17-Nov-2017 07:09 AM
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जिस तरह से भाजपा ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को अपने स्टार प्रचारक के तौर पर इस्तेमाल कर रही है उससे तो यह साफ हो गया है की पार्टी हिंदुत्व को धार दे रही है। 2014 के लोकसभा चुनाव को देखें तो साफ समझ में आता है कि भारतीय जनता पार्टी को सत्ता तक पहुंचाने के लिए हिंदुत्व के मुद्दे का बड़ा योगदान रहा है। मोदी और शाह जानते हैं कि अगर 2019 का चुनाव जीतना है तो एक बार फिर से इस मुद्दे को सतह पर लाना होगा। जिसके लिए एक ऐसे मुद्दे की जरूरत होगी जो हिंदुत्व के नाम पर वोटो का ध्रुवीकरण कराने की ताकत रखता हो और हिंदुस्तान में राम के नाम पर कुछ मिले या न मिलें, वोट जरूर मिल जाते हैं।
इसीलिए अब गुजरात गौरव यात्रा से ले कर केरल की जनरक्षा यात्रा तक योगी आदित्यनाथ को हिंदुत्व के ब्रैंड के रूप में भाजपा द्वारा पेश किया जा रहा है। इन राज्यों के चुनावों में सफलता मिली तो 2019 के लोकसभा चुनावों में योगी का बड़े पैमाने पर प्रयोग होगा। हिंदुत्व के हिट होने से रोजगार और विकास की बातें कम होंगी। नोटबंदी और जीएसटी के कुप्रभावों पर चर्चा नहीं हो सकेगी। पार्टी को आशा है कि हिंदुत्व के मुद्दे के बहाने यशवंत सिन्हा जैसे अपनी पार्टी के विरोधी नेताओं की आवाज को दबाया जा सकता है। योगी को हिंदुत्व के ब्रैंड के रूप में प्रयोग करके भाजपा ने संकेत दे दिया है कि आने वाले चुनाव वह धर्म के आधार पर ही लडऩा चाहती है। धर्म की लकड़ी की कड़ाही बार-बार आग पर चढ़ाई जा सकती है, यह धर्मों का इतिहास स्पष्ट करता है। गुजरात से लेकर केरल तक भारतीय जनता पार्टी उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को धर्म का ब्रैंड एंबैसडर बनाकर चुनाव प्रचार में उतार रही है। वह योगी ब्रैंड के सहारे केरल में अपनी जड़ें जमाने के प्रयास में है। भाजपा पहली बार उत्तर प्रदेश के किसी नेता को इतनी प्रमुखता से हिंदी राज्यों के बाहर चुनाव प्रचार में उतार रही है। इसकी सबसे खास वजह योगी आदित्यनाथ की हिंदुत्व वाली छवि और उनका भगवा पहनावा है। योगी आदित्यनाथ के पक्ष में एक बड़ी बात यह भी है कि गुजरात और केरल दोनों जगहों में उत्तर प्रदेश के लोगों की संख्या काफी है। योगी आदित्यनाथ का भगवा पहनावा हिंदुत्व की कट्टर छवि पेश कर देता है, जिसके बाद भाजपा को किसी और तरह के मुद्दे को उठाने की जरूरत नहीं रह जाती है। अयोध्या आने वाले पर्यटकों में बड़ी संख्या गुजरात और केरल के लोगों की रहती है। यह बात शायद भाजपा के जेहन में नहीं है कि उन दोनों राज्यों में उत्तर प्रदेश से वे लोग गए जो गांवों की गरीबी और जाति व धार्मिक अत्याचारों से पीडि़त व बेहद गरीब थे।
