मोदी की कश्मीर नीति में क्या खामी है
17-Nov-2016 06:29 AM 1234770
जब नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने थे तो हर कोई यही आस लगाए था कि कश्मीर फिर स्वर्ग बन जाएगा। यानी वहां शांति कायम हो जाएगी और देश-विदेश के सैलानी फिर से कश्मीर की हसीनवादियों का दीदार कर सकेंगे। लोगों की इस आस को और बढ़ाया राज्य में हुए चुनाव ने भाजपा के बढ़े कद ने। राज्य में पीडीपी और भाजपा ने मिलकर सरकार बनाई लेकिन शांति बहाल होने की बजाए कश्मीर में अशांति फिर से लौट आई। ऐसे में हर कोई अब यही आंकलन करने में जुटा हुआ है कि मोदी की कश्मीर नीति में क्या खामी है। आतंकी हमलों ने जम्मू-कश्मीर का जन जीवन तहस-नहस कर दिया है। आतंकी बच्चों व उनके माता-पिता में दहशत पैदा करने के लिए स्कूलों को आगे के हवाले कर रहे हैं। इससे कश्मीर के बच्चों का भविष्य अंधकार की तरफ बढ़ रहा है। अब तक 25 से ज्यादा स्कूलों में आगजनी की घटनाएं हो चुकी हैं। स्कूलों को जलाने की घटनाओं पर केंद्र सरकार ने चिंता जाहिर की है। केंद्र ने महबूबा मुफ्ती सरकार से कहा है कि इस तरह की घटनाएं रोकने के लिए जरूरी कदम उठाएं। आतंकी हमलों और सीमापार से फायरिंग के बीच घाटी में एक खतरनाक साजिश चल रही है। इसका खामिजा कश्मीरियों को उठाना पड़ रहा है। कश्मीर अपने बच्चों के लिए, मारे गए, जख्मी हुए या अंधे हो चुके लोगों के लिए मातम कर रहा है। लगातार हिंसा, बर्दाश्त से बाहर दुख और गहरी निराशा के नाते उनकी जिंदगी पटरी से उतर गई है। ऐसे में लोगों के जख्म पर नमक डालने का काम यहां के स्कूलों में आग लगाकर किया जा रहा है। स्कूलों में आग कौन लगा रहा है यह अभी तक सामने नहीं आया है। कश्मीर में सामान्य हालात बहाल होने के फिलहाल कोई आसार नजर नहीं आते हैं। उधर मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती कहती हैं कि  केंद्र सरकार कश्मीर के हालात बेहतर करने की कोशिश में बराबर सहयोग कर रही है। उन्होंने कहा कि केंद्र में इस समय ताकतवर नेतृत्व है जो बर्दाश्त से काम लेते हुए ऐसा फैसला करे जिससे वैसा ही संघर्ष विराम हो जो वर्ष 2008 तक रहा। मोदी, वाजपेयी के अभियान को आगे बढ़ाएं। मुख्यमंत्री का कहना है कि कश्मीर के हालात की सबसे बड़ी शिकार शिक्षा हुई है। हमने घाटी में स्कूल जलाने वाले शरारती तत्वों को हिरासत में लिया है। वह कहती है कि केंद्र और राज्स की नीतियों में जो खामी है उसे दूर करके प्रदेश में जल्द से जल्द अमन कायम किया जाएगा। वाजपेयी के पदचिन्हों पर मोदी महबूबा मुफ्ती कहती हैं कि कि पाकिस्तान से हालात बेहतर बनाने की दिशा में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी अटल बिहारी वाजपेयी के पदचिन्हों पर चल रहे हैं। मोदी की पहल का सही जवाब न देने वाले पड़ोसी देश को सोच में बदलाव लाना चाहिए। महबूबा मुफ्ती ने कहा कि पड़ौसी से अच्छे संबंध कायम करने के लिए वाजपेयी की तरह मोदी भी लाहौर गए थे लेकिन सामने से सही प्रतिक्रिया नही आई। पाकिस्तान की यह सोच सही नही है। आप अपने दोस्त चुन सकते हैं पड़ोसी नहीं। हमें अटल बिहारी वाजपेयी जी के विचारों को अपनाना होगा। राज्य में आतंकवाद चिंता का विषय है। आतंकवादी चाहे 2 हो या 250, यह गंभीर मामला है। हमारी कोशिश है कि गुमराह होकर सीमा पार चले गए उन स्थानीय युवाओं को मुख्यधारा में लाया जाए जिनके खिलाफ संगीन मामले नही हैं। हाल में सोपोर का एक युवा वापस लौटा है। राज्य में सुरक्षाबल आतंकवाद से लड़ रहे हैं। -इन्द्र कुमार
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