05-Jun-2019 07:22 AM
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लोकसभा चुनाव परिणाम प्रदेश में सत्तारूढ़ दल कांग्रेस के पक्ष में न आने के बाद अब नाथ सरकार को गिराने की भाजपा नेताओं द्वारा दी जा रही धमकियों के चलते अब कांग्रेस भी सतर्क हो गई है। यही वजह है कि अब मुख्यमंत्री कमलनाथ ने अपने दल और समर्थन देने वाले विधायकों को साधने के प्रयास तेज कर दिए हैं। सूत्रों की माने तो जल्द ही कई विधायकों को मंत्री पद और कई विधायकों को जल्द ही निगम मंडलों की कमान देने की तैयारी की जा रही है। दरअसल मंत्रिमंडल में मंत्रियों की संख्या सीमित होने के कारण निगम मंडलों में विधायकों को एडजस्ट करने की रणनीति बनाई गई है।
जानकारी के अनुसार मंत्रिमंडल विस्तार के लिए मंत्रियों की परफारमेंस रिपोर्ट तैयार की जा रही है। मंत्रिमंडल से किसी मंत्री को बाहर करने से पहले उसे उसकी पूरी वजह बताई जाएगी। गौरतलब है कि मुख्यमंत्री ने लोकसभा चुनाव से पहले ही मंत्रियों को चेतावनी दी थी कि अगर अपने विधानसभा क्षेत्र में चुनाव हारे तो मुख्यमंत्री निवास के दरवाजे उनके लिए बंद हो जाएंगे। इसको लेकर भी तरह-तरह की चर्चाएं हैं। लेकिन लोकसभा चुनाव में 20 मंत्रियों के क्षेत्र में कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा है। ऐसे में मुख्यमंत्री अब ऐसा कुछ नहीं करने वाले हैं। इसलिए मंत्रियों की परफारमेंस का आंकलन किया जाएगा। मंत्रिमंडल विस्तार के पीछे एक वजह यह भी है कि मुख्यमंत्री कमलनाथ अपनी सरकार को सुरक्षित करना चाहते हैं। इसमें निर्दलीय विधायक सुरेन्द्र सिंह शेरा, विक्रम सिंह राणा व केदार डाबर तथा सपा विधायक राजेश शुक्ला व बसपा विधायक संजीव सिंह संजू को मंत्रिमंडल में शामिल कर सकते हैं। इसके अलावा केपी सिंह, बिसाहूलाल सिंह व एदल सिंह कंसाना जैसे वरिष्ठ विधायकों को मंत्रिमंडल में मौका दिया जा सकता है। विधायकों की कुल संख्या के पन्द्रह फीसदी ही मंत्री बनाए जा सकते हैं। इस कारण मंत्रिमंडल में मंत्रियों की संख्या पूरी हो जाएगी।
गौरतलब है कि लोकसभा चुनाव परिणाम आने के साथ ही यह अफवाह जोरों पर है कि कांग्रेस सरकार किसी भी समय गिर सकती है। कांगे्रस सरकार के अल्पमत में होने के भाजपा के दावे के बाद कमलनाथ ने अपनी सरकार को ताकत और स्थितरता देने की कवायद शुरू कर दी है। जल्द ही वे मंत्रिमंडल का विस्तार करने वाले हैं ताकि भाजपा उनकी सरकार को हिला डुला न सके। सीएम की योजना विस्तार के जरिए अपनी सरकार को स्थिरता प्रदान करने की है इसके साथ ही मंत्रिमंडल गठन के दौरान पैदा असंतोष को भी दूर किया जा सकेगा। विस में कांग्रेस सदस्यों की संख्या 114 है। सीएम कमलनाथ एक निर्दलीय प्रदीप जायसवाल को पहले ही मंत्री बना चुके हैं। इसके बाद कांगे्रस के 115 सदस्य हो गए। यदि कांगे्रस ने बसपा, सपा के एक-एक सदस्य के साथ एक निर्दलीय को और मंत्री बना दिया तो कांगे्रस की सदस्य संख्या 118 हो जाएगी अर्थात बहुत से दो ज्यादा।
मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर बीते रोज मुख्यमंत्री कमलनाथ और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के बीच बंद कमरे मे काफी देर तक चर्चा हुई। बताया जाता है कि दोनों के बीच प्रदेश में कांगे्रस की करारी हार और आगे के राजनीतिक हालातों पर चर्चा हुई इसके बाद मुख्यमंत्री ने पूरा दिन रिजर्व रखा और लोकसभा चुनाव हारे प्रत्याशियों से चर्चा करते रहे। बताया जाता है कि मुख्यमंत्री ने सभी प्रत्याशियों से हार के कारणों पर विस्तार से जानकारी ली और यह भी जाना कि किन मंत्रियों, विधायकों या पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने काम नहीं किया।
गौरतलब है कि पांच महीने पहले मंत्रिमंडल के गठन के बाद से ही सरकार में जगह न पाने वाले पार्टी के वरिष्ठ विधायक और बाहर से सरकार को समर्थन दे रहे निर्दलीय विधायकों की नाराजगी समय-समय पर सामने आती रही है। अतिविश्वसनीय सूत्रों के अनुसार कुछ विधायकों को निगम मंडलों की भी जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है। इसके लिए दर्जनभर से अधिक निगम मंडलों की सूची तैयार की गई है। जिनमें विधायकों को अध्यक्ष बनाया जा सकता है। कांग्रेस के लगभग दर्जनभर विधायक मंत्री न बनाए जाने से सरकार से नाराज बताए जाते हैं। इनमें केपी सिंह, बिसाहूलाल सिंह, एदल सिंह कंसाना, सिद्धार्थ कुशवाहा, डा. हीरा सिंह अलावा, राज्यवर्धन सिंह दत्तीगांव, लक्ष्मण सिंह, संजय शुक्ला आदि शामिल हैं।
फिलहाल कमलनाथ कैबिनेट में मुख्यमंत्री समेत अन्य 28 मंत्री हैं। इसलिए मंत्रिमंडल में 6 नए चेहरे ही शामिल किए जा सकते हैं, जबकि मंत्रिमंडल में स्थान न पाने वालों की लंबी फेहरिस्त है। माना जा रहा है कि मंत्रिमंडल का विस्तार न होने तक पार्टी के विधायकों और निर्दलियों को खाली पड़े निगम मंडलों में एडजेस्ट किया जा सकता है। खबर है कि मंत्रिमंडल में शामिल किए जाने वाले विधायकों की सूची लेकर सीएम कमलनाथ जल्द ही दिल्ली जाएंगे और पार्टी हाईकमान का अनुमोदन प्राप्त करेंगे। 5-6 जून को मंत्रिमंडल विस्तार कर नए मंत्रियों को शपथ दिलाई जा सकती है। इस विस्तार में लगभग आधा दर्जन मंत्रियों की छुट्टी हो सकती है। इनके स्थान पर कांगे्रस के वरिष्ठ विधायकों को जगह दी जा सकती है।
- विशाल गर्ग