। सुमित्रा महाजन की निज सचिव वंदना महस्कर के पति बसंत महस्कर ने 35 लाख, विकास पुंडलिक ने 50 लाख रुपए बतौर लोन ले लिया। ठेले वालों, गुमटी वालों तक को 10-10 लाख रुपए लोन दे दिया गया।
महाराष्ट्र ब्राह्मण सहकारी बैंक के बड़े डिफॉल्टरों में विकास पुंडलिक (डायरेक्टर), बसंत महस्कर (डायरेक्टर), अभय दुबे, गजानंद त्रिवेदी, नितिन पल्टनवाले, श्रीकांत जोशी, कैलाश सिंघड़े, रेणुका बिल्डर्स, मनीष पाल, शशिकांत बापट आदि शामिल हैं। पूर्व लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन के बेटे मिलिंद महाजन 1997 से 2004 तक महाराष्ट्र ब्राह्मण के डायरेक्टर रहे। उस दौरान इन सात सालों में संचालक मंडल की करीब 350 बैठकें हुईं। इसमें से करीब 290 में मिलिंद भी शामिल हुए। इन्हीं बैठकों में लोन, खरीदी-बिक्री के फैसले हुए थे। महाराष्ट्र ब्राह्मण सहकारी बैंक पर साल 1997 से 2002 तक मिलिंद महाजन के पैनल का कब्जा रहा। 2002 में हुए चुनाव में फिर यही पैनल जीता।
बैंक में अधिकतर रिटायर्ड लोगों को पैसा जमा था। इनमें से 6 सौ लोगों की मौत हो गई। कई लोग गंभीर बीमारियों का शिकार होकर इलाज के अभाव में काल के गाल में समा गए। मामले में सिर्फ तीन लोग बसंत महस्कर, यशवंत डबीर और विकास पुंडलिक मनमर्जी से लोन बांटने में दोषी साबित हुए। तीनों को 5-5 साल की सजा हुई जो हाईकोर्ट के आदेश पर जमानत पर रिहा हैं। उधर, प्रदेश के पीडब्ल्यूडी मंत्री सज्जन सिंह वर्मा का कहना है कि इंदौर के बहुचर्चित महाराष्ट्र ब्राह्मण को-ऑपरेटिव बैंक घोटाले की भी नए सिरे से जांच की जाएगी। दोषियों पर जांच के बाद कार्यवाही की जाएगी। वर्मा ने ताई, उनकी पीए वंदना और ताई के बैंक अकाउंट की भी जांच कराने की बात कही है। चूंकि जब ये घोटाला हुआ था तब वंदना के पति भी आरोपों के घेरे में थे। सज्जन सिंह वर्मा ने दावा किया है कि महाराष्ट्र ब्राह्मण कॉपरेटिव बैंक घोटाले की फाइल खुलने के बाद 30 करोड़ रुपए तक का घोटाला सामने आ सकता है। बैंक घोटाले में आम लोगों की जमापूंजी का मनमाने तरीके से हुआ बंदरबांट किया गया है। वर्मा ने यह भी दावा किया है कि बैंक के पूर्व अध्यक्ष ने भी सीएम कमलनाथ को घोटाले से जुड़े दस्तावेज सौंपे।
सहकारिता विभाग ने लगाई 1 करोड़ की पेनल्टी
बैंक में भारी भ्रष्टाचार और अनियमितता के मामले में सहकारिता विभाग ने मिलिंद महाजन सहित तत्कालीन संचालकों पर करीब 1 करोड़ रुपए की पेनल्टी लगाई जिसकी वसूली आज तक नहीं हो पाई। इस मामले में बैंक के पूर्व अध्यक्ष रहे अनिल कुमार धड़वईवाले ने सीएम कमलनाथ को पूरे दस्तावेजों के साथ शिकायत की। उसके बाद अब ये मामला खोला जा रहा है। इस घोटाले पर बीजेपी नेता गोपीकृष्ण नेमा का कहना है कांग्रेस अपनी अकर्मण्यता छुपाने के लिए राजनैतिक विद्वेष की भावना से काम कर रही है। इसलिए ई टेंडरिंग, पेंशन घोटाले के शगूफे छोड़ रही है। इसके ज़रिए बीजेपी के उन लोगों को टारगेट करने की कोशिश की जा रही है जो सरकार के खिलाफ पूरी ताकत से खड़े हैं। इस मामले में पूर्व लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन ने मीडिया से बात नहीं की। उनसे कई बार संपर्क करने की कोशिश की गई लेकिन उन्होंने बात करने से मना कर दिया। उधर इस मामले के जमाकर्ताओं ने दो दिन पहले इंदौर आए मुख्य सचिव एसआर मोहंती से भी मुलाकात कर अपना पैसा दिलाने की मांग की। ये घोटाला भी महाराष्ट्र के पीएमसी घोटाले जैसा ही है क्योंकि इस मामले में भी कोर्ट ने सिर्फ 8 फीसदी रकम लौटाने की बात कही है।
- विकास दुबे