12-Feb-2019 07:51 AM
1234847
मप्र में जीका वायरस पीडि़तों के साथ ही स्वास्थ्य विभाग के लिए जी का जंजाल बन गया है। आलम यह है कि न स्वास्थ्य विभाग को मालूम है कि क्या करना है और न ही जीका वायरस ग्रसितों को। इसका असर यह हो रहा है कि अधिकारी जीका वायरस पीडि़त महिलाओं को गर्भपात की सलाह दे रहे हैं। प्रदेश में जीका वायरस पीडि़त जिन 42 महिलाओं को चिन्हित किया गया है, उनमें से विदिशा जिले के सिरोंज ब्लॉक की एक महिला का स्थानीय स्वास्थ्य अधिकारियों ने गर्भपात करा दिया है। यह मामला उजागर होने के बाद स्वास्थ्य विभाग सजग हुआ है।
जानकारी के अनुसार, पूरे एशिया में भारत की आबादी जीका के प्रति सबसे अधिक संवेदनशील है। भारत में जीका का पहला मामला भरूच में 1954 में सामने आया। देश में 2018 में जीका के 289 मामले सामने आए। जिसमें से मप्र में जीका के 130 मामलों की पुष्टि हुई है। जबकि राजस्थान में 159 मामले सामने आए।
जब जीका वायरस के खौफ की पड़ताल की तो यह बात सामने आई कि जीका वायरस ग्रसित गर्भवती महिलाओं और उनके परिजनों को अपाहिज बच्चा होने का डर दिखाया जा रहा है। वायरस ग्रसित महिलाओं ने बताया कि उन्हें बताया गया है कि बच्चे को जन्म देना मुसीबत मोल लेने जैसा है। उन्हें कहा गया है कि गर्भ में पल रहा उनका बच्चा माइक्रोसेफली नामक बीमारी से ग्रसित पैदा हो सकता है। माइक्रोसेफली से ग्रसित बच्चे का दिमाग पूरी तरह विकसित नहीं हो पाता और उनका सिर दूसरे बच्चों की अपेक्षा छोटा होता है।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, अभी तक करीब दर्जनभर से अधिक महिलाओं को गर्भपात कराने की सलाह दी जा चुकी है। इनमें से सिरोंज ब्लॉक के वार्ड नंबर 1 में निवासी 27 साल की एक महिला 26 नवंबर को अपना बच्चा गिरा चुकी है। महिला के अनुसार, उनके खून का नमूना लेने 5 नवंबर को सरकारी अधिकारी आए थे। ठीक 10 दिन बाद उनके घर भी ब्लॉक मेडिकल ऑफिसर आकर कहते हैं कि वह जीका पॉजिटिव हैं और उन्हें भी बच्चा गिराने की सलाह दी गई। इसके बाद उनसे भी एक अंडरटेकिंग ले ली गई। हम ब्लॉक हॉस्पिटल पहुंच गए। वहां स्त्री रोग विशेषज्ञ ने मेरे खून के नमूनों की रिपोर्ट को देखा और बोला कि बच्चा गिरा दीजिए। हम इतना डर गए कि हमने वहीं निर्णय ले लिया कि हम गर्भपात करा लेंगे। फिर 26 नवंबर को गर्भपात करा लिया।
भोपाल के भीमनगर, दामखेड़ा, विदिशा के सिरोंज की महिलाओं ने बताया कि उन्हें तो अभी तक ठीक से यह भी नहीं पता कि वह जीका पॉजिटिव हैं या नहीं। सिरोंज की एक महिला ने बताया कि डॉक्टर उनके यहां आए और खून का नमूना लेकर चले गए। 10 दिन बाद वे फिर आए और बच्चा गिराने की सलाह देकर चले गए। 15 नवंबर के बाद कोई डॉक्टर या अधिकारी परामर्श देने नहीं आया। रिपोर्ट न मिलने पर भोपाल एम्स गए जहां खून की जांच के बाद वहां डॉक्टर ने बताया कि जीका पॉजिटिव नहीं है। जब उन्होंने रिपोर्ट की कॉपी मांगी तो डॉक्टर ने यह कहकर रिपोर्ट देने से इनकार कर दिया था कि ऊपर से ऐसा आदेश नहीं है। वह कहती हैं कि अब हम अंधेरे में हैं।
चिकित्सा विशेषज्ञों के अनुसार, विज्ञान कहता है कि 10 से 15 प्रतिशत जीका पॉजिटिव महिलाओं से ही माइक्रोसेफली से ग्रसित बच्चा पैदा होता है। मप्र में जिस तरह जीका पॉजिटिव महिलाओं से निपटा जा रहा है यह अपने आप में अनोखा तरीका है। शायद यह दुनिया का सबसे नायाब तरीका है। अफसर अपनी खामियों को छुपाने के लिए पीडि़ताओं को गर्भपात की सलाह दे रहे हैं। गौरतलब है कि जीका एडीज एजिप्टी नामक मच्छर से होता है। यही मच्छर डेंगू और चिकनगुनिया भी फैलाता है। सरकार एडीज एजिप्ट मच्छर की रोकथाम करने में फेल हो गई है। इस कारण प्रदेश में जीका के इतने मामले सामने आए हैं। हैरानी की बात यह है कि देश के सबसे स्वच्छ शहरों में दूसरे स्थान पर रहे भोपाल में सबसे अधिक जीका के मामले आए हैं। प्रदेश सरकार के आंकड़ों के अनुसार, भोपाल में 53, विदिशा में 50 और सीहोर में 21 जीका पॉजिटिव मामले मिले जबकि सागर, रायसेन और होशंगाबाद में 2-2 मामले मिले। कुल मिलाकर 130 मामलों में 42 गर्भवती महिलाओं से संबंधित हैं।
- विशाल गर्ग