22-Dec-2018 07:29 AM
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एडिलेड में भारत 31 रन से जीत गया। ऐसा होना ही दिख रहा था पर इस मैच से दोनों टीमों ने कई सबक जरूर लिए होंगे। सबसे पहला सबक तो यह कि दोनों टीमों ने इस मैच को किसी टैस्ट मैच की तरह तो कतई नहीं खेला। ऑस्ट्रेलिया की दूसरी पारी में उसके सलामी बल्लेबाज आरोन फिंच ने 11 रन के निजी स्कोर पर आश्विन की गेंद पर जब ऋषभ पंत को अपना कैच थमाया था तब उनके पास डीआरएस लेने का मौका था और उन्हें खुद नहीं पता था कि गेंद उनके बल्ले को छूकर निकली भी थी या नहीं, पर वे मौका चूक गए।
आज के जमाने में तकनीक खिलाडिय़ों का बखूबी साथ देती है और इतने बड़े मैच में ऐसा मौका गंवाना मैच गंवाने जैसा होता है क्योंकि आरोन फिंच जैसे धाकड़ बल्लेबाज इतने कम लक्ष्य में मैच का रुख अपनी और मोडऩे की क्षमता रखते हैं। ऑस्ट्रेलिया के कप्तान टिम पेन, जो क्रीज पर जम चुके थे और 41 रन भी बना चुके थे, उन्हें अधकचरा पुल शॉट खेलने की कोई जरूरत नहीं थी। बुमराह की वह उछलती हुई गेंद ऑफ स्टंप पर थी जिसे आसानी से छोड़ा जा सकता था पर पेन खुद पर काबू न रख पाए और विकेट गंवा बैठे।
भारतीय बल्लेबाज भी कम गैरजिम्मेदाराना शॉट नहीं खेले थे। एक समय पर भारत के 6 विकेट पर 282 रन थे। ऋषभ पंत को इतनी क्या जल्दबाजी थी कि 16 गेंदों पर 28 रन बनाने के बाद वे अपनी विकेट फेंक कर चले गए, क्योंकि इसके बाद महज 25 रनों पर बाकी टीम आउट हो गई। वह तो भला हो मैन ऑफ द मैचÓ चेतेश्वर पुजारा का जो उन्होंने दूसरी पारी में भी सब्र के साथ बल्लेबाजी करते हुए 204 गेंदों पर 71 रन बना दिए थे वरना भारतीय टीम 300 का आंकड़ा भी पार कर पाती, इसमें भी शक ही था। पर अंत भला तो सब भला। भारत यह मैच जीत चुका है और यह पहला मौका है जब भारतीय टीम ने ऑस्ट्रेलिया में सीरीज का पहला टैस्ट मैच जीता हो।
ऑस्ट्रेलिया की दूसरी पारी में उसके ऊपरी क्रम ने तो कोई खास कमाल नहीं किया था, पर निचले क्रम के बल्लेबाजों ने जीत की उम्मीद जगाए रखी। मिशेल स्टार्क और पैट कमिंस की जोड़ी ने 8वें विकेट के लिए 16.3 ओवरों तक बल्लेबाजी की और महत्वपूर्ण 41 रन जोड़े। इसी तरह 9वें विकेट के लिए पैट कमिंस और नाथन लायन ने 29 रनों की भागीदारी की, जबकि आखिरी विकेट के लिए नाथन लायन ने जोश हेजलवुड के साथ मिलकर 32 रन जोड़े। वे दोनों धीरे-धीरे ऑस्ट्रेलिया को जीत की तरफ ले जा रहे थे कि रविचंद्रन अश्विन ने जोश हेजलवुड का विकेट लेकर भारत को जीत दिला ही दी।
वैसे यह टेस्ट मैच हमेशा चर्चा में रहेगा। अगर आप को ऑस्ट्रेलिया क्रिकेट टीम के हालिया कप्तान का नाम पूछने के लिए 4 ऑप्शन दिए जाएं और आप अपना सिर खुजाने लगें तो समझ लीजिए कि उसके बाकी खिलाडिय़ों के बारे में जानने के लिए आप को कितनी मेहनत करनी पड़ेगी, जबकि अब से 2-3 साल पहले तक यह दिग्गजों से सजी इतनी मजबूत टीम होती थी जिसका क्रिकेट की दुनिया पर अपना दबदबा था।
वैसे, इस टीम के कप्तान का नाम टिम पेन है जो शक्ल से बड़े मासूम बालक से दिखते हैं पर अपनी उम्र के 34 सावन देख चुके हैं। अब तक कुल 15 टैस्ट मैच खेल चुके इसी अनजान खिलाड़ी की अगुआई में वहां की कच्ची टीम के साथ भारत के बाहुबली खिलाड़ी एडिलेड में सीरीज का पहला टैस्ट मैच खेल रहे हैं और मैच के तीसरे दिन के खत्म होने तक मजबूत हालात में दिख रहे हैं।
मैच के पहले दिन जब भारत के सलामी बल्लेबाज क्रीज पर उतरे थे तो उनकी फॉर्म के हिसाब से वे मजबूत दिख रहे थे पर जल्दी ही उनकी पोल खुल गई। वह तो भला हो चेतेश्वर पुजारा का जो उन्होंने एक छोर संभाले रखा और भारत को 250 रनों के सम्मानजनक स्कोर तक पहुंचा दिया वरना दूसरे छोर वाले बल्लेबाज तो तू चल मैं आया का राग अलाप रहे थे।
बोर्ड पर ढाई सौ रन देखकर मेजबान टीम नाखुश थी और जब वह बल्लेबाजी करने आई तो चेतेश्वर पुजारा के बनाए गए 123 रन ही उसे खल गए। दूसरे दिन का मैच खत्म होने तक ऑस्ट्रेलिया ने 7 विकेट खोकर 197 रन बनाए थे। वहां भी नए नवेले बल्लेबाज ट्रैविस हैड ने किसी 72 रन बनाकर किसी तरह मामला संभाल लिया, वरना दूसरे बल्लेबाजों ने तो भारतीय बल्लेबाजों की नकल भर की थी। तीसरे दिन ऑस्ट्रेलिया की टीम ने अपने खाते में महज 38 रन और जोड़े और वह 235 रनों पर सिमट गई। भारत को 15 रनों की बढ़त मिली जो उसके बल्लेबाजों का हौसला बढ़ाने के लिए काफी थी।
-आशीष नेमा