12-Feb-2019 08:47 AM
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मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ, भारतीय जनता पार्टी के एजेंडे से ही लोकसभा के चुनाव में कांग्रेस की जीत सुनिश्चित करने की कोशिश में लगे हुए हैं। प्रोजेक्ट गौशाला के जरिए चार माह में एक हजार गौशालाएं बनाने का लक्ष्य तय किया गया है। प्रोजेक्ट में रोजगार की रणनीति भी उसी तरह की है, जिस तरह से संघ गाय के जरिए रोजगार की वकालत करता रहा है।
किसान की कर्ज माफी के साथ-साथ शिवराज सिंह चौहान की छवि को किसान विरोधी बताने की कोशिश भी की जा रही है। बुर्जुगों को कुंभ स्नान की योजना भी चुनावी रणनीति का हिस्सा हैं। एक फरवरी से वंदे मातरम के गायन को भी नए रूप में शुरू किया जा रहा है। राज्य मंत्रालय पर पिछले माह वंदेमातरम का गायन न होने से विवाद पैदा हुआ था। भाजपा गाय की राजनीति करने में सबसे आगे रही है। कमलनाथ सरकार के दावों पर यदि यकीन किया जाए तो राज्य में कुल संचालित 614 गौशालाएं हैं, जो कि निजी क्षेत्र में संचालित हो रही हैं। अर्थात पंद्रह साल के बीजेपी शासन में एक भी सरकारी गौशाला नहीं खोली गई। निजी क्षेत्र में संचालित होने वाली सौ से अधिक गौशालाएं ऐसी हैं, जिनमें क्षमता से अधिक गाय रखी गईं हैं। सड़कों से निराश्रित पशुओं एवं गायों को हटाने के कमलनाथ सरकार के निर्देश के बाद देवरी की एक गौशाला में छह गायों की ठंड के कारण मौत
हो गई।
राज्य की सड़कों पर घूमने वाले आवारा पशुओं के कारण सैकड़ों जानें हर साल जाती हैं। राज्य में गाय को लेकर राजनीति हर सरकार में होती रही है। 90 के दशक में सत्ता में आई भारतीय जनता पार्टी ने गौवध पर रोक लगाने का निर्णय लिया था। 1995 में दिग्विजय सिंह के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने गौ सेवा आयोग का गठन किया था। इसके बाद 2004 में बाबूलाल गौर के नेतृत्व वाली बीजेपी सरकार गौवंश प्रतिशेध कानून लेकर आई थी।
भारतीय जनता पार्टी सरकार के 13 साल तक मुख्यमंत्री रहे शिवराज सिंह चौहान की तीर्थ दर्शन योजना काफी लोकप्रिय योजनाओं में रही है। उनकी इस योजना का अनुसरण कई राज्यों ने किया। योजना के तहत राज्य के बुर्जुगों को सरकारी खर्चे पर तीर्थ यात्रा कराई जाती थी।
विधानसभा चुनाव में इस योजना के कारण ही बुर्जुगों के बीच शिवराज सिंह चौहान की लोकप्रियता सबसे ऊपर दिखाई दी थी। कमलनाथ, इस योजना से किसी भी तरह की छेड़छाड़ कर नए विवाद को जन्म नहीं देना चाहते हैं। वे भी इस योजना का राजनीतिक लाभ अपने पक्ष में लेना चाहते हैं। कमलनाथ सरकार ने प्रयागराज में चल रहे कुंभ में राज्य के 3600 तीर्थ यात्रियों को भेजने का निर्णय लिया है। इस योजना के लिए चलाई जाने वाली विशेष ट्रेन का रूट लोकसभा चुनाव के समीकरणों को ध्यान में रखकर तय किया गया है।
विशेष ट्रेन से जाने वाले यात्री दर्जन भर लोकसभा सीटों के हैं। 12 फरवरी को भोपाल से रवाना होने वाली ट्रेन में विदिशा, सागर और दमोह के यात्री शामिल होंगे। बुरहानपुर से ट्रेन में खंडवा, हरदा और जबलपुर के यात्री होंगे। शिवपुरी से रवाना होने वाली ट्रेन में अशोक नगर, कटनी के यात्री होंगे। परासिया से रवाना होने वाली ट्रेन में छिंदवाड़ा, बैतूल, इटारसी-होशंगाबाद-नरसिंहपुर के तीर्थ यात्री होंगे। यात्रियों के लिए भोजन, चाय, नाश्ता, रुकने की व्यवस्था और तीर्थ-स्थल तक बसों से ले जाने और लाने के लिए गाइड की व्यवस्था रहेगी। कुंभ जाने वाले तीर्थ-यात्रियों से अपने व्यक्तिगत उपयोग की सामग्री अपने साथ रखने के लिये कहा गया है। बाबूलाल गौर के मुख्यमंत्रित्व काल में राज्य मंत्रालय में हर माह की पहली तारीख को वंदेमातरम का गायन शुरू किया गया था। लगभग 14 साल बाद यह परंपरा पहली जनवरी को टूट गई थी। इसको लेकर काफी विवाद भी हुआ। विवाद के बाद कमलनाथ सरकार की ओर से सफाई दी गई थी कि वंदेमातरम के परंपरागत गायन में अधिकारियों एवं कर्मचारियों की भागीदारी काफी सीमित थी। लोगों की भागीदारी बढ़ाने के लिए वंदेमातरम के गायन कार्यक्रम को व्यापक स्वरूप दिया गया है। पुलिस बैंड का इंतजाम भी किया गया है। बड़ी संख्या में कांग्रेसी कार्यकर्ता भी कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए तैयार किए गए हैं।
-अरविंद नारद