केरल से अधिक भाजपा के लिए गुजरात महत्वपूर्ण है। केंद्र सरकार के 2 बड़े फैसले नोटबंदी और जीएसटी वहां के विधानसभा चुनाव पर असर डाल सकते हैं। गुजरात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पार्टी अध्यक्ष अमित शाह का राज्य है। गुजरात में भाजपा के बैकफुट पर जाने का प्रभाव सीधे शाह-मोदी की लोकप्रियता पर पड़ेगा। भाजपा अब सरकार में आने के बाद सीधे तौर पर हिंदुत्व की बात नहीं करना चाहती। ऐसे में योगी आदित्यनाथ ऐसा चेहरा है जो बिना कहे हिंदुत्व के मुद्दे को उभार सकते हैं। यही वजह है कि भाजपा योगी को चुनावी तारणहार मानकर उनका चुनाव प्रचार में उपयोग कर रही है। गुजरात में भाजपा का मुकाबला कांग्रेस से है। गुजरात में भाजपा की सरकार है, ऐसे में वहां सत्ता विरोधी मतों का मुकाबला उसे करना है।
केरल में कम्युनिस्ट पार्टी की सरकार है। वहां भाजपा घटती हिंदू आबादी को मुद्दा बना रही है। ऐसे में योगी आदित्यनाथ सब से मुफीद चेहरा बन सकते हैं। भाजपा ने केरल में योगी आदित्यनाथ की अगुआई में जनरक्षा यात्रा की शुरुआत की। केरल में योगी को सामने लाकर भाजपा यह बताना चाहती है कि धर्म ही नहीं, हिंदुत्व की रक्षा और केरल में हिंदुओं की घटती संख्या को रोकने के लिए योगी जैसे लोगों की जरूरत है। अयोध्या, योगी और हिंदुत्व को पेश कर भाजपा चुनावी समीकरण को धर्म पर केंद्रित रखना चाहती है। केरल में तिरुअनंतपुरम के एक छद्म संस्थान, सैंटर फौर डेवलपमेंट स्टडीज की रिपोर्ट के आधार पर भाजपा भ्रम फैला रही है कि मुस्लिम आबादी 2030 तक 33 फीसदी और 2035 तक 35 फीसदी बढ़ जाएगी। 1961 में केरल में हिंदुओं की आबादी 61 फीसदी थी। 2011 की जनगणना में यह घट कर 54 फीसदी रह गई है। 1961 में जो मुस्लिम आबादी 17 फीसदी थी वह 2011 में 27 फीसदी हो गई है। ये आंकड़े प्रमाणिक नहीं हैं पर भाजपा अपने सोशल मीडिया प्रचारतंत्र के जरिए इन आंकड़ों पर जोर-शोर से भ्रम फैला रही है।
सैंसस आंकड़ों के अनुसार, हिंदुओं की वृद्धि 2001-11 के दौरान यदि 16.76 प्रतिशत से गिर कर 18.92 प्रतिशत हुई है तो मुस्लिम वृद्धि एकाएक 1991-2001 में 29.52 प्रतिशत से गिर कर 24.60 प्रतिशत हो गई है। यदि मुस्लिम जनसंख्या में वृद्धि इसी तरह घटती रही, जिसकी संभावना बहुत अधिक है, तो यह मामला सिर्फ हौआ दिखाने का रह जाएगा कि मुस्लिम हिंदुओं से ज्यादा हो जाएंगे। भाजपा इस तर्क को आगे बढ़ा रही है कि केरल में धर्मांतरण बड़े पैमाने पर हो रहा है। इसके कारण हिंदुओं की संख्या में कमी हो रही है। धर्मांतरण को भाजपा ने पिछले चुनाव में प्रमुख मुद्दा बनाया था। उत्तर प्रदेश के चुनावों में भी धर्मांतरण और लव जिहाद जैसे मुद्दों ने प्रदेश में हिंदुत्व की लहर को तेज किया था। धर्मांतरण की बात करते हुए भाजपा इस पर चुप्पी साध जाती है कि जो भी धर्म परिवर्तन कर रहे हैं क्या वे हिंदू जाति व्यवस्था के सताए हुए नहीं हैं। उत्तर प्रदेश में दलितों के साथ हो रहे दुव्र्यवहार से स्पष्ट है कि भाजपा असल सत्य को छिपा रही है। अब केरल में भाजपा इस मुद्दे को लेकर चुनाव जीतना चाहती है। केरल में अभी तक कांग्रेस और वामदलों के बीच सत्ता की लड़ाई चलती थी।
