पिच फिक्सिंग के विवाद में भारत-अफ्रीका सीरीज
15-Dec-2015 10:30 AM 1234791

भारत ने दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ टेस्ट सीरीज तो जीत ली पर जिन पिचों पर ये खेली गई, उसने नए विवाद को जन्म दे दिया है।
मुंबई का वानखेड़े स्टेडियम भारत और दक्षिण अफ्रीका के बीच खेली गई पांच एकदिवसीय मैचों की सीरीज के अंतिम और निर्णायक मुकाबले के लिए तैयार था। इससे पहले खेले चार मुकाबलों में दो-दो जीत के साथ दोनों टीमें बराबरी पर थीं। इसलिए निर्णायक मुकाबले में कांटे की टक्कर होने की पूरी उम्मीद थी। दर्शकों से खचाखच भरे स्टेडियम में दक्षिण अफ्रीका ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी का फैसला किया और साधारण स्तर की भारतीय गेंदबाजी का लाभ उठाकर 438 रनों का पहाड़ सा ऐसा स्कोर खड़ा कर दिया, जिसकी कल्पना उस दिन शायद किसी ने नहीं की थी। यहीं से इस मैच में भारत की जीत की संभावनाएं लगभग समाप्त सी हो गई थीं। भारत की पारी शुरू होती, उससे पहले ही भारतीय टीम निदेशक रवि शास्त्री ने एक नया बवाल खड़ा कर दिया। वह पिच क्यूरेटर सुधीर नाईक पर भड़क उठे और भारत की संभावित हार का ठीकरा उन पर फोड़ अपशब्द कहना शुरू कर दिया। रवि शास्त्री का आरोप था कि भारतीय गेंदबाजों को पिच से कोई मदद नहीं मिली। पिच घरेलू टीम के पक्ष में व्यवहार नहीं कर रही थी। इस विवाद ने खासा तूल पकड़ा। सुधीर नाईक ने बोर्ड से शास्त्री की शिकायत की तो सुनील गावस्कर और कपिल देव जैसे दिग्गज शास्त्री के पक्ष में इस तर्क के साथ आ खड़े हुए कि घरेलू टीम को घरेलू परिस्थितियों का लाभ तो मिलना ही चाहिए। यहां से यह बात तय हो गई थी कि दोनों टीमों के बीच खेली जाने वाली आगामी चार टेस्ट मैचों की गांधी-मंडेला सीरीज में पिच की भूमिका सबसे अहम रहेगी। हुआ भी यही, टी-20 और एकदिवसीय सीरीज में मेहमान दक्षिण अफ्रीकी टीम से करारी शिकस्त झेलने के बाद भारतीय टेस्ट कप्तान विराट कोहली और टीम प्रबंधन को भली-भांति समझ आ गया था कि टेस्ट में विश्व नं। 1 और पिछले नौ साल से विदेशी दौरों पर अजेय दक्षिण अफ्रीकी टीम को हराना लोहे के चने चबाने जैसा है। केवल स्पिनर और स्पिन विकेट के सहारे भारतीय परिस्थितियों में खुद को ढाल चुके मजबूत दक्षिण अफ्रीकी बल्लेबाजी क्रम पर काबू नहीं पाया जा सकता। साथ ही डेल स्टेन, मोर्ने मोर्केल और वरनॉन फिलेंडर में वो क्षमता है कि वह किसी भी विकेट पर अपनी तेज रफ्तार गेंदों से विपक्षी खेमे को तहस-नहस कर सकें।
यही सब दिमाग में रख कोहली जब मोहाली पहुंचे तो सबसे पहले पिच क्यूरेटर दलजीत सिंह से मुलाकात कर आशीर्वाद लिया। वानखेड़े में हुई गलती शास्त्री और कोहली दोहराना नहीं चाहते थे। साथ ही इस सीरीज में जीत-हार के दोनों के लिए ही बहुत अधिक मायने थे। लंबे समय से भारतीय कप्तानी को लेकर चल रहे शीत युद्ध के कारण इन दोनों की साख भी दांव पर लगी थी। हार का मतलब होता कोहली की कप्तानी पर सवाल और धोनी के पक्ष में माहौल। इन सभी पक्षों को ध्यान में रख स्वाभाविक था कि बैकफुट पर आई भारतीय टीम मोहाली में घरेलू परिस्थितियों का भरपूर लाभ उठाना चाहेगी और इस मैच का मैन ऑफ द मैच पिच रहेगी। यानी कि वानखेड़े से शुरू हुआ पिच विवाद आगे भी थमने वाला नहीं था लेकिन इस बार पिच के पेंच में दक्षिण अफ्रीकी उलझने वाले थे। मैच से पहले मोहाली की पिच देखने के बाद दक्षिण अफ्रीकी बल्लेबाज फाफ डू प्लेसिस यह भांप भी गए और मीडिया में बोले, मैं बस यही कह सकता हूं कि यह पिच सामान्य से भी अधिक सूखी नजर आ रही है।Ó
हुआ भी वही जिसकी उम्मीद थी। मोहाली के विकेट पर पहले ही दिन से स्पिनरों को वह घुमाव मिलने लगा जिसकी अपेक्षा एक स्पिनिंग ट्रैक पर तीसरे दिन की जाती है। विकेट कितना सूखा था यह इस बात से समझा जा सकता है कि पहले ही दिन डीन एल्गर जैसा पार्ट टाइम स्पिनर भारतीय बल्लेबाजों को अपने घुमाव से छका रहा था। यह देख अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं था कि आगे आर। अश्विन, रविंद्र जडेजा और अमित मिश्रा की तिकड़ी क्या कमाल दिखाने वाली है। मैच तीन दिन में खत्म हो गया। पूरे मैच के दौरान स्पिनर्स ने 35 विकेट निकाले। जिसमें भारतीयों का योगदान 19 विकेट का रहा। बल्लेबाज एक-एक रन के लिए जूझते नजर आए और तेज गेंदबाज विकेट के लिए। पिच और इस भारतीय रणनीति की चौतरफा आलोचना की गई लेकिन स्थितियां बदली नहीं, बंगलुरु के चिन्नास्वामी स्टेडियम में भी लगभग समान ही विकेट था। वहीं तीसरे टेस्ट की नागपुर की पिच का मिजाज पढ़कर गावस्कर बोले, यहां पहली पारी में बल्लेबाजी बहुत मुश्किल होगी और आखिरी पारी में लगभग असंभव।Ó उनकी भविष्यवाणी सही साबित हुई और तीसरे दिन चाय के बाद मैच खत्म हो गया। पिच के मिजाज को समझने के लिए इतना ही काफी है कि दक्षिण अफ्रीका का मजबूत बल्लेबाजी क्रम पहली पारी में 79 रनों पर ढेर हो गया और मैच के दूसरे दिन कुल 20 विकेट गिरे। माइकल वान, मैथ्यू हेडन, डेविड लॉयड, वसीम अकरम सहित कई पूर्व दिग्गज अंतर्राष्ट्रीय खिलाड़ी इस पिच विवाद का हिस्सा बन चुके हैं।
-आशीष नेमा

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