05-Jun-2019 08:30 AM
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पिछले तीन लोकसभा चुनाव में निर्वाचित होकर आने वाले सांसदों में करोड़पति और आपराधिक मामलों में घिरे सदस्यों की संख्या का लगातार इजाफा हो रहा है। चुनाव प्रक्रिया से जुड़ी शोध संस्था एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफार्मÓ (एडीआर) द्वारा लोकसभा चुनाव के परिणाम के बाद जारी अध्ययन रिपोर्ट के अनुसार, आपराधिक मामलों में फंसे सांसदों की संख्या दस साल (2009-2019) में 44 प्रतिशत बढ़ी है। करोड़पति सांसदों की संख्या 2009 में 58 प्रतिशत थी जो 2019 में 88 प्रतिशत हो गई।
एडीआर की रिपोर्ट के अनुसार, 17वीं लोकसभा के लिए चुनकर आए 542 सांसदों में 233 (43 प्रतिशत) सांसदों के खिलाफ आपराधिक मुकदमे लंबित है। इनमें से 159 (29 प्रतिशत) के खिलाफ गंभीर आपराधिक मामले चल रहे हैं। इतना ही नहीं राष्ट्रीय और राज्यस्तरीय 25 राजनीतिक दलों में छह दलों (लगभग एक चौथाई) के शत प्रतिशत सदस्यों ने उनके खिलाफ आपराधिक मामलों की जानकारी दी है। दोबारा सत्तारूढ़ होने जा रहे राजग के घटक लोजपा के निर्वाचित सभी छह सदस्यों ने अपने हलफनामे में उनके खिलाफ आपराधिक मामले लंबित होने की जानकारी दी है। इसके अलावा एआईएमआईएम के दोनों सदस्यों तथा एक-एक सांसद वाले दल आईयूडीएफ, एआईएसयूपी, आरएसपी और वीसीआर के सांसद आपराधिक मामलों में घिरे हैं।
रिपोर्ट में नवनिर्वाचित सांसदों के आपराधिक रिकॉर्ड के राज्यवार विश्लेषण से पता चलता है कि आपराधिक मामलों में फंसे सर्वाधिक सांसद केरल और बिहार से चुनकर आए हैं। केरल से निर्वाचित 90 फीसदी और बिहार के 82 फीसदी सांसदों के खिलाफ आपराधिक मामले चल रहे हैं। इस मामले में पश्चिम बंगाल से 55 प्रतिशत, उत्तर प्रदेश से 56 और महाराष्ट्र से 58 प्रतिशत नवनिर्वाचित सांसदों के खिलाफ आपराधिक मामले लंबित है। वहीं, सबसे कम नौ प्रतिशत सांसद छत्तीसगढ़ के और 15 प्रतिशत गुजरात के हैं। रिपोर्ट के अनुसार, पिछली तीन लोकसभा में आपराधिक मुकदमों से घिरे सांसदों की संख्या में 44 प्रतिशत इजाफा दर्ज किया गया है। इसके मुताबिक 2009 के लोकसभा चुनाव में आपराधिक मुकदमे वाले 162 सांसद (30 प्रतिशत) चुनकर आए थे, जबकि 2014 के चुनाव में निर्वाचित ऐसे सांसदों की संख्या 185 (34 प्रतिशत) थी।
एडीआर ने नवनिर्वाचित 542 सांसदों में 539 सांसदों के हलफनामों के विश्लेषण के आधार पर बताया कि इनमें से 159 सांसदों (29 प्रतिशत) के खिलाफ हत्या, हत्या के प्रयास, बलात्कार और अपहरण जैसे गंभीर आपराधिक मामले लंबित हैं। पिछली लोकसभा में गंभीर आपराधिक मामलों के मुकदमों में घिरे सदस्यों की संख्या 112 (21 प्रतिशत) थी, वहीं 2009 के चुनाव में निर्वाचित ऐसे सांसदों की संख्या 76 (14 प्रतिशत) थी। स्पष्ट है कि पिछले तीन चुनाव में गंभीर आपराधिक मामलों का सामना कर रहे सांसदों की संख्या में 109 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है। नए सांसदों में कांग्रेस के डीन कुरियाकोस सबसे ज्यादा लंबित आपराधिक मामलों का सामना कर रहे हैं। केरल के इडुक्की लोकसभा क्षेत्र से चुनकर आए एडवोकेट कुरियाकोस ने अपने हलफलनामे में बताया है कि उनके खिलाफ 204 आपराधिक मामले लंबित हैं। इनमें गैर इरादतन हत्या, लूट, किसी घर में जबरन घुसना और अपराध के लिए किसी को उकसाने जैसे मामले शामिल हैं।
