31-Mar-2016 11:11 AM
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आपको अगर कोई बीमारी हो तो डॉक्टर साहब दवा के साथ कहते हैं थोड़ा भागा भी करो। मेडिकल सांइस तक भी कहती है कि भागना शरीर के लिए लाभप्रद है। आदमी जितना भागेगा, जीवन में उतना ही निरोगी एवं सुखी रहेगा। फिर

मेरी समझ में यह नहीं आ रहा है कि माल्या साहब क्या भागे चारों तरफ कोहराम मच गया। हां, ये बात और है कि वह देश के भीतर न भागकर सीधा विदेश भाग गए। पर भागे तो। हो सकता है, उनके इस तरह भागने में शायद कोई स्वास्थ्य-जन्य लाभ छिपा हो। बड़े लोग, बड़ी बातें।
मुझे बताइए, यहां कौन नहीं भाग रहा? हर कोई हर किसी से आगे निकल जाने की भाग-दौड़ में है। कोई नौकरी के लिए भाग रहा है। कोई पैसे के लिए भाग रहा है। कोई घर के लिए भाग रहा है। कोई इलाज के लिए भाग रहा है। दुनिया-समाज के बीच ऐसी भागम-भाग मची है, कभी-कभी तो यही समझ नहीं आता कि बंदा सही के लिए भाग रहा है या गलत के लिए।
भागा-भागी की इस बेला में अगर वह (विजय माल्या) भाग गए तो क्या गलत किया? अपने बचाव के लिए आदमी कहां-कहां, किन-किन जगहों पर नहीं भागता। वह भागकर विदेश चले गए तो क्या हुआ? हो सकता है, विदेश उन्हें भागने के लिए भारत से कहीं ज्यादा सुरक्षित नजर आया हो। यों भी, सेलिब्रिटी टाइप के लोग अपनी खुश या गम जाहिर करने के लिए अक्सर विदेश की ओर ही भागते हैं।
श्रीमान विजय माल्या को बार-बार भगौड़ा कहा जाना मुझसे बर्दाशत नहीं हो पा रहा! कहने वालों पर इत्ता गुस्सा आ रहा है। मन कर रहा है, उन्हें किंगफिशर के विमान में बैठाकर अरब सागर के तट पर छोड़ आऊं।
यों एक अति-सम्मानित बिजनसमैन-कम-सांसद को बेमतलब भगौड़ा कहना ठीक नहीं। हां, यह सही है कि उन पर नौ हजार करोड़ रुपए का लोन बकाया है किंतु चिंता की कोई बात नहीं, वे सब चुका देंगे। ऐसा मुझे विश्वास है। विश्वास हो भी क्यों न। जो शख्स टीपू सुल्तान की तलवार करोड़ों रुपए देकर खरीद सकता है, क्या वो करोड़ों का कर्ज नहीं चुकाएगा, जरूर चुकाएगा। आखिर कुछ लाज उन्हें टीपू की भी तो रखनी है न।
यही बात मैं जाने कब से लोगों को समझा रहा हूं कि वे भागे नहीं हैं। यहां के शोर-शराबे से उक्ता कर कुछ दिनों के लिए हवाखोरी करने विदेश चले गए हैं। इतिहास गवाह है, मीडिया के टेढ़े-मेढ़े सवालों से बचने के लिए अक्सर सेलिब्रिटी लोग विदेश चले जाया करते हैं। ललित मोदी ने भी तो यही किया। अब वे विदेश में सुकून की जिंदगी बसर कर रहे हैं।
और फिर नौ हजार करोड़ होते ही कित्ते हैं! इत्ता रुपया तो माल्या साहब की दाईं जेब से यों ही झड़कर निकल आएगा। रुपए-पैसे की कोई कमी थोड़े न है उनके कने। इत्ता बड़ा एम्पायर उन्होंने हवा में थोड़े न खड़ा कर लिया। मेहनत की है अगले ने। कित्ती ही मॉडलस को अपने केलैंडरों में छाप-छापकर रात भर में स्टार बना दिया।
विपरीत परिस्थितियों के चलते उनकी एअरलाइंस बंद जरूर हो गई पर हवा में जाने कित्तों को उन्होंने चड्डू खिलवाएं हैं। इश्क में मात खाए जाने कित्ते आशिकों को उनकी लालपरी (किंगफिशर) ने भावनात्मक सहारा दिया है। काफी कुछ एहसान उनके बॉलीवुड पर भी हैं।
