04-Feb-2015 03:02 PM
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हमने समझा था कि बस इक कर्बला है जि़न्दगी
कर्बलाओं का मुसलसल सिलसिला है जि़न्दगी
एक तेरे ग़म ने सब ज़ख्मों पे मरहम कर दिया
सब ये कहते थे कि दर्दे-ला-दवा है जि़न्दगी
मुश्किलों से हार जाना इस को आता ही नहीं शब् की तारीकी से लड़ता
इक दिया है जि़न्दगी
जीने वालों के लिए है
आखिरी उम्मीद मौत
मरने वालों के किये इक
आसरा है जि़न्दगी
किस क़दर मकरूह चेहरा है, नजऱ आ जाएगा
हर किसी के रू-ब-रू इक आईना है जि़न्दगी
हर ख़ुशी के बाद ग़म और फिर ख़ुशी की आहटें
आते जाते मौसमों का
सिलसिला है जिन्दगी
दर्द के तपते हुए सेहराओं
से होता हुआ
मौत तक जाता हुआ इक
रास्ता है जि़न्दगी