आपराधिक मामलों का सामना कर रहे सर्वाधिक सांसद भाजपा के टिकट पर चुन कर आए। रिपोर्ट में भाजपा के 303 में से 301 सांसदों के हलफनामे के विश्लेषण में पाया गया कि साध्वी प्रज्ञा सिंह सहित 116 सांसदों (39 प्रतिशत) के खिलाफ आपराधिक मामले चल रहे हैं। वहीं, कांग्रेस के 52 में से 29 सांसद (57 प्रतिशत) आपराधिक मामलों में घिरे हैं। इनके अलावा बसपा के आधे (10 में से पांच), जदयू के 16 में से 13 (81 प्रतिशत), तृणमूल कांग्रेस के 22 में से नौ (41 प्रतिशत) और माकपा के तीन में से दो सांसदों के खिलाफ आपराधिक मामले चल रहे हैं। इस मामले में बीजद के 12 निर्वाचित सांसदों में सिर्फ एक सदस्य ने अपने खिलाफ आपराधिक मामले की हलफनामे में घोषणा की है।
आम चुनाव के बाद 17वीं लोकसभा में मुस्लिम प्रतिनिधियों की संख्या 22 से बढ़कर 26 हो गई है। लोकसभा की कुल 543 सीटों में से 542 के लिए चुनाव हुए थे। पिछली बार यानी 16वीं लोकसभा में मुस्लिम प्रतिनिधि महज 22 थे। यह आंकड़ा लोकसभा के इतिहास में सबसे कम था। अगर 15वीं लोकसभा की बात की जाए तो मुस्लिम प्रतिनिधि 33 थे। लोकसभा में मुस्लिमों को सबसे ज्यादा प्रतिनिधित्व 1980 में मिला था। उस बार 49 मुस्लिम उम्मीदवार विजेता बन लोकसभा पहुंचे थे। सत्तापक्ष की तरफ से महबूब अली कैसर संसद पहुंचे हैं। कैसर सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की घटक लोक जनशक्ति पार्टी के उम्मीदवार के रूप में बिहार के खगडिय़ा से जीते हैं।
नेशनल इलेक्शन वाच के आकलन के अनुसार 10 निर्वाचित सांसदों ने तो आपराधिक मामलों में सजा होने की बात तक स्वीकार की है। इनमें से पांच भाजपा के टिकट पर चुने गये हैं जबकि चार कांग्रेस और एक वाईएसआर कांग्रेस के उम्मीदवार के तौर पर जीते हैं। इनमें से चार प्रगतिशील राज्य केरल से जबकि दो मध्य प्रदेश से तथा एक-एक उम्मीदवार उत्तर प्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र और आन्ध्र प्रदेश से विजयी हुए हैं। कांग्रेस के टिकट पर केरल के इडुक्की सीट से जीते डीन कुरिकयाकोसे पर कुल 204 मामले दर्ज हैं। इन पर भारतीय दंड संहिता की 37 संगीन धाराओं तथा 887 अन्य धाराओं के तहत मामले दर्ज हैं। मध्य प्रदेश के धार सीट से जीते भाजपा के छतर सिंह दरबार के विरुद्ध सिर्फ एक मामला दर्ज है जिन पर तीन गंभीर धाराएं लगायी गयी हैं। राजस्थान की बाड़मेर लोकसभा सीट से भाजपा के टिकट पर चुने गए कैलाश चौधरी पर दो मामले दर्ज हैं जिनमें दो संगीन धाराओं तथा छह अन्य धाराओं के तहत हैं। भाजपा के टिकट पर महाराष्ट्र के मुंबई-उत्तर पूर्व से निर्वाचित मनोज किशोरभाई कोटक पर दो मामले दर्ज हैं जिनमें दो पर गंभीर धाराएं तथा चार अन्य धाराएं लगायी गयी हैं।
केरल के त्रिशूर सीट पर कांग्रेस के टिकट पर जीते टी. एन. परतपन पर सात मामले दर्ज हैं। इन पर एक गंभीर धारा तथा 35 अन्य धाराएं लगायी गयी हैं। केरल के ही कन्नूर सीट पर कांग्रेस के टिकट पर विजयी के सुधाकरण पर तीन मामले दर्ज हैं। उन पर एक संगीन धारा तथा छह अन्य धाराएं लगायी गयी हैं। आन्ध्र प्रदेश के अनंतपुर से वाईएसआर कांग्रेस के उम्मीदवार तलारी रंगैया पर दो मामले दर्ज हैं। इन पर एक गंभीर धारा और तीन अन्य धाराएं लगायी गयी हैं। केरल के पलक्कड क्षेत्र से कांग्रेस के टिकट पर निर्वाचित वी. के. श्रीकंडन पर कुल सात मामले दर्ज हैं। इन पर 29 धाराएं लगायी गयी हैं। उत्तर प्रदेश के डुमरियागंज से भाजपा के टिकट पर निर्वाचित जगदंबिका पाल पर तीन मामले दर्ज हैं और तीन धाराएं लगायी गयी हैं। मध्य प्रदेश के सागर सीट पर भाजपा के टिकट पर विजयी राज बहादुर सिंह पर कुल एक मामला दर्ज हैं।
-ऋतेन्द्र माथुर