इस बार भाजपा ने इस मुद्दे को उठाकर चुनावी लड़ाई को त्रिकोणात्मक बना दिया है। वामदल और कांग्रेस इस मसले पर चुप हैं क्योंकि इन दोनों के नेता उसी तरह के हैं जिससे भाजपा के कट्टर चेहरे आए हैं। भाजपा यहां मुखर होकर अपनी बात को कह रही है। ऐसे में योगी सबसे प्रभावी चेहरा बन गए हैं। इस कारण भाजपा योगी को उत्तर प्रदेश से बाहर लेकर जा रही है। गुजरात के विधानसभा चुनावों में अयोध्या एक प्रमुख मुद्दा रहता है। गुजरात के दंगों की आग अयोध्या से जुड़ी थी। गोधरा कांड में कारसेवकों पर हुआ हमला और उसके बाद वहां भड़की हिंसा आज भी लोगों के दिलो-दिमाग पर हावी है। रोजगार और विकास जैसे मुद्दों को पीछे ढकेलने के लिए हिंदुत्व को उभारना ही सबसे जरूरी हो जाता है। हिंदुत्व के उभरने से नोटबंदी और जीएसटी के प्रभावों पर चर्चा गौण हो जाती है। योगी आदित्यनाथ के सहारे भाजपा अपने हिंदुत्व के ब्रैंड को हिट करना चाहती है। जिससे चुनाव में दूसरे मुद्दे चर्चा में न आ सकें।
केरल और गुजरात में योगी की लोकप्रियता का अंदाजा भाजपा को है। योगी भले ही केरल की मलयालम और गुजराती बोली में अपनी बात न कह सकें पर वे अपने पहनावे से वहां के लोगों को हिंदुत्व का आभास कराने में पूरी तरह से सफल हो रहे हैं। केरल में भाजपा के स्थानीय नेता हिंदी बोल लेते हैं। वे इस काम में योगी के सबसे बड़े मददगार बनेंगे। गुजरात में केरल से अधिक हिंदी बोली के लोग हैं। गुजरात के ज्यादातर शहरों में उत्तर प्रदेश के पूर्वी हिस्से के लोग ज्यादा हैं, जहां से योगी आते हैं। ऐसे में पूर्वी उत्तर प्रदेश से गुजरात आए लोग बड़ी संख्या में योगी को सुनने आ सकते हैं जो चुनावी माहौल को बेहतर बनाने का काम करेंगे।
केरल और गुजरात के चुनावों में भाजपा के बेहतर प्रदर्शन से योगी का कद देश की राजनीति में बड़ा होगा। जिसका प्रयोग भाजपा 2019 के लोकसभा चुनाव में बखूबी कर सकेगी।
राम मंदिर मुद्दा गर्म
देश में एक बार फिर से आयोध्या में राम मंदिर निर्माण का मामला गर्माने लगा है। भाजपा भले ही इस मुद्दे को हवा नहीं दे रही है, लेकिन अन्य हिन्दुवादी संगठन इसकी कवायद में जुट गए हैं।
विरोध के स्वर
योगी के बहाने भाजपा केवल पार्टी के बाहर ही मैदान मारने की तैयारी में नहीं है। वह पार्टी के अंदर उठ रहे विरोध के स्वर को भी दबाने में सफल हो रही है। यशवंत सिन्हा और अरुण शौरी जैसे पार्टी के पुराने खेवनहारों के उभरते विरोध के स्वर को भाजपा हाशिए पर डालने के लिए नई पीढ़ी के नेताओं को उभारना चाहती है, जो शाह और मोदी के विरोध की बात मन में भी न ला सकें। हिंदुत्व के ब्रैंड के रूप में भाजपा के पास योगी जैसा कोई नेता नहीं है। योगी प्रखर वक्ता हैं। हिंदुत्व को लेकर वे कट्टरवादी बयान दे सकते हैं। वे अपनी पोशाक से पूरी तरह मीडिया के बीच आकर्षण का केंद्र बिंदु बने रहते हैं। वे युवा और मेहनती होने के कारण ज्यादा से ज्यादा समय तक काम कर सकते हैं। योगी को मुख्यमंत्री बने हुए अभी 6 माह का ही समय हुआ है, फिलहाल उनकी छवि भ्रष्टाचार विरोधी बनी है। विकास को लेकर तमाम तरह की योजनाओं के सहारे योगी की छवि को निखारा जा सकता है।
-इन्द्र कुमार