19-Jun-2019 08:16 AM
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बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इस समय केंद्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर दबाव डालने की स्थिति में भले ही ना हों, पर उन्हें पता है कि करीब 17 महीने बाद बिहार में विधानसभा चुनावों के वक्त उनका महत्व होगा और वह उस वक्त का इंतजार करेंगे। केंद्रीय मंत्रिमंडल में प्रतीकात्मक भागीदारीÓ निभाने से इनकार कर मोदी के शपथ ग्रहण समारोह का मजा खराब करने वाले कुमार का भाजपा के लिए स्पष्ट संदेश है। मेरा सहयोग पूर्व स्वीकृत नहीं माने और मुझ पर संख्याएं मत थोपें। शपथ ग्रहण समारोह में भाग लेकर नई दिल्ली से पटना लौटते ही बिहार के मुख्यमंत्री ने कहा, एनडीए को मिले वोट बिहार की जनता के थे, ना कि किसी एक व्यक्ति के नाम पर। वे (हमारे समर्थक) दूसरों की तरह मुखर नहीं हैं। पर वे बढ़-चढ़ कर मतदान करते हैं।Ó
उल्लेखनीय है कि कुमार ने अपनी पार्टी के मोदी सरकार में शामिल नहीं होने की घोषणा करते हुए कहा था कि वह सहयोगी दलों को आनुपातिक प्रतिनिधित्व दिए जाने में यकीन करते हैं। प्रतीकात्मक रूप से सिर्फ एक पद दिए जाने में नहीं। नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के सूत्रों के अनुसार बिहार के मुख्यमंत्री ने भाजपा अध्यक्ष अमित शाह से पार्टी के तीन सदस्यों को मंत्रिमंडल में जगह देने की मांग की थी। पर भाजपा हर सहयोगी दल को एक मंत्री पद देने के अपने सिद्धांत पर कायम रही, जिसे नीतीश कुमार ने ठुकरा दिया। कुमार ने निकट भविष्य में भी केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल होने से इनकार किया है। हालांकि उन्होंने ये भी कहा है कि वह पूरी तरह एनडीए के साथ हैं। फिर भी उनके केंद्रीय मंत्रिमंडल से बाहर रहने के फैसले ने बिहार के भाजपा नेताओं को चिंता में डाल दिया है।
लोकसभा चुनावों में राज्य की 40 में से 39 सीटें (भाजपा 17, जदयू 16 और लोजपा 7) जीतने और महागठबंधन को मात्र एक सीट पर सीमित कर देने पर भी एनडीए के भीतर अब अविश्वास का माहौल है। जदयू के नेता बयान दे रहे हैं कि कुमार के अपमानÓ को सहन नहीं किया जाएगा। लोकसभा चुनावों के बाद गायब हो गए महागठबंधन के नेता भी अब सामने आ गए हैं। राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी ने कुमार का समर्थन करते हुए भाजपा की उसके अहंकार के लिए आलोचना की है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सदानंद सिंह ने कहा है कि कुमार को भाजपा ने अपमानित किया है।
इस समय, यदि बिहार के मुख्यमंत्री भाजपा से संबंध तोड़ भी लेते हैं। तो उनकी सरकार नहीं गिरेगी। अपना नाम नहीं दिए जाने की शर्त पर राजद के एक उत्साहित विधायक ने कहा, चुनाव में हार के बाद राजद नीतीश कुमार की हर शर्त को मानने को तैयार है और 27 विधायकों वाली कांग्रेस को भी उनका साथ देकर खुशी ही मिलेगी। इस तरह बिहार में पुराना वाला गठबंधन ही एनडीए की जगह लेगा।Ó राजद नेता ने कहा, भाजपा को अगला चुनाव संभवत: 2015 के गठबंधन के साथ लडऩा पड़ेगा जब वो 53 सीटों पर सिमट गई थी। राजद के इस विधायक ने ये भी बताया कि चाचा नीतीशÓ की आलोचना को कोई मौका नहीं छोडऩे वाले पार्टी नेता तेजस्वी यादव इस मुद्दे पर चुप्पी बनाए हुए हैं। राजद विधायक के अनुसार ये धैर्यपूर्वक इंतजारÓ करने की नीति है। हालांकि, जदयू नेताओं को संदेह है कि कुमार इस समय एनडीए से अलग होना चाहेंगे क्योंकि उनकी मौजूदा सरकार उनकी पूर्ववर्ती महागठबंधन सरकार के मुकाबले कहीं अधिक सुचारू रूप से चल रही है। जदयू के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, यदि वे फिर से पाला बदलते हैं तो उनकी राजनीतिक साख और कम हो जाएगी जो कि पूर्व के दो पालाबदल के कारण पहले से ही कम है।Ó अपना नाम नहीं दिए जाने की शर्त पर इस नेता ने कुमार के ताजा रवैये को भाजपा के लिए एक संदेश मात्र बताया कि विधानसभा चुनावों में उसे उनकी जरूरत पड़ेगी।
- विनोद बक्सरी