अमेरिका से अच्छी सड़कों का हाल
01-Nov-2017 09:09 AM 1234885
मप्र में सड़कों के निर्माण और उनकी मरम्मत कर ऐतिहासिक काम हुआ है यह सभी स्वीकार करते हैं। मध्य प्रदेश में करीब 1.75 लाख किमी सड़कें बनाई गई हैं। ये सड़कें सभी गांव को जोड़ते हुए बनाई गई, लेकिन आज इन सड़कों में से अधिकांश इतनी बदतर स्थिति में हैं कि उन पर पैदल चलना भी मुश्किल है। मध्यप्रदेश का कोई भी ऐसा क्षेत्र नहीं है जहां की सड़कें खस्ताहाल न हो। दूर की बात करने से पहले मुख्यमंत्री के विधानसभा क्षेत्र बुधनी की सड़कों पर नजर डालें तो वे हकीकत बयां कर देती हैं। बुधनी से होकर गुजरने वाले नेशनल हाईवे 69 की हालत इतनी खस्ताहाल है कि एक किलोमीटर में ही गिनने बैठें तो 300 छोटे बड़े गढ्ढे आपको आसानी से नजर आ जाएंगे। बुधनी में सड़कों के निर्माण में हुए भ्रष्टाचार का खुलासा कई बार हो चुका है। विंध्य से गुजरने वाले नेशनल हाइवे इतने जर्जर हो गए हैं कि धूल में धंसकर गाडियां निकलती हैं। रीवा, सतना, पन्ना, सीधी और सिंगरौली से नेशनल हाइवे 7, 75 और 39 गुजरते हैं। इनकी हालत तो ग्रामीण सड़क से भी बदतर है। हालांकि इनकी मरम्मत का काम पिछले 5- 6 वर्ष से चल रहा है, लेकिन ठेका कंपनी और पेटी कॉन्ट्रेक्टर के बीच विवाद के कारण निर्माण कार्य पूरा नहीं हो पा रहा है। फरवरी 2012 में शुरू होने के बाद बंद हुआ ग्वालियर-झांसी के बीच लगभग 80 किलोमीटर हाईवे का काम 5 साल निकलने के बाद भी दांवपेंच में उलझा हुआ है। सड़क न बनने के कारण यहां से निकलने वाले लाखों वाहन और डबरा से दतिया के बीच रहने वाले लोगों को खासी मुसीबत का सामना करना पड़ रहा है। इस रोड को 2014 में कोर्ट के आदेश के बाद मोटरेबल बनाया गया था, लेकिन इसके बाद से कोई काम नहीं हुआ है। इंदौर-नीमच हाईवे मध्यप्रदेश में सड़कों की बदहाली का एक और बड़ा उदाहरण है। 155 किमी लम्बे हाईवे पर रतलाम से नागदा फंटा (लेबड़) और रतलाम से मंदसौर के बीच गड्ढों ने वाहनों का निकलना मुश्किल कर दिया है। बारिश पूर्व मरम्मत के नाम पर कुछ स्थानों पर पेंचवर्क किया गया था, लेकिन यातायात के दबाव के आगे हाईवे का करीब 80 किमी हिस्सा विभिन्न स्थानों पर जर्जर हो गया है। वहीं, रतलाम शहर में महू रोड फव्वारा चौक से कोर्ट तिराहा की सड़क को लेकर लोग विरोध प्रदर्शन कर धरना तक दे चुके है। करीब 2.16 करोड़ की लागत वाली यह सड़क गड्ढों में बदलकर परेशानी का कारण बनी है। लोकेन्द्र भवन रोड पर भी गड्ढों के कारण आए दिन शहर में वाहन दुर्घटनाएं हो रही है। नरसिंहपुर से सावनेर राष्ट्रीय राजमार्ग के छिंदवाड़ा से अमरवाड़ा रोड की हालत कुछ ऐसी है कि यहां जगह-जगह गड्ढे हो गए है। जिला मुख्यालय में नरसिंहपुर नाका के आगे पुलिस चौकी के पास इन जानलेवा गड्ढ़ों को आसानी से देखा जा सकता है। इस मार्ग पर आगे चला जाए तो पूरे 40 किलोमीटर में आपको ये मिल जायेंगे। इस मार्ग का निर्माण 4 साल पहले भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण ने करवाया था। जल्द हो गए गड्ढो की मरम्मत भी नहीं कराई गई है। दूसरी सड़क शहर के अंदर ही खजरी चौक से कुकड़ा जगत होते हुए लालबाग को देखा जा सकता है, जहां गड्ढो की वजह से एक्सीडेंट होना आम हो गए है। जिला प्रशासन द्वारा एकत्र जानकारी के मुताबिक जिले में 95 पुल पुलिया जर्जर है तो वहीं 50 से अधिक मार्ग मरम्मत के योग्य है। जबलपुर सिवनी वाया नागपुर राष्ट्रीय राजमार्ग-7 पर फोरलेन का काम चल रहा है। वर्तमान में जबलपुर सिवनी के बीच लखनादौन के पास फोरलेन के काम से सड़कों की हालत ठीक नहीं है। सिवनी से नागपुर के बीच कुरई-खवासा के पास सड़क की हालत ठीक नहीं है। ऐसे ही हालात प्रदेशभर की सड़कों के हैं। इस मामले में कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अरुण यादव कहते हैं कि मुख्यमंत्री सड़क पर चलते ही नहीं हैं तो उन्हें क्या पता यहां की सड़कें कैसी हैं। पुल पर गड्ढे, पिलर पर उग आए हैं पेड़ इंदौर से इच्छापुर तक 202 किलोमीटर लंबे राजमार्ग पर जगह-जगह गड्ढे हैं। यहां गड्ढों की गिनती की जाए तो ये 2 हजार से कम नहीं निकलेंगे। नर्मदा नदी पर बने मोरटक्का पुल की भी हालत खराब है। पुल पर गड्ढे होने के साथ ही पिलर पर पेड़ उग आए हैं। वर्ष 2003 में अशोका एंड कंपनी ने 164 करोड़ रुपए में इस मार्ग को टू-लेन बनाकर टोल टैक्स वसूलना शुरू कर दिया था। 12 वर्षों तक इस मार्ग की देखरेख की जिम्मेदारी भी निर्माण कंपनी की थी। 2015 में समयावधि समाप्त होने पर प्रदेश सरकार ने सिंहस्थ को देखते हुए 2016 में छह माह का अतिरिक्त समय देकर अशोका कंपनी को संचालन और देखरेख की जिम्मेदारी सौंपी थी। इसके बाद कंपनी ने मेंटेनेंस करने से हाथ खींचना शुरू कर दिए। सरकार द्वारा टोल बेरियर बंद करने के बाद मार्ग के रखरखाव की ओर ध्यान नहीं दिया गया। प्रतिदिन हजारों वाहनों के गुजरने से सड़क पर जगह-जगह गड्ढे हो गए हैं। इंदौर-खंडवा-इच्छापुर सड़क को फोरलेन बनाने के लिए प्रदेश सरकार ने केंद्र के नेशनल हाइवे बनाने वाली कंपनी को सौंप दिया है। कंपनी 202 किलोमीटर नई सड़क बनाने के लिए डीपीआर तैयार कर रही है। -भोपाल से अजयधीर
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