गेहूं की खरीदी पिछड़ी
16-May-2019 07:31 AM 1234847
चालू रबी विपणन सीजन 2019-20 में गेहूं की न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर खरीद 10.28 फीसदी पिछड़कर 265.29 लाख टन की ही हुई है जबकि पिछले साल रबी में इसकी खरीद 294.70 लाख टन की हुई थी। चालू रबी में गेहूं की कुल खरीद तय लक्ष्य 356.50 लाख टन से कम रहने की आशंका है। भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि उत्पादक राज्यों में अप्रैल में बेमौसम बारिश ओलावृष्टि से फसल की आवक में देरी हुई थी, जिस कारण चालू रबी में गेहूं की खरीद पीछे चल रही है। मध्य प्रदेश से समर्थन मूल्य पर चालू रबी में 46.23 लाख टन गेहूं ही खरीदा गया है जबकि पिछले साल इस समय तक राज्य से 54.80 लाख टन गेहूं की खरीद हो चुकी थी। राज्य से खरीद का लक्ष्य चालू रबी में 75 लाख टन का तय किया गया है, जबकि पिछले साल समर्थन मूल्य पर 73.13 लाख टन गेहूं खरीदा गया था। उधर प्रदेश में हर साल की तरह इस बार भी गेहूं खरीदी में लापरवाही, भर्राशाही और लूटपाट मची हुई है। खरीदी केंद्रों पर अधिकारियों और व्यापारियों द्वारा किसानों को लूटा जा रहा है। वहीं दमोह जिले में एक ऐसा सनसनीखेज मामला आया है जिसमें बड़े भ्रष्टाचार की आशंका जताई जा रही है। दमोह के सटई रोड स्थित गल्ला मंडी में खाद्य विभाग ने गेहूं खरीदी के लिए स्वामी विवेकानंद और गौरगांय सोसायटी के दो केंद्र बनाए हैं। इन खरीदी केंद्रों में सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) का गेहूं गरीबों को बेचने के बजाए फिर से खरीदी केंद्रों पर बेचा जा रहा है। किसानों की उपज बताते हुए 1 रुपए प्रति किलो की दर वाला सरकारी गेहूं 1840 रुपए प्रति क्विंटल खरीदा जा रहा है। इस संबंध में सोसायटी के समिति प्रबंधक पूरन पटेल बोले कि सरकारी गेहूं है तो खाद्य विभाग के अधिकारी चैक करके कार्रवाई करें। हमारे सामने तो किसान ला रहे हैं इसलिए हमें खरीदना पड़ रहा है। दरअसल कृषि उपज मंडी में पहुंचने ट्रैक्टरों में हरियाणा सरकार और मप्र स्टेट सिविल सप्लाई कार्पोरेशन की बोरियों में सरकारी गेहूं भरा हुआ था। जैसे ही ट्रैक्टर पहुंचता हम्माल तेज से बोरियों को खोलकर गेहूं के ढेर लगाने में जुट जाते और बोरियों को मौके से हटा दिया जाता। 10 मई को एक-एक करके तपती दोपहर में 7 ट्रैक्टर मौके पर पहुंचे। सभी में सरकारी गेहूं था। ढेर लगाने के बाद बोरियों सहित ट्रैक्टर भी तत्काल ही मौके से भाग गए। एक ट्रैक्टर के ड्राइवर ने बताया कि वह इस गेहूं को नैगुवां गांव के किसानों के नाम से बिक्री के लिए लाया है। लोगों द्वारा इसकी जानकारी जिला खाद्य अधिकारी स्वाती जैन और खाद्य इंस्पेक्टर ऋषि शर्मा को दी गई। बार-बार बात करने के बाद जिला खाद्य अधिकारी के निर्देश पर रात को 9 बजे खाद्य इंस्पेक्टर ऋषि शर्मा मंडी में पहुंचे। मौके पर गेहूं के ढेर पड़े मिले। उन्होंने पंचनामा बनाने के साथ गेहूं के सेंपल लेकर मामले की जांच शुरू की है। उधर लबालब भरे अनाज भंडारों के मद्देनजर सार्वजनिक क्षेत्र के एफसीआई ने चालू वित्तवर्ष में खुले बाजार में थोक उपभोक्ताओं को एक करोड़ टन गेहूं बेचने का फैसला किया है। यह मात्रा पिछले वर्ष के मुकाबले करीब 40 प्रतिशत अधिक है। एक सरकारी आदेश में यह जानकारी दी गई है। सरकार ने तीन मुख्य गेहूं उत्पादक राज्यों - पंजाब, हरियाणा और मध्य प्रदेश के लिए 2,080 रुपये प्रति क्विंटल के आधार मूल्य पर गेहूं पेशकश कर रही है, जबकि अन्य राज्यों के लिए लुधियाना से बाहर की माल ढुलाई शुल्क को आधार मूल्य में जोड़ा जाएगा। आदेश के मुताबिक एफसीआई गेहूं उगाने वाले राज्यों में खरीद अवधि को छोड़कर पूरे वित्त वर्ष में खुली बाजार बिक्री योजना के तहत ई-नीलामी के माध्यम से गेहूं बेचेगी। पिछले वित्त वर्ष के दौरान, एफसीआई ने 1,900 रुपये प्रति क्विंटल की आधार दर पर 70 लाख टन गेहूं बेचा था। -श्याम सिंह सिकरवार
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