वन मैन आर्मी
16-May-2019 06:51 AM 1234847
विधानसभा चुनाव में मिली बंपर जीत के बाद लोकसभा चुनाव में भी भूपेश बघेल सूबे में कांग्रेस के लिए लगभग मैन आर्मी की भूमिका में थे। छत्तीसगढ़ में तीन चरणों में 11, 18 और 23 अप्रैल को मतदान कार्य हुए। तीसरे चरण के मतदान से पहले एक दिन राहुल गांधी प्रचार के लिए आए। इनके अलावा राष्ट्रीय कद के बड़े नेताओं में नवजोज सिंह सिद्धू के अलावा कोई बड़ा नाम प्रचार के लिए नहीं आया। लोकसभा चुनाव में नामांकन से मतदान तक भूपेश बघेल धुआंधार रैली और सभाएं करते रहे। लगभग हर सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी के नामांकन के दौरान वे खुद मौजूद रहे। प्रदेश में चुनाव समाप्त होने के बाद उन्होंने लगातार यूपी और मध्यप्रदेश में भी प्रचार किया। छत्तीसगढ़ की मौजूदा राजनीति में सबसे बड़े किरदारों में एक हैं मुख्यमंत्री भूपेश बघेल। भूपेश बघेल प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष भी हैं। सूबे में 15 सालों तक सत्ता का बनवास काटने वाली कांग्रेस ने 2018 के विधानसभा चुनाव में इतिहास रचा। इस चुनाव में कांग्रेस को कुल 90 में से 68 सीटों पर जीत मिली। राज्य बनने के बाद पहली बार किसी भी दल को इतना जनाधार मिला। कांग्रेस की इस जीत का मुख्य नायक भूपेश बघेल को माना गया है और उन्हें आला कमान ने कांग्रेस पार्टी की राज्य सरकार का मुखिया बना दिया। छत्तीसगढ़ में पीसीसी अध्यक्ष भूपेश बघेल साल 2013 में हार की हैट्रिक से हताश हो चुकी कांग्रेस के लिए संजीवनी साबित हुए थे। छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव 2018 के परिणाम ने इनका कद राष्ट्रीय स्तर पर बढ़ा दिया है। दरअसल तेज तर्रार राजनीति और बेबाक अंदाज के लिए पूरे छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल जाने जाते हैं। किसानों के मुद्दों पर आक्रामक कौशल के लिए वे काफी फेमस भी हैं। तेजतर्रार और आक्रामक छवि वाले नेता भूपेश बघेल को दिसंबर, 2013 में कांग्रेस आलाकमान ने प्रदेश कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष बनाया। इस समय विधानसभा चुनाव में लगातार तीसरी हार के बाद कांग्रेसी कार्यकर्ता हताश और निराश थे। इसके बाद भूपेश बघेल ने तब की बीजेपी सरकार के खिलाफ लगातार मोर्चा खोलकर कार्यकर्ताओं को रिचार्ज करने का काम किया। फिर राशन कार्ड में कटौती का मुद्दा हो या किसानों की धान खरीदी और बोनस का मुद्दा, वह नसबंदी कांड का विरोध हो या फिर चिटफंड कंपनियों के पीडि़तों के साथ खड़े होने का मामला, भूपेश ने कांग्रेस को सरकार के खिलाफ सड़क पर उतार दिया। कथित भ्रष्टाचार के मामले एक के बाद एक उजागर किए, जिस तरह से उन्होंने शक्तिशाली नौकरशाहों को खुले आम चुनौती दी उससे राज्य में कांग्रेस की छवि बदली। हालांकि इस बीच जमीन घोटाले, एक मंत्री के सेक्स सीडी कांड को लेकर भूपेश सरकार के निशाने पर भी रहे। सीडी कांड में जब उन्हें न्यायिक रिमांड पर लिया गया तो वे जमानती धाराएं होने के बाद भी जमानत लेने से इनकार कर दिए और विधानसभा चुनाव 2018 से ऐन पहले उन्हें कुछ दिन जेल में रहना पड़ा। बाद में पार्टी के आला नेताओं के कहने पर उन्होंने जमानत अर्जी लगाई। इससे उनका कद और तेजी से बढ़ा है। साल 1999 में मध्य प्रदेश सरकार में परिवहन मंत्री और साल 1993 से 2001 तक मध्य प्रदेश हाउसिंग बोर्ड के डायरेक्टर की जिम्मेदारी भूपेश बघेल ने संभाली। साल 2000 में जब मध्यप्रदेश से अलग होकर छत्तीसगढ़ राज्य बना और कांग्रेस की सरकार बनी तब जोगी सरकार में भूपेश कैबिनेट मंत्री रहे। भूपेश बघेल को राजस्व मंत्रालय जैसी बड़ी जिम्मेदारी मिली। साल 2003 में कांग्रेस जब सत्ता से बाहर हुई तो भूपेश को विपक्ष का उपनेता बनाया गया। साल 2003 में हुए विधानसभा चुनाव में पाटन से उन्होंने जीत दर्ज की। 2008 में बीजेपी के विजय बघेल से भूपेश चुनाव हार गए। फिर साल 2013 में पाटन से उन्होंने विजय बघेल को हराकर जीत दर्ज की। इसके बाद उन्हें छत्तीसगढ़ कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया गया। -रायपुर से टीपी सिंह
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