16-Jan-2016 10:55 AM
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अभिनेता और भाजपा नेता शत्रुघ्न सिन्हा की बेबाक आत्मकथा एनीथिंग बट खामोशÓ के विमोचन के साथ दिल्ली में खलबली मचा गई है। संभव है आगामी दिनों में इससे राजनीति में तूफान आ जाए। शत्रुघ्न सिन्हा के सुदीर्घ फिल्मी व

पालिटिकल लाइफ से जुड़े कई पहलुओं का संयोजन उनकी आत्मकथा एनीथिंग बट खामोशÓ में हुआ है। भाजपा से नाराज चल रहे शत्रुघ्न के इस पुस्तक से बड़ा राजनीतिक धमाका होने के आसार भी हैं। इससे भाजपा की राजनीति के कई अनकहे पहलू भी सामने आ सकते हैं। एनीथिंग बट खामोशÓ का इंट्रोडक्शन कांग्रेस के नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री शशि थरुर ने लिखा है। बागी तेवर अख्तियार किए हुए भाजपा के वरिष्ठ नेता शत्रुघ्न सिन्हा की बहुप्रतीक्षित किताब खामोशÓ का विमोचन हो गया है और देश की राजनीति के साथ ही फिल्म जगत में भी यह किताब हंगामा खड़ी करने वाली है। बहुत कम मौकों पर ऐसा होता है कि आत्मकथाएं नाटकीयता और उत्तेजना से खलबली मचाने वाली होती हैं, जैसी नाटकीयता एनीथिंग बट खामोशÓ में है वह क्या गुल खिलाती है देखने लायक होगा।
एनीथिंग बट खामोशÓ में शत्रुघ्न सिन्हा अपने व्यक्तित्व में पूरी तरह सुकून महसूस करने वाले व्यक्ति के रूप में सिनेमा सितारों की उस दुर्लभ प्रजाति और उससे भी दुर्लभ राजनेता के रूप में सामने आते हैं, जो पूरी तरह विश्वसनीय और प्रामाणिक व्यक्ति हैं। वे जैसे हैं, वैसे हैं। अपने आप से उन्हें कोई शिकायत नहीं है। पूरी किताब में अपने व्यक्तिगत जीवन पर विचार करते हुए उन्होंने कहीं भी शब्दों की कंजूसी नहीं दिखाई है न खुद को बख्शा है। बेबाकी से सबकुछ रख दिया। कहीं कुछ छिपाने की कोशिश नहीं। कमियों और खामियों को उन्होंने अत्यधिक ईमानदारी के साथ प्रस्तुत किया है। यह किताब उनकी जिंदगी का वस्तुनिष्ठ, लेकिन सहानुभूतिपूर्ण आकलन है। वे अपनी जिंदगी को तटस्थता से देखते हैं, लेकिन सहानुभूति के साथ उसका आकलन करते हैं।
पटना एनीथिंग बट खामोशÓ लॉन्च की और इस मौके पर भाजपा के असंतुष्ट नेता इक_े हुए थे। बुक लॉन्च के मौके पर लालकृष्ण आडवाणी, यशवंत सिन्हा, कीर्ति आजाद समेत केन्द्रीय मंत्री हर्षवर्धन और वीके सिंह शामिल थे। वहीं सीपीएम नेता सीताराम येचुरी कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला और अमर सिंह भी मौजूद रहे। इस दौरान भाजपा नेताओं ने वर्तमान में सरकार में बैठे नेताओं पर कटाक्ष किए। शत्रुध्न सिन्हा ने किताब के जरिए तो सिन्हा ने स्टेज पर मन की भड़ास निकाली। वहीं आडवाणी ने राज्य सभा के लिए लगातार भेजे जा रहे नेताओं पर निशाना साधा। राज्य सभा का मुद्दा शत्रुघ्न ने उठाया और बताया कि एक बार आडवाणी ने उन्हें राज्य सभा के लिए नामांकित करने से मना कर दिया था। आडवाणी ने इस पर माफी मांगी। बिहार चुनाव में मिली हार के जरिए एक बार फिर से केन्द्रीय नेतृत्व पर हमला बोलते हुए यशवंत सिन्हा ने कहा कि शत्रुघ्न को बिहार में प्रचारक भी नहीं बनाया गया। सच बात तो यह है कि उसे बुलाया भी नहीं गया। जो लोग चुनाव की कमान संभाल रहे थे उन्होंने हमारी काबिलियत नहीं पहचानी। हो सकता है उन्हें केवल 10 आदमी मिलते और मुझे 2 व्यक्ति लेकिन यह ताकत बढ़ाते। केन्द्रीय नेतृत्व पर निशाना साधते हुए सिन्हा ने कहाकि मार्गदर्शक मंडल ऐसी चुनी हुई कमिटी है जो कभी नहीं मिलती। शत्रुघ्न सिन्हा ने अपनी किताब में पार्टी अध्यक्ष अमित शाह पर हमला बोलते हुए लिखा कि, पार्टी अध्यक्ष ने बड़े विश्वास के साथ कहा था कि हम दो तिहाई बहुमत से जीतेंगे। शायद ऐसा कहना उनके लिए आदत बन गई है क्योंकि
दिल्ली में भी उन्होंने ऐसा ही कहा था लेकिन दो तिहाई के बजाय हमें दो या तीन सीटें ही मिली। बिहार भाजपा अध्यक्ष मंगल पांडे से लेकर सुशील मोदी, राजीव प्रताप रूडी, शाहनवाज हुसैन और सभी ने अमित शाह के शब्दों को तोते के जैसे दोहराया।
शॉटगन शत्रुघ्न सिन्हा ने इस मौके पर कहा कि मेरी जीवन यात्रा का पहली बार इस किताब में विश्लेषण है। फिल्म से लेकर राजनीति तक। मैंने जो भी ऊंचाई देखी है, वो सारी चीजें इस किताब में है। भारती प्रधान जी ने इसे बहुत अच्छे से लिखा है। बिहार चुनाव पर उन्होंने कहा कि मुझे प्रचारक नहीं बनाया गया। लोगों ने कहा था कि इसका असर पड़ेगा और यही हुआ। सुशील मोदी पर हमला बोलते हुए शत्रुघ्न ने कहा कि सुशील मोदी ने उनके लोकसभा चुनाव लडऩे का विरोध किया था और अंत तक मेरी खिलाफत की। लोगों में मेरी लोकप्रियता, साफ छवि और स्वीकार्यता से सुशील मोदी को असुरक्षा हुई हालांकि मैंने कभी नहीं कहाकि मैं बिहार का सीएम बनना चाहता हूं। शत्रुघ्न सिन्हा की किताब को लिखने में सात साल लगे और लेखक प्रधान ने बताया कि शत्रुघ्न सिन्हा या उनके परिवार के किसी सदस्य ने उनसे किसी बात को डिलीट करने को नहीं कहा।
-विशाल गर्ग