यह मत भूलिए कि वे बड़े कॉरपोरेट बिजनसमैन हैं। सरकार उनसे नौ हजार करोड़ इज्जत के साथ वसूलेगी। यही तो फर्क होता है, बड़े चोर और छोटे चोर से पैसा वसूलने में। यही अगर कोई गली-मोहल्ले का चोर-मवाली होता। भले उसने नौ रुपए ही चुराए होते, पकड़े जाने पर पुलिस उसका क्या हश्र करती, बतलाने की जरूरत नहीं।
मैं फिर कह रहा हूं, एंवई इत्ती टेंशन न लें। आज नहीं तो कल वे वापस स्वदेश लौट आएंगे। अभी 2016 का केलैंडर बनना बाकी है। ये काम उनके तमाम जरूरी कामों में से एक है। जिसका इंतजार मुझे भी बहुत रहता है।
इल्जाम लगाया जा रहा है कि वह बैंकों का नौ हजार करोड़ रुपया लेके चंपत हो गए। सरकार, पुलिस, सीबीआई, गुप्तचर एजेंसियां सब की सब देखती रह गईं। दो-चार दिन बीत जाने के बाद ज्ञात हुआ कि जनाब तो अपना तिया-तोमड़ा लेके पिछले दरवाजे से विदेश निकल लिए।
भागते नहीं तो और क्या करते? सब के सब उनके पीछे हाथ-पैर धोके यों पड़ गए थे मानो उन्होंने कोई बहुत बड़ा पाप किया हो। कुछ हजार करोड़ रुपए का ही तो हेर-फेर किया था। यहां तो नेता लोग इत्ती बड़ी-बड़ी रकमें डकारें बैठे हैं कि पूछिए मत। उन बेचारो ने नौ हजार करोड़ अपने बिजनेस पर खर्च कर दिए तो पूरा देश उनके पीछे पड़ गया। बुद्धिजीवि और नेता-सांसद लोग उन्हें गरियाने लगे। सरकार से सवाल पूछा जाने लगा कि वह भाग क्यों गए? मानो, देश से भागने पर प्रतिबंध हो जैसे!
शायद आपने पढ़ा नहीं। मेडिकल सांइस तक कहती है कि भागना शरीर के लिए लाभप्रद है। आदमी जित्ता भागेगा, जीवन में उत्ता ही निरोगी एवं सुखी रहेगा। हां, ये बात और है कि वह देश के भीतर न भागकर सीधा विदेश भाग गए। पर भागे तो। हो सकता है, उनके इस तरह भागने में शायद कोई स्वास्थ्य-जन्य लाभ छिपा हो। बड़े लोग, बड़ी बातें।
क्या जी, आपने तो उन्हें कतई चोर-उचक्का ही बना दिया। नौ हजार करोड़ अकेले लेके भागना इत्ता आसान नहीं होता। अंदर तक के टांके ढीले हो जाते हैं। हिम्मत चाहिए होती है हिम्मत। ऐसा हिम्मत या तो नेता लोग या फिर हाई-फाई बिजनेसमैन ही कर सकते हैं। कुछ दिन पहले ललित मोदी भी ऐसे ही भागे थे। आज तलक कोई भी पकड़ न पाया उन्हें। हां, संसद से लेकर सड़क तक बातें सब बड़ी ऊंची-ऊंची मार लेते हैं।
वैसे, इस बारे में न सरकार, न विपक्ष, न बुद्धिजीवियों को इत्ता दिमाग खराब करने की जरूरत नहीं। हो सकता है, वह भागे न हों, थोड़ा हवाखोरी के वास्ते विदेश तक चले गए हों। बड़े आदमी हैं। विदेश है ही कित्ती दूर उनकी पहुंच से। जब विदेश में मन भर जाएगा, वापस लौट आएंगे अपने मुल्क। फिर मांग लीजिएगा, उनसे नौ हजार करोड़। दे दें। उनके लिए है ही कित्ती बड़ी रकम ये।
मेरे विचार में सरकार को अपनी ऊर्जा विजय माल्या को विदेश से वापस लाने से कहीं ज्यादा दाऊद को पाकिस्तान से लाने में खर्च करनी चाहिए। दाऊद अधिक महत्वपूर्ण है। अरे, विजय माल्या तो अपने घर के आदमी हैं। आज नहीं तो कल लौट ही आएंगे। क्यों ठीक है न!
-विनोद बक